तो क्या कोविड-19 के इलाज में डायबिटीज की दवा हो सकती है कारगर

यूएसए की पेन स्टेट कॉलेज ऑफ मेडिसिन में कोविड-19 के डायबिटीज रोगियों पर रिसर्च हुआ था। रिसर्च करने वालों ने टाइप 2 मधुमेह से पीड़ित करीब 30 हजार रोगियों के इलेक्ट्रॉनिक मेडिकल रिकॉर्ड का विश्लेषण किया जो जनवरी और सितंबर 2020 के बीच सार्स-सीओवी-2 से पीड़ित पाए गए थे। 

Asianet News Hindi | / Updated: Sep 28 2021, 11:05 PM IST

नई दिल्ली। कोविड-19 (Covid-19) के इलाज के लिए एक अच्छी सूचना आई है। मोटापा (obesity) और टाइप 2 डायबिटीज (Diabetes type 2) की दवा लेने वालों में कोविड का खतरा कम होता है। एक रिसर्च में पता चला है कि वायरल बीमारी से पीड़ित होने से छह महीने पहले अगर रोगी ने यह दवा ली है, तो उसमें कोविड-19 का खतरा कम हो जाता है।

अमेरिका में हुआ रिसर्च, 30 हजार रोगियों की एनालिसिस

यूएसए की पेन स्टेट कॉलेज ऑफ मेडिसिन में कोविड-19 के डायबिटीज रोगियों पर रिसर्च हुआ था। रिसर्च करने वालों ने टाइप 2 मधुमेह से पीड़ित करीब 30 हजार रोगियों के इलेक्ट्रॉनिक मेडिकल रिकॉर्ड का विश्लेषण किया जो जनवरी और सितंबर 2020 के बीच सार्स-सीओवी-2 से पीड़ित पाए गए थे। 

रिजल्ट आया चौकाने वाला, अभी और रिसर्च की आवश्यकता

'डायबिटीज' पत्रिका में मंगलवार को प्रकाशित रिसर्च में बताया गया कि दवा ग्लूकागोन-लाइक पेप्टाइड-1 रिसेप्टर (जीएलपी-1आर) का और परीक्षण किया जाना चाहिए कि क्या वह कोविड-19 की जटिलताओं के खिलाफ संभावित सुरक्षा प्रदान कर सकता है।

पेन स्टेट में प्रोफेसर पैट्रिसिया ग्रिगसन ने कहा कि हमारे निष्कर्ष काफी उत्साहजनक हैं क्योंकि जीएलपी-1आर काफी सुरक्षा प्रदान करने वाला प्रतीत होता है, लेकिन इन दवाओं का इस्तेमाल और टाइप 2 मुधमेह से पीड़ित रोगियों में कोविड-19 के गंभीर खतरे को कम करने के बीच संबंध स्थापित करने के लिए और शोध की जरूरत है।

शोधकर्ताओं के अनुसार, कोविड-19 के कारण अस्पताल में भर्ती किए जाने और मौत से बचने के लिए टीका सबसे अधिक प्रभावी सुरक्षा है लेकिन विरल, गंभीर संक्रमण से पीड़ित रोगियों की हालत में सुधार के लिए अतिरिक्त प्रभावी उपचार की आवश्यकता है। कोविड-19 से पीड़ित जो मरीज पहले से ही मधुमेह जैसी बीमारियों से ग्रस्त हैं, उनके लिए संक्रमण का खतरा ज्यादा है और उनकी मौत भी हो सकती है। ब्रिटेन में हाल में एक अध्ययन में बताया गया कि देश में कोविड-19 के कारण जितने लोगों की मौत हुई, उनमें से करीब एक तिहाई टाइप 2 मधुमेह से पीड़ित लोग थे।

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