संकट में फंसे भारतीयों को तुरंत सहायता के लिए प्रवासी समुदाय को शामिल किया जाए: एनआरआई

भारतीय समुदाय कल्याण निधि (आईसीडब्ल्यूएफ) का गठन 2009 में किया गया था। इसका मकसद संकट और आपातकाल में विदेशों में मौजूद ऐसे भारतीय नागरिकों की सहायता करना है जिन्हें सबसे ज्यादा इसकी जरूरत हो

Asianet News Hindi | Published : Dec 21, 2019 7:20 AM IST

वाशिंगटन:  पैसों की कमी के चलते अपने नागरिकों की मदद कर पाने में भारतीय दूतावासों की असमर्थतता को देखते हुए एक प्रख्यात प्रवासी भारतीय (एनआरआई) ने विदेशों में संकट में फंसे भारतीयों को त्वरित आर्थिक मदद पहुंचाने के लिए प्रवासी समुदाय, आईसीडब्ल्यूएफ और अन्य प्रतिष्ठित संगठनों एवं व्यक्तियों को इस प्रक्रिया में शामिल करने का आह्वान किया है।

भारतीय समुदाय कल्याण निधि (आईसीडब्ल्यूएफ) का गठन 2009 में किया गया था। इसका मकसद संकट और आपातकाल में विदेशों में मौजूद ऐसे भारतीय नागरिकों की सहायता करना है जिन्हें सबसे ज्यादा इसकी जरूरत हो। भारत सरकार ने 2017 में, दूतावासों एवं वाणिज्य दूतावासों को प्रत्येक निधि की अदायगी के लिए नयी दिल्ली से अनुमति लेने संबंधी निर्णय निर्धारण प्रक्रिया का विकेंद्रीकरण कर दिया था।

मुद्दा विदेश मंत्रालय के समक्ष उठा

कई वर्षों से संकट में फंसे भारतीयों की मदद कर रहे न्यूयॉर्क के प्रेम भंडारी ने कहा कि चूंकि आईसीडब्ल्यूएफ पूरी तरह चंदे पर आधारित है, इसलिए अमेरिका और ब्रिटेन में मौजूद बड़े दूतावासों के पास ही पर्याप्त संसाधन होते हैं जो संकटग्रस्त भारतीय नागरिकों की जरूरतों को पूरा कर सके।

लेकिन, सूडान जैसे देश जहां फैक्टरी में लगी भीषण आग में 20 भारतीय मजदूरों की मौत हो गई थी, वहां के दूतावास तुरंत मदद नहीं कर पाते और आईसीडब्लूएफ का इस्तेमाल नहीं कर पाते क्योंकि राशि इतनी अधिक नहीं होती। 

भंडारी ने कहा कि वह भारत सरकार से अपील करते हैं कि प्रवासी भारतीयों और प्रवासी भारतीय समुदायों को इस निधि में खुले दिल से योगदान देने की अनुमति दें। साथ ही उन्होंने कहा कि उन्होंने यह मुद्दा विदेश मंत्रालय के समक्ष उठाया है।

(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)

(प्रतीकात्मक फोटो)

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