कोरोना वायरस को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की भूमिका पर लगातार सवाल उठ रहे हैं। अब अमेरिका ने मंगलवार को आधिकारिक तौर पर अलग होने का फैसला किया है। अमेरिका मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका WHO से औपचारिक तौर पर अलग हो गया है।
वॉशिंगटन. कोरोना वायरस को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की भूमिका पर लगातार सवाल उठ रहे हैं। अब अमेरिका ने मंगलवार को आधिकारिक तौर पर अलग होने का फैसला किया है। अमेरिका मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका WHO से औपचारिक तौर पर अलग हो गया है।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प कोरोना को लेकर WHO की भूमिका पर सवाल उठा रहे थे। उन्होंने आरोप लगाया था कि संगठन चीन के नियंत्रण में है। साथ ही विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना को लेकर सूचनाएं काफी देर में जारी कीं।
अमेरिका सबसे ज्यादा प्रभावित
कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित अमेरिका हुआ है। यहां 30 लाख से ज्यादा केस सामने आ चुके हैं। जबकि 1.3 लाख लोगों की मौत हो चुकी है। अमेरिकी मीडिया 'द हिल' की रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रम्प सरकार के एक बड़े अधिकारी ने मंगलवार को बताया, व्हाइट हाउस ने अमेरिका को WHO से अलग कर लिया है। इसकी जानकारी संयुक्त राष्ट्र महासचिव को भी दे दी गई है।
अमेरिका ने रिश्ता क्यों किया खत्म?
अमेरिका कोरोना वायरस से बुरी तरह जूझ रहा है। महामारी से अमेरिका की अर्थव्यवस्था भी बुरी तरह प्रभावित हुई है। ऐसे में ट्रम्प का पूरा गुस्सा चीन और WHO पर निकल रहा है। WHO और अमेरिका के बीच खटास की शुरुआत भी यही से हुई। ट्रम्प ने आरोप लगाया है कि दुनियाभर में कोरोना से हो रही मौतों के लिए WHO और चीन ही जिम्मेदार है। ट्रम्प ने कहा था, चीन सिर्फ WHO को 4 करोड़ डॉलर देता है, इसके बाद भी उसका संगठन पर नियंत्रण है। अमेरिका 45 करोड़ डॉलर की मदद कर रहा है, इसके बाद भी WHO जरूरी सुधार में नाकाम रहा।
कितना फंड देता है अमेरिका?
विश्व स्वास्थ्य संगठन को अमेरिका ही सबसे ज्यादा फंड देता है। WHO को मिलने वाले असेस्ड का 22% हिस्सा अमेरिका से ही मिलता है। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि अमेरिका से खराब हुए संबंधों का असर सीधे तौर पर WHO पर पड़ेगा।