पाकिस्तान के मंत्री का दावा, करतारपुर कॉरिडोर खोलकर भारत को जो घाव दिए, उसे वह हमेशा याद रखेगा

करतारपुर कॉरिडोर को लेकर इमरान के मंत्री ने नया दावा किया है। पाकिस्तान के रेल मंत्री शेख रशीद ने इसे एक चाल बताया है। उनका दावा है कि इसमें भारत फंस गया है। और इससे भारत को हमेशा जख्म मिलेंगे।

Asianet News Hindi | Published : Nov 30, 2019 1:51 PM IST

लाहौर. करतारपुर कॉरिडोर को लेकर इमरान के मंत्री ने नया दावा किया है। पाकिस्तान के रेल मंत्री शेख रशीद ने इसे एक चाल बताया है। उनका दावा है कि इसमें भारत फंस गया है। और इससे भारत को हमेशा जख्म मिलेंगे।

9 नवंबर को इमरान खान ने करतारपुर कॉरिडोर का उद्घाटन किया था। गुरु नानक देव की 550वीं जयंती के मौके पर भारत से सिख श्रद्धालुओं का जत्था पहली बार करतारपुर गया था, इसमें पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और तमाम केंद्रीय मंत्री भी शामिल थे। 

'कॉरिडोर खोलने का विचार, आर्मी चीफ की दिमाग की उपज था' 
शेख रशीद ने शनिवार को कहा, पाकिस्तान के आर्मीचीफ ने ही करतारपुर कॉरिडोर को खोले जाने आईडिया दिया था। यह उन्हीं के दिमाग की उपज थी। रशीद ने कहा कि इससे हमेशा भारत को नुकसान होगा। 

उन्होंने कहा, ''जनरल बाजवा ने भारत को करतारपुर कॉरिडोर को खोलकर जो घाव दिए हैं उसे वह हमेशा याद रखेगा। यह भारत को तगड़ी चोट है। इस प्रॉजेक्ट से पाकिस्तान ने सिख समुदाय का प्यार जीता है।''

सुरक्षा एजेंसियों ने भी दी थी चेतावनी 
कॉरिडोर के उद्धाटन से पहले भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने इसे देश के लिए बड़ी चुनौती बताया था। एजेंसियों का मानना है कि इसके जरिए पाकिस्तान के कुछ अराजक तत्व भारत विरोधी गतिविधियों को अंजाम दे सकते हैं, खासकर तीर्थयात्रियों के संपर्क में भी आने की संभावनाएं हैं। कॉरिडोर को खोलने के पीछे पाक की उत्सुकता का यह भी कारण है कि वह इससे सिख भावनाओं का इस्तेमाल करके खालिस्तान एजेंडा भी भड़का सकता है। 

करतारपुर साहब में गुरुनानक देव ने बिताए थे 18 साल
करतारपुर साहब में गुरुनानक देवजी ने 18 साल बिताए थे। करतारपुर कॉरिडोर पंजाब के गुरदासपुर से तीन किमी दूर भारत-पाकिस्तान की सीमा से लगा है। नवंबर 2018 में दोनों देशों ने अपनी-अपनी ओर कॉरिडोर की नींव रखी थी। 9 नवंबर को दोनों देशों ने अपने अपने यहां कॉरिडोर का उद्धाटन किया था। इससे पहले श्रद्धालु भारत की सीमा से दूरबीन की मदद से गुरुद्वारा के दर्शन करते थे।

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