Special Report: महंगाई की चादर के बीच सजेगा नवरात्रि और रमजान का बाजार, देखिए खास रिपोर्ट

चंद दिनों बाद नवरात्रि व रमजान का माह शुरू होने वाला है, लेकिन इससे पहले ही बादाम, काजू, अखरोट आदि के दाम में भी वृद्धि होनी शुरू हो गयी है। मसालों के दाम में बीते एक से दो सप्ताह के दौरान 20 फीसदी तक की तेजी आ चुकी है। वहीं यूक्रेन व रूस से आने वाले पाम ऑयल के रेट भी एक महीने में 25 प्रतिशत तक बढ़ चुके हैं।

Pankaj Kumar | Published : Mar 29, 2022 11:49 AM IST

अनुज तिवारी
वाराणसी:
पेट्रोल, डीजल खाद्य तेल, देशी घी आदि की लगातार बढ़ रही कीमतों के बीच अब हर घर की रसोई में प्रयोग होने वाले मसालों के दाम में भी आग लग गई है। बीते एक पखवाड़े के दौरान मसालों के दाम 20 प्रतिशत तक बढ़ गए हैं। यही हाल सूखे मेवों का भी है। चंद दिनों बाद नवरात्रि व रमजान का माह शुरू होने वाला है, लेकिन इससे पहले ही बादाम, काजू, अखरोट आदि के दाम में भी वृद्धि होनी शुरू हो गयी है। मसालों के दाम में बीते एक से दो सप्ताह के दौरान 20 फीसदी तक की तेजी आ चुकी है। वहीं यूक्रेन व रूस से आने वाले पाम ऑयल के रेट भी एक महीने में 25 प्रतिशत तक बढ़ चुके हैं। इसके अलावा पिछले एक वर्ष में रिफाइंड व वनस्पति घी के रेट जहां दोगुने के करीब पहुंच गए हैं, तो वहीं खुला देशी घी जो दिवाली के आसपास 500 रुपये किलो बिक रहा था, उसका दाम बढ़कर 560-580 रुपये हो गया है। बीते कुछ दिनों से मेवों के दाम भी बढ़ने शुरू हो गए हैं। नवरात्रि और रमजान की वजह से सूखे मेवे की डिमांड भी बाजार में बढ़ गई है।

शहर में मसालों का कारोबार करने वाले व्यापारियों के अनुसार पिछले एक पखवाड़े में मसालों के रेट में काफी बढ़ोतरी हुई है। फुटकर व्यापारी ने बताया कि जो लाल मिर्च दो सप्ताह पहले तक 180-200 रुपये किलो बेची जा रही थी, वहीं मिर्च 250-280 रुपये किलो तक बेची जा रही है। सबसे ज्यादा जीरा महंगा हुआ है। पिछले माह जीरा का मूल्य 220 रुपये किलो था। अब यह 250-300 रुपये किलो बेचा जा रहा है। इसी प्रकार काली मिर्च 550 रुपये किलो से 600-650 रुपये किलो तक पहुंच गई है। लौंग भी 900 रुपये किलो से बढ़कर 1000 रुपये किलो पहुंच गई है। हल्दी के रेट भी 10 रुपये बढ़े हैं। जो हल्दी पहले 90 रुपये किलो थी, आज वही हल्दी 100 रुपये किलो बिक रही है।

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बेमौसम बरसात ने मेहनत पर फेरा पानी
मेवा और मसाले के थोक कारोबारी बताते हैं कि पिछले साल नवंबर और दिसंबर में महाराष्ट्र में कई जगहों पर हुई बेमौसम बारिश ने किसानों की मेहनत पर पूरी तरह से पानी फेर दिया। किसान मसालों की फसल काटने की तैयारी कर ही रहे थे कि तभी बेमौसम बारिश ने कटी हुई मिर्च को बर्बाद कर दिया। किसानों के पास खराब फसल को फेंकने के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं था। ऐसा ही अन्य मसालों के साथ भी हुआ। नतीजतन, मसालों की आपूर्ति कम हो गई है और बाजार में अन्य मसालों की कमी के कारण मसालों की कीमत बढ़ गई है।

सरसों तेल और दालों के दाम भी छू रहे आसमान
कोरोना संक्रमण के तमाम दुश्वारियों के बाद महंगाई सितम बढ़ा रही है। महामारी की दूसरी और तीसरी लहर के बाद तेल और दाल के भाव में अप्रत्याशित बढ़ोतरी हुई है। पिछले कुछ महीनों में सरसों का तेल 50 रुपये प्रति लीटर महंगा हो गया है। रिफाइंड और वनस्पति घी आदि के दाम उछल गए हैं। दालों का भाव भी आसमान छूने लगा है। अरहर की दाल 30 रुपये प्रति किलो महंगी हो गई है। उड़द, मूंग, मसूर और चना के दाम रेट में एकाएक इजाफा होने लगा है। ऐसे में खाने का जायका भी फीका पड़ने लगा है। 

हर दिन बदल रहे उत्पादों के दाम
तेल व्यापारियों के मुताबिक तेल के दाम हर दिन बदल रहे हैं। यह बढ़ोत्तरी से दो से तीन रुपये तक की हो रही है। यूक्रेन संकट की वजह से सोयाबीन तेल सहित अन्य में लगातार वृद्घि जारी है। बीते दस दिनों में सोयाबीन तेल के दाम 250 से 350 रुपए तक प्रति 15 लीटर केन के बढ़ गए हैं। किराना व्यापारी मनोज गुप्ता ने बताया कि इन सबके पीछे प्रमुख कारण सनफ्लावर तेल है। जिसके बड़े निर्यातक रूस और यूक्रेन ने दोनों देशों ने सनफ्लावर तेल को शिपमेंट रोक दिए हैं। जिसकी वजह से भारतीय बाजार में लगातार सनफ्लावर में उछाल बना हुआ है। रिकॉर्ड तोड़ महंगाई की तरफ तेल के दाम जा रहे है। तेल व्यापारी अमन गुप्ता के मुताबिक पिछले एक माह में तेल के दामों में 350 रुपये प्रति टिन की तेजी आई हुई है। एक माह पहले सोयाबीन तेल की कीमत 2200 रुपये टिन की रेंज में चल रही थी, जो 2480 से 2500 रुपये प्रत्येक टीन पर वर्तमान में पहुंच चुकी है।

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