वीडियो डेस्क। महात्मा गांधी के पोते तुषार गांधी (Thushar gandhi) ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) के उस बयान पर आपत्ति जताई है जिसमें उन्होंने कहा था कि वीडी सावरकर (VD Savarkar) ने गांधी के निर्देश पर ब्रिटिश सरकार से माफी मांगी थी।
वीडियो डेस्क। महात्मा गांधी के पोते तुषार गांधी (Thushar gandhi) ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) के उस बयान पर आपत्ति जताई है जिसमें उन्होंने कहा था कि वीडी सावरकर (VD Savarkar) ने गांधी के निर्देश पर ब्रिटिश सरकार से माफी मांगी थी। उन्होंने Asianetnews.com को बताया कि यह आवश्यकतानुसार इतिहास को फिर से लिखने के एक बुरे प्रयास का हिस्सा था। उन्होंने कन्नूर यूनिवर्सिटी के पाठ्यक्रम विवाद पर टिप्पणी की कि हालांकि सावरकर की पुस्तकों का अध्ययन करने में कुछ भी गलत नहीं है, ऐसी पुस्तकों का उद्देश्य सिखाया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि अपने आवश्यकतानुसार इतिहास को फिर से लिखना भाजपा का एक बुरा कदम है। उन्होंने कहा कि सावरकर ने गांधीजी के अनुरोध पर माफी मांगी यह बयान पूरी तरह से गलत है। सावरकर के भाई ने एक बार माफी में उनका समर्थन लेने के लिए गांधी से मुलाकात की। उस समय गांधीजी ने सिर्फ इतना कहा था कि माफी मांगनी हो लेकिन इससे पहले सावरकर 11 बार माफी मांग चुके थे। भाजपा सच को छिपाकर अब केवल झूठा प्रचार कर रही है।
यहां तक कि गांधीवादी विचारधारा पर चलने का दावा करने वाले दल भी रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बयान का कड़ा विरोध नहीं कर पाए हैं। तुषार गांधी ने भी कन्नूर विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम विवाद पर टिप्पणी करते हुए कहा कि राजनीतिक दलों का एकमात्र लक्ष्य आदर्शों और विचारों को भूलकर चुनाव जीतना है। सावरकर की किताबों के पाठ्यपुस्तक होने में कुछ भी गलत नहीं है। सही गलत में अंतर करने के लिए सब कुछ सीखना अच्छा है। लेकिन सावरकर की किताबें पढ़ाते समय सावधानी बरतनी चाहिए। तुषार गांधी ने कहा कि सावरकर ने अपने विचारों को आकर्षित करने के लिए किताबें लिखीं।
क्या कहा था राजनाथ सिंह ने?
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने वीर सावरकर को लेकर कहा था, 'महात्मा गांधी के कहने पर ही वीर सावरकर ने क्षमा याचिका दाखिल की थी। महात्मा गांधी ने कहा था कि जैसे देश को स्वतंत्र कराने के लिए हम अभियान चला रहे हैं, उसी तरह सावरकर को आजाद कराने के लिए भी हम अभी अभियान चलाएंगे।' वीर सावरकर पर किताब के विमोचन के मौके पर राजनाथ सिंह ने कहा कि 'वीर सावरकर न तो फासीवादी थे, न नाजीवादी थे, वे केवल यथार्थवादी और राष्ट्रवादी थे।'