महंगाई सिर्फ भारत ही नहीं दुनियाभर में है और इसमें रूस तथा यूक्रेन के बीच बीते दो महीने से जारी युद्ध (Russia Ukraine Conflict) ने बड़ी भूमिका निभाई है। खाद्यान्न संकट की वजह से भारत में बीयर (Beer) की कीमतों पर भी इसका असर पड़ता दिख रहा है।
नई दिल्ली। Russia Ukraine war: रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध (Ukraine Russia Conflict) करीब दो महीने से जारी है। इस युद्ध ने इन दोनों देशों में तो तबाही मचाई ही हुई है, मगर पूरी दुनिया में भी हाहाकार मचा हुआ है। पूरी दुनिया में महंगाई का जो बढ़ी है, उसकी सबसे बड़ी और प्रमुख वजह इन दोनों देशों के बीच छिड़ा युद्ध भी है। फिलहाल भारत में गर्मी बढ़ी है और इस समय देश में जिस एक चीज की खपत बढ़ जाती है, वह बीयर है। तो भारत में बीयर (Beer) के शौकिनों आपके लिए जल्द ही बुरी खबर मिलने वाली है।
इस गर्मी में बीयर के दाम बढ़ने वाले हैं। कुछ बड़ी कंपनियों ने तो दाम बढ़ा भी दिए हैं, मगर बाकी कंपनियां भी इस लिस्ट में शामिल होने वाली हैं। ज्यादातर कंपनियों ने सरकार के पास अर्जी भी दे दी है और इसकी बड़ी वजह यूक्रेन का संकट में होना है। दरअसल, जौ की कमी और बीते कुछ साल में इसकी कीमत के साथ-साथ बीयर में पड़ने वाली दूसरी चीजों की कीमत में बढ़ोतरी हुई है। इसका असर अब तैयार बीयर की बोतल या केन के दाम पर पड़ेगा।
जौ और रॉ मेटेरियल के अलावा पैकेजिंग व ट्रांसपोर्टेशन खर्च भी बढ़ा
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, बीते एक साल में जौ के दाम में 65 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। इसके अलवा पैकेजिंग और ट्रांसपोर्टेशन खर्च में भी बढ़ोतरी हुई है। ऐसे में पुराने दाम पर कंपनियां बीयर कब तक बेचें। अब तो यूक्रेन से जौ भी नहीं मिल पा रहा। कुछ और देशों से जुगाड़ कर जौ मंगाए जा रहे हैं, तो लागत भी बढ़ रही है। भारत में खासकर गर्मी के मौसम में बीयर की खपत बढ़ जाती है। पूरे साल का 45 प्रतिशत तक बीयर करीब पांच महीने में खपत होती है। इन पांच महीने में मार्च, अप्रैल, मई , जून और जुलाई शामिल है।
यूक्रेन संकट में तो दुनिया में बीयर भी संकट में
दुनियाभर में सबसे ज्यादा जौ का उत्पादन यूक्रेन में होता है, जबकि भारत में जौ का उत्पादन बेहद कम होता है। ऐसे में कहा जा सकता है कि बीयर पर ज्यादातर निर्भरता यूक्रेन से हैं। मतलब साफ है कि यूक्रेन संकट में है तो बीयर संकट में हैं और आने वाले दिनों में यह संकट जल्दी खत्म होता नहीं दिख रहा, क्योंकि वहां से आयात तो प्रभावित हुआ ही है। युद्ध की वजह से फसल की कटाई और अगले सीजन के लिए फसल उत्पादन तथा रखरखाव आदि भी प्रभावित हुआ है।
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