इजराइल हमास वॉर के बीच एक भारतीय युवक ने बर्बरता की कहानी को बताया। उन्होंने कहा कि पहले कभी भी ऐसा नजारा हम लोगों ने इजराइल में नहीं देखा था। इस बार मौत से सीधा आमना-सामना हो रहा है।
Israel Hamas War. इजराइल और हमास के बीच लगातार जारी युद्ध के दौरान एशियानेट सुवर्णा न्यूज के संपादक अजीत हनामक्कनवर युद्ध को कवर कर रहे हैं। इस दौरान उन्होंने इजराइल में तमाम लोगों से बातचीत की। इजराइल में 1964 से रहने वाले भारतीय अरुण ने बताया कि उन्होंने पहले भी कई बार रॉकेट के हमलों को वहां पर देखा है। लेकिन इस बार उनकी किस्मत अच्छी थी जो वह बच गए। उन्होंने बताया कि हमास महिलाओं और बच्चों के साथ जो कर रहा है वह इजराइल कभी सोच भी नहीं सकता था। हम लोग फिलिस्तीन के लोगों को रोजगार देते हैं पैसे देते हैं लेकिन वह हमसे नफरत करते हैं।
स्थानीय निवासी हारुन और जूली 1969 में इजराइल आए। वे दोनों भारत की वित्तीय राजधानी मुंबई से हैं। हारून ने बताया कि कैसे बीते 7 अक्टूबर को वह सिमचट तोराह के अवसर पर प्रार्थना करने के लिए सुबह 6:30 बजे मस्जिद जा रहा था। तभी सायरन बज गया, जो कि यहां हमले का संकेत होता है। हारून और अन्य लोगों को नमाज अदा करने के बाद एक कमरे में सुरक्षा की तलाश करनी पड़ी। नमाज के बाद पास में ही रॉकेट गिरा और विस्फोट हो गया। सौभाग्य से कोई हताहत नहीं हुआ। बातचीत के दोनों ने हिंसा के लगातार खतरे को बताया और कहा कि शांति से रहना मुश्किल हो गया है। उन्होंने आतंकवादियों की मंशा पर सवाल उठाया और बच्चों और महिलाओं सहित निर्दोष नागरिकों पर पड़े प्रभाव पर अफसोस जताया। हारुन ने बताया कि रॉकेट हमले समय-समय पर होते रहते हैं। उन्होंने इन हमलों के दौरान हवा में रॉकेट दागे जाने की कई घटनाएं देखी हैं।
जब जूली से क्षेत्र में महिलाओं और छोटे बच्चों से संबंधित स्थिति के बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने अपनी 89 वर्षीय मां के रॉकेट हमले के बारे में बताया। जूली के परिवार में सेना के सदस्य हैं और वे सभी शांति चाहते हैं। उसने समर्थन और युद्ध समाप्त करने की अपील की। कहा कि उनके सबसे बुरे सपने से भी बदतर स्थिति है। जूली ने हमास का समर्थन करने वालों और इजराइल के खिलाफ रहने वालों को 'राक्षस' बताया। हमास ने मासूम बच्चों और गर्भवती महिलाओं को भी नहीं बख्शा तो वे इंसान नहीं हो सकते हैं। इस तरह की हरकतें मानवता और मानवीय मूल्यों के खिलाफ हैं। उन्होंने इसराइल के भयभीत न होने और धमकियों का जवाब देने के संकल्प को दोहराया। कहा कि हमास द्वारा बंदी बनाए गए इजराइल के लोगों विशेषकर बीमार बच्चों और महिलाओं को सुरक्षित निकालने की जरूरत है।
जब जूली से इजरायल के हवाई हमलों के बाद फिलिस्तीन में नागरिक हताहतों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने पीड़ितों, विशेषकर बच्चों और महिलाओं के प्रति सहानुभूति दिखाई। सुझाव दिया कि अगर विरोधी पक्ष के लोग हमास का समर्थन करना बंद कर दें तो शांति की संभावना बन सकती है। जब बताया गया कि कैसे फिलिस्तीन की युवा पीढ़ी में इसराइल विरोधी भावनाएं और हमास के लिए समर्थन है, तो जूली ने बताया कि ये भावनाएं अक्सर बचपन से ही युवा मन में डाली जाती हैं। यह किसी के लिए अच्छा नहीं है। स्थिति ऐसी है कि दोनों अब मानते हैं कि शांति की संभावना नहीं है। लेकिन वर्तमान परिस्थितियों और घटनाओं को देखते हुए शांति जरूरी है।