कोरोना: दुनिया में 165 कंपनियां वैक्सीन बनाने में जुटीं, 23 ह्यूमन ट्रायल में; जानिए कब बनेगा टीका?

चीन के वुहान शहर से निकले कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया में दहशत फैला रखी है। अब तक 1.8 करोड़ लोग इस वायरस की चपेट में आ चुके हैं। एक तरफ जहां कई लोग जिंदगी और मौत से लड़ रहे हैं तो वहीं, दूसरी तरफ इस वायरस से बचाव के लिए सैकड़ों कंपनियां वैक्सीन बनाने में जुटी हुई हैं।

Asianet News Hindi | Published : Aug 6, 2020 6:25 AM IST / Updated: Aug 06 2020, 12:01 PM IST

नई दिल्ली. चीन के वुहान शहर से निकले कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया में दहशत फैला रखी है। अब तक 1.8 करोड़ लोग इस वायरस की चपेट में आ चुके हैं। एक तरफ जहां कई लोग जिंदगी और मौत से लड़ रहे हैं तो वहीं, दूसरी तरफ इस वायरस से बचाव के लिए सैकड़ों कंपनियां वैक्सीन बनाने में जुटी हुई हैं।

WHO की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, पूरी दुनिया में लगभग 165 कंपनियां ऐसी हैं, जो इस वक्त कोरोना वायरस के लिए वैक्सीन बनाने में जुटी हैं। कई कंपनियां ऐसी हैं जो शुरुआती चरण में होने के कारण WHO की लिस्ट में नहीं हैं। इस लिस्ट में जो वैक्सीन हैं वे प्री क्लीनिकल ट्रायल पार कर चुकी हैं या अंतिम चरण यानी की ह्यूमन ट्रायल में हैं। रूस की एक कंपनी ने तो कुछ ही हफ्तों में वैक्सीन लॉन्च करने का दावा भी किया है। 

लेकिन ऐसे में कई सारे सवाल है, जो इस वक्त सभी के जहन में हैं? 

जवाब किसी के पास नहीं
सवाल बहुत सारे है पर जवाब किसी के पास नहीं है। लोगों को इंतजार है, तो बस एक प्रभावी वैक्सीन के मार्केट में आने का। लेकिन अगर कुछ रिसर्च देखी जाएं तो संभवत, ये जवाब मिल सकते हैं। 

इन वैक्सीनों पर टिकीं सबकी नजरें

वैक्सीनकौन बना रहा किस फेज में कौन सी वैक्सीन
Covishielऑक्सफोर्ड                फेज-III
Coronavacसिनोवेकफेज-III
2 Canditatesसिनोफॉर्म  फेज-III
mRNA-1273मोडर्नाफेज-III
BNT162b2   पी-फिजर बायोटेकफेज-II/III
Ad5-nCoV  केनसिनोल-बीजिंगफेज- II


सफलता की संभावनाएं बहुत कम 
देखा जाएं तो किसी भी वायरस के लिए वैक्सीन डेवलप करने के लिए एक बहुत ही कठिन प्रकिया होती है, जिसमें सफल होने के चांस भी बहुत ही कम होते हैं। इसलिए हो सकता है कि इतनी सारी कंपनियां इस दौड़ में हैं, ताकि किसी एक को तो सफलता मिल जाए। 

उदाहरण के तौर पर, 100 में से महज 20 कंपनियां ऐसी होती हैं, जो ट्रायल के प्री क्लीनिकल स्टेज तक पहुंचती हैं। 80 प्रतिशत कंपनियां तो जानवरों पर ट्रायल के लिए उपयुक्त ही नहीं होती है। महज 5-6 उम्मीदवारों को ही मानव ट्रायल की अनुमति मिलती है, उसमें से भी सिर्फ एक या दो प्रतिशत को ही मानव पर इस्तेमाल करने के लिए अप्रूवल मिलता है। 

23 ह्यूमन ट्रायल फेज में
वर्तमान स्थिति में देखा जाएं तो WHO की लिस्ट में 165 ऐसी कंपनियां हैं, जो कोविड की वैक्सीन के लिए काम कर रही हैं। ये कंपनी प्री क्लीनिकल स्टेज तक पहुंच चुकी हैं, लेकिन इनमें ये केवल 23 ही मानव परीक्षण करने वाली हैं। इनमें से भी कई कंपनियां ऐसी होगी जो कि सफल भी नहीं हो पाएंगी। पिछले आंकड़ों पर नजर डाले तो, केवल एक चौथाई उम्मीदवारों को ही मानव परीक्षण के योग्य बताया गया था। लेकिन देखा जाएं तो हम भी हजारों कोरोनावायरस वैक्सीन की संभावना को नहीं देख रहे हैं। हो सकता है इन सभी ट्रायल में भी पांच या छह ही सफल हों पाएं और इसे भी एक बड़ी सफलता ही माना जाएगा।

कई कोरोनावायरस टीके की जरूरत 
इस वक्त पूरी दुनिया कोरोना वायरस से जंग लड़ रही है और लोग चाहते हैं कि जल्द से जल्द उनके पास कोरोना वायरस की वैक्सीन आ जाए। कई सारे विकसित देशों ने तो पहले से ही अन्य देशों के साथ अनुबंध कर लिया है कि वैक्सीन की खेप सबसे पहले उनके पास पहुंचेगी। ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि कई सारे विकासशील और गरीब देश इससे वंचित हो जाएंगे। इसलिए कई सारे देश जैसे इजिप्ट, थाईलैंड, अर्जेंटीना ने अनुभव न होते हुए भी अपने लेवल पर वैक्सीन बनाने का काम शुरू कर दिया है

नई टेक्नालॉजी की कोशिश
मौजूदा स्थिति में ये लड़ाई है समय के साथ, इसलिए कई सारी कंपनिया शॉर्टकट तरीका भी अपना रही हैं। दुनिया भर के अनुसंधान समूह वैक्सीन के लिए नई टेक्नोलॉजी का उपयोग कर रहे हैं , जिनमें से कुछ लास्ट स्टेज पर आकर सफल नहीं हुए। 

उदाहरण के तौर पर देखा जाए तो एक  वैक्सीन कंपनी ने DNA और RNA से वैक्सीन बनाने की कोशिश की लेकिन लास्ट स्टेज पर वह फैल हो गए। प्रयास लगातार जारी है ताकि जल्द से जल्द एक प्रभावी बनाया जा सके। 

फंड की उपलब्धता
किसी भी कंपनी के लिए वैक्सीन बनाना एक बहुत ही महंगा प्रॉसेस है जिसके लिए करोड़ों डॉलर की आवश्यकता होती है। हालांकि वर्तमान महामारी की स्थिति में सरकार से लेकर डोनर एजेंसी, मल्टीनेशनल कॉर्पोरेशन के साथ ही कई सारे उम्मीदवार वैक्सीन बनाने का दावा कर रहे हैं। देखा जाएं तो, यह एक हाई रिस्क वाला खेल है, लेकिन सफल होने वालों के लिए बेहद फायदेमंद साबित हो सकता है।

Share this article
click me!