रामपुर लोकसभा उपचुनाव में सपा को तगड़ा झटका लगा है और इसी के साथ रामपुर आज़म खान का गढ़ माना जाता है ,जहां पर आज बीजेपी ने भगवा लहरा दिया है।
रामपुर: रामपुर लोकसभा उपचुनाव में सपा को तगड़ा झटका लगा है और इसी के साथ रामपुर आज़म खान का गढ़ माना जाता है जहां पर आज बीजेपी ने भगवा लहरा दिया है। लेकिन आज वहां पर बीजेपी ने सेंदमारी कर दी है और अपना कब्ज़ा जमा लिया है। इसके पीछे कई वजह भी सामने आ रही है कि क्यों सपा को अपने ही गढ़ में जनता से हार मिली है।
अखिलेश यादव या पार्टी के बड़े नेता का चुनाव से दूर होना
अखिलेश यादव के ओवर कान्फिडेंस को इससे भी समझा जा सकता है कि वह दोनों जगहों पर प्रचार के लिए भी नहीं पहुंचे थे। यहां तक की अपने इस्तीफे से खाली हुई सीट आजमगढ़ भी अखिलेश नहीं गए थे। इसे भाजपा ने मुद्दा भी बनाया था। तब सपा की तरफ से कई तरह की बातें कहीं गई थी।
वोटर लिस्ट से तमाम मुस्लिमों का नाम गायब होना
आज़म खान ने वोटिंग से पहले बीजेपी पर जमकर निशाना साधा था और आज़म खान ने यहां तक कह दिया था कि मुस्लिमों का नाम वोटर लिस्ट गायब है। ये बीजेपी की चाल है और बीजेपी को अभी से लग रहा है कि वो लोकसभा उपचुनाव में हार रही है। लेकिन इस बार रामपुर में आज़म खान का दांव उल्टा पड़ गया और उनका अपना ही गढ़ रामपुर उनके हाथ से निकल गया है।
आजम के परिवार के कैंडिडेट का चुनाव में न होना
बता दें कि रामपुर से आज़म खान ने इस्तीफा दिया था। जिसके बाद से ये सीट खाली चल रही थी और इस पर उपचुनाव होना था। जेल से छूटने के बाद आजम खान ने जीतोड़ मेहनत तो की लेकिन वो रंग ना ला सकी। उसके पीछे एक ये भी कारण सामने आ रहा है कि इस बार उनके घर का कोई भी कैंडिडेट चुनावी मैदान ने नहीं था। जिसकी वजह से जनता ने बीजेपी को मौका दिया है।
जीत को लेकर ओवर कॉन्फिडेंस
बीजेपी की लहर में भी जिन सीटों पर समाजवादी पार्टी ने लगातार जीत हासिल की थी, अब वह सीटें भी उसके हाथों से लगभग निकल गई हैं। रामपुर में सपा हार चुकी है और आजमगढ़ में भी हार गई है। अपने ही गढ़ में इस तरह की हार के पीछे पहली नजर में अखिलेश यादव का ओवर कॉन्फिडेंट नजर आ रहे है। अखिलेश यादव को लगता था कि वो बहुत आसानी से उपचुनाव जीत लेंगे, लेकिन इस बार उनका ये दांव उल्टा पड़ गया और उनका ओवर कॉन्फिडेंस उनको ले डूबा है।
मायावती ने बदल दिया खेल
लोकसभा उपचुनाव में मामला तब और रोचक हो गया, जब बसपा सुप्रीमो मायावती ने एंट्री ली। बसपा सुप्रीमो ने आजम खान की सीट पर प्रत्याशी नहीं खड़ा करने का ऐलान कर दिया। मायावती का ये कदम आजम के पक्ष में लिया गया माना गया। क्योंकि कुछ समय पहले ही आजम खान के खिलाफ दर्ज मुकदमों और उन्हें जेल भेजे जाने को लेकर मायावती ने उनके पक्ष में बयान दिया था। अब प्रत्याशी नहीं उतारकर इसे मायावती का आजम के प्रति सॉफ्ट सपोर्ट माना गया।लेकिन आजमगढ़ के लिए मायावती ने ऐसा नहीं किया। उन्होंने शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली को मैदान में उतार दिया। मायावती के इस कदम से आजमगढ़ में हलचल मच गई। कारण ये था कि गुड्डू जमाली की व्यक्तिगत छवि काफी अच्छी मानी जाती है। इसके अलावा आजमगढ़ में मुस्लिम, यादव और दलित वोट बैंक निर्णायक माने जाते हैं। ये सपा का गढ़ जरूर माना जाता रहा है लेकिन बसपा का भी यहां अच्छा जनाधार माना जा रहा है।
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