अयोध्या में रामलला से पहले हनुमानगढ़ी क्यों गए थे PM मोदी? जानें बजरंगबली के इस स्थान का महत्व

हनुमानगढ़ी यानी हनुमान जी का घर। यह अयोध्या का सबसे प्रमुख और प्रसिद्ध हनुमान मंदिर है। यहां 6 इंच की बाल हनुमान की प्रतिमा है। चूंकि हनुमानगढ़ी एक टीले पर स्थित है, इसलिए यहां पहुंचने के लिए करीब 76 सीढ़ियां चढ़नी होती हैं। 

Asianet News Hindi | Published : Aug 5, 2020 7:30 AM IST / Updated: Aug 05 2020, 01:04 PM IST

अयोध्या.  Ayodhya Ram Mandir Bhoomi pujan:  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 5 अगस्त को राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन करने अयोध्या पहुंचे हैं। मंदिर का पूजन हो रहा है। पीएम ने पूजा स्थल पर बैठ भगवान राम को षाष्टांग दंडवत प्रणाम किया। रामलला के दर्शन से पहले पीएम मोदी हनुमानगढ़ी मंदिर गए थे। यहां उन्होंने श्रीराम के भक्त हनुमान के दर्शन किए। रामलला के दर्शन से पहले हनुमानगढ़ी जाकर दर्शन करने की परंपरा ही है जिसका निर्वाह प्रधानमंत्री मोदी ने भी किया। 

हनुमानगढ़ी में बाल हनुमान

हनुमानगढ़ी यानी हनुमान जी का घर। यह अयोध्या का सबसे प्रमुख और प्रसिद्ध हनुमान मंदिर है। यहां 6 इंच की बाल हनुमान की प्रतिमा है। चूंकि हनुमानगढ़ी एक टीले पर स्थित है, इसलिए यहां पहुंचने के लिए करीब 76 सीढ़ियां चढ़नी होती है। मुख्य मंदिर में बाल हनुमान के साथ उनकी मां अंजनी की प्रतिमा भी है। मंदिर परिसर में मां अंजनी और बाल हनुमान की एक और मूर्ति है जिसमें हनुमान अपनी मां अंजनी की गोदी में बालक रूप में लेटे हुए हैं। मंदिर की दीवारों पर हनुमान चालीसा की चौपाइयां अंकित हैं।

रामभक्ति से हनुमान ने पाया यह अधिकार

मान्यता है कि हनुमान जी का वास यहीं एक गुफा में है। वो यहीं रहकर रामजन्मभूमि और रामकोट की रक्षा किया करते हैं। कहा जाता है कि भगवान राम ने ही हनुमान की भक्ति से प्रसन्न होकर कहा था कि जो भी भक्त उनके (भगवान राम के) दर्शन के लिए अयोध्या आएगा उसे पहले हनुमान का दर्शन और पूजन करना होगा। यहां आज भी छोटी दिवाली के दिन आधी रात को संकटमोचन का जन्म दिवस मनाया जाता है। पवित्र नगरी अयोध्या में सरयू नदी में पाप धोने से पहले लोगों को भगवान हनुमान से आज्ञा लेनी होती है।

यहां हर वक्त मौजूद रहते हैं हनुमान!

दरअसल, चार वेदों में एक अथर्ववेद में अयोध्या को ईश्वर की नगरी कहा गया है। अथर्ववेद में कहा गया है कि अयोध्या स्वर्ग से कम नहीं। यहां स्वर्ग की भव्यता और दिव्यता है। चूंकि अयोध्या राम नगरी है, इसलिए मान्यता है कि यहां हर वक्त राम के सेवक हनुमान की उपस्थिति रहती है। हनुमान ने रामभक्ति की पराकाष्ठा पार कर दी, इसलिए आज राम के मंदिरों से कहीं ज्यादा हनुमान के मंदिर देखने को मिलते हैं।

राम के दर्शन की अनुमति लेने हनुमानगढ़ी जाते हैं भक्त!

दरअसल, हनुमान के मंदिर करीब-करीब हर गांव-कस्बे में मिल जाएंगे, लेकिन इसकी गारंटी नहीं कि राम मंदिर हो ही। मतलब साफ है कि हनुमान अपनी अनन्य रामभक्ति के कारण जन-जन के देव बन गए क्योंकि सनतानियों का आध्यात्मिक लक्ष्य राम की कृपा ही प्राप्त करना होता है, राम का सेवक ही बनना होता है। चूंकि हनुमान अपने प्रभु श्रीराम के सेवक और पहरेदार की भूमिका में रहे और हम सब जानते हैं कि मालिक से मुलाकात बिना पहरेदार की अनुमति के संभव नहीं।

इसलिए भगवान राम के दर्शन से पहले हनुमान के दर्शन की परंपरा है। रामभक्तों का मानना है कि राम के दर्शन के लिए हनुमान जी की अनुमति जरूरी है। तुलसीदास की रचना रामचरितमानस के सुंदरकांड में भी वर्णित है कि कैसे राम ने हनुमान को अपना सबसे प्रिय बताया है। यही कारण है कि राम की कृपा पाने के लिए हनुमान की भक्ति को विशेष महत्व दिया गया है। 

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