यूपी में जनसंख्या नियंत्रण नीति का ऐलान, सीएम योगी बोले- राज्य में प्रजनन दर 2.1 पर लाया जाएगा

उत्तर प्रदेश में अगले साल होने जा रहे विधानसभा चुनाव के बावजूद योगी सरकार तुष्टिकरण की नीति को लेकर कड़े एक्शन में है। उत्तर प्रदेश सरकार के राज्य विधि आयोग ने बेतहाशा बढ़ती आबादी को काबू में करने जनसंख्या (नियंत्रण, स्थिरीकरण व कल्याण) विधेयक-2021 का ड्राफ्ट तैयार किया है। 

लखनऊ। विश्व जनसंख्या दिवस पर यूपी में जनसंख्या नीति 2021-30 का ऐलान कर दिया गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस नीति का ऐलान करते हुए कहा कि बढ़ती आबादी विकास की राह में सबसे बड़ी बाधा है। इसको लेकर समय-समय पर चिंता जताई जाती रही है। जिन देशों और राज्यों में जनसंख्या नियंत्रण को लेकर कोशिशें की गई वहां सकारात्मक नतीजे सामने आए हैं।
मुख्यमंत्री आवास पर जनसंख्या स्थिरता पखवाड़ा कार्यक्रम का सीएम ने उद्घाटन किया। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि गरीबी का एक बड़ा कारण जनसंख्या भी है। नई जनसंख्या नीति में हर वर्ग का ध्यान रखा गया है। सीएम ने कहा कि हमें देश की बढ़ती आबादी को लेकर सोचना होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यूपी में प्रजनन दर कम करने की जरूरत है। यूपयी का अभी प्रजनन दर 2.9 है। सरकार का लक्ष्य इसे कम करके 2.1 पर लाना है। उन्होंने कहा कि दो बच्चों के बीच सही अतंर रखना जरूरी है। वरना उनमें कुपोषण का खतरा बना रहता है। सीएम ने कहा कि राज्य में नई जनसंख्या नीति को लागू करते हुए मुझे खुशी हो रही है।

विधानसभा चुनाव अगले साल, जनसंख्या नीति हथियार

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उत्तर प्रदेश में अगले साल होने जा रहे विधानसभा चुनाव के बावजूद योगी सरकार तुष्टिकरण की नीति को लेकर कड़े एक्शन में है। उत्तर प्रदेश सरकार के राज्य विधि आयोग ने बेतहाशा बढ़ती आबादी को काबू में करने जनसंख्या (नियंत्रण, स्थिरीकरण व कल्याण) विधेयक-2021 का ड्राफ्ट तैयार किया है। राज्य सरकार की वेबसाइट पर अपलोड किया जा चुका है। 19 जुलाई तक जनता से राय मांगी गई है। 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस पर जनसंख्या नीति का सीएम योगी आदित्यनाथ ने ऐलान भी किया। 

2 बच्चों से अधिक होने पर नहीं मिलेंगी सुविधा

बिल में प्रावधान किया जा रहा है कि दो बच्चों से अधिक पैदा करने वालों को सरकारी नौकरियां नहीं मिलेंगी। स्थानीय निकायों का चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। इसके साथ ही सरकारी योजनाओं का भी लाभ नहीं मिलेगा।

2 बच्चे वालों को मिलेगा फायदा

जो लोग दो बच्चों तक ही सीमित रहेंगे, उन्हें सरकारी नौकरियों में लाभ मिलेगा। यानी इन्क्रीमेंट से लेकर प्रमोशन तक फायदा होगा। सरकारी आवास आदि में भी फायदा होगा।

असम के मुख्यमंत्री भी इसी रास्ते पर

असम में हिमंत बिस्वा सरमा सरकार ने 18 जून को जनसंख्या नियंत्रण कानून के तहत दो बच्चों की पॉलिसी का ऐलान किया था। हालांकि, चाय के बागानों में काम करने वाले मजदूरों, अनुसूचित जाति और जनजाति को इस कानून के दायरे में नहीं रखा गया है। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने जनसंख्या नियंत्रण पॉलिसी पर चर्चा करने के लिए मुस्लिम समाज के बुद्धिजीवियों से मुलाकात भी की थी। दिल्ली में पत्रकारवार्ता करते हुए हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा था कि असम के मुस्लिम बुद्धिजीवियों से मुलाकात करने के पहले वह आल असम माइनारिटी स्टूडेंट्स यूनियन से पिछले महीने मुलाकात कर चुके हैं। इन संगठनों का मानना है कि जनसंख्या एक समस्या है और हमको इसका समाधान करना चाहिए। असम में इस मसले को लेकर कोई विवाद नहीं है। उन्होंने कहा कि असम के बाहर कुछ लोग कंट्रोवर्सी पैदा करना चाहेंगे क्योंकि यह पॉलिसी बीजेपी ला रही है लेकिन ऐसा होने नहीं पाएगा। मुस्लिम समाज की गरीबी, अशिक्षा को जनसंख्या नियंत्रण पॉलिसी से दूर किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि दो बच्चों के कानून पर असम के मुस्लिम समाज में कहीं भी विरोध नहीं है। 

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