परंपरा और विज्ञान: गोदभराई की रस्म सूखे मेवों से ही क्यों की जाती है?

हिंदू धर्म में अनेक परंपराएं हैं। इनमें से बहुत-सी परंपराएं संतान के जन्म से भी जुड़ी हैं जैसे- गर्भाधान संस्कार, पुंसवन संस्कार आदि।

उज्जैन. जब बच्चा मां के गर्भ में होता है तो गोदभराई भी की जाती है। ये भी एक प्राचीन भारतीय परंपरा है। इस परंपरा में होने वाली मां को गोद सूखे मेवों से भरी जाती है। इस परंपरा के पीछे मनोवैज्ञानिक तर्क भी है। आज हम आपको बता रहे हैं कि गोदभराई सूखे मेवों से ही क्यों की जाती है...

इसलिए सूखे मेवों से की जाती है गोदभराई की रस्म...
- दरअसल गोद भराई की रस्म होने वाले बच्चे की अच्छी हेल्थ के लिए की जाती है। उस समय विशेष पूजा से गर्भ के दोषों का निवारण तो किया ही जाता है साथ ही गर्भ में पल रहे बच्चे के स्वास्थ्य के लिए यह पूरी प्रक्रिया की जाती है।
- फल और सूखे मेवे पौष्टिक होते हैं। गर्भवती महिला को ये फल और मेवे इसलिए दिए जाते हैं कि वो इन्हें खाए, जिससे गर्भ में बच्चे की सेहत अच्छी रहेगी।
- इस दौरान जब बच्चा मां के गर्भ में होता है तो उसे अधिक प्रोटीन युक्त आहार की जरूरत होती है, उसे पूरा करने के लिए ड्राय फ्रूट सबसे आसान आहार है। इसके सेवन से हर तरह के जरूर पोषक तत्व माता के जरिए बच्चे को गर्भ में मिल जाते हैं।
- दूसरा कारण यह है कि फल और सूखे मेवों से शरीर में शक्ति तो आती ही है साथ ही इनके तेलीय गुणों के कारण इसमें चिकनाई भी आ जाती है, जिससे प्रसव के समय महिला को कम से पीड़ा होती है और शिशु भी स्वस्थ्य रहता है।
 

Latest Videos

Share this article
click me!

Latest Videos

तेलंगाना सरकार ने क्यों ठुकराया अडानी का 100 करोड़ का दान? जानें वजह
महाराष्ट्र में सत्ता का खेल: एकनाथ शिंदे का इस्तीफा, अगला सीएम कौन?
संभल हिंसा पर कांग्रेस ने योगी और मोदी सरकार पर साधा निशाना
'बसपा अब नहीं लड़ेगी कोई उपचुनाव'BSP Chief Mayawati ने खुद बताई बड़े ऐलान की वजह
कांग्रेस के कार्यक्रम में राहुल गांधी का माइक बंद ऑन हुआ तो बोले- मुझे बोलने से कोई नहीं रोक सकता