400 साल पुराने साम्राज्य से इजराइल के इस शहर को भारतीय सेना ने कराया था आजाद, शहर हर साल वीरों को करता हैं नमन

Published : Oct 07, 2021, 09:57 PM ISTUpdated : Oct 07, 2021, 10:08 PM IST
400 साल पुराने साम्राज्य से इजराइल के इस शहर को भारतीय सेना ने कराया था आजाद, शहर हर साल वीरों को करता हैं नमन

सार

इंडियन आर्मी ने हाइफा को 400 साल पुराने ऑटोमन साम्राज्य से आजाद कराया था। हिस्ट्री ऑफ दि ग्रेट वॉर के अनुसार पूरे विश्व युद्ध में इस स्तर का युद्ध किसी घुड़सवार सेना ने नहीं लड़ा। 

हाइफा। देश ही नहीं विदेशी मुल्क भी भारतीय सैनिकों की वीरता को याद करता है और हर साल शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि देता है। इजराइल (ISrael) भी उन मुल्कों में एक है जो भारतीय सैनिकों की वीरता को नमन करता है। उत्तरी इजराइल का शहर हाइफा (Haifa city) हर साल भारत के बहादुर सैनिकों को श्रद्धासुमन अर्पित करता है जिन्होंने उनके शहर को प्रथम विश्व युद्ध में ऑटोमन साम्राज्य (Ottoman Empire) से मुक्त कराया था। गुरुवार को यहां श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया।

हाइफा में हुई श्रद्धांजलि सभा

हाइफा में भारतीय सैनिकों के कब्रिस्तान में आयोजित श्रद्धांजलि में मौजूद इजराइल में भारत के राजदूत संजीव सिंगला ने कहा कि पहले विश्व युद्ध में 10 लाख से ज्यादा भारतीय सैनिकों ने अपने घरों से दूर विदेशी मोर्चों पर लड़ाई लड़ी। उन्होंने ऐसे समय में अपना सबकुछ बलिदान किया जब उनके अपने, परिजन उनके सुरक्षित वापसी का इंतजार कर रहे थे। आज हम बहादुरी के साथ युद्ध लड़ने वाले और सर्वोच्च बलिदान देने वाले सैनिकों की बहादुरी और बलिदान को श्रद्धांजलि देते हैं।  

भारतीय सेना मनाती है हाइफा दिवस

इंडियन आर्मी भी अपनी तीन बहादुर कैवेलरी रेजीमेंट मैसूर, हैदराबाद और जोधपुर लांसर्स को श्रद्धांजलि देने के लिए हर साल 23 सितंबर को 'हाइफा दिवस' मनाती है।

यह है हाइफा मुक्ति अभियान

दरअसल, तीनों रेजीमेंट ने 15वीं इम्पीरियल सर्विस कैवेलरी ब्रिगेड (cavalry brigade) ने बहादुरी का प्रदर्शन करते हुए प्रथम विश्व युद्ध में हाइफा शहर को मुक्त कराया था। इंडियन आर्मी ने हाइफा को 400 साल पुराने ऑटोमन साम्राज्य से आजाद कराया था। हिस्ट्री ऑफ दि ग्रेट वॉर के अनुसार पूरे विश्व युद्ध में इस स्तर का युद्ध किसी घुड़सवार सेना ने नहीं लड़ा। मशीन गन से लगातार निकल रहीं गोलियों से सैन्य बलों के घोड़ों को निशाना बनाया गया लेकिन आगे बढ़ रही घुड़सवार सेना केा रोक नहीं जा सका। भाला और तलवारों से लैस भारतीय कैवेलरी रेजिमेंट ने सर्वेच्च बहादुरी दिखायी और माउंट कार्मेल के पथरीले रास्तों से दुश्मन का सफाया कर दिया।

बहादुरी के लिए वीर सैनिकों को मिले कई सम्मान

इस युद्ध में बहादुरी के लिए कैप्टन अमन सिंह बहादुर और दफादार जोर सिंह को 'इंडियन ऑर्डर ऑफ मेरिट' सम्मान मिला था। कैप्टन अनूप सिंह और सेकेंड लेफ्टिनेंट सागत सिंह को 'मिलिट्री क्रॉस' से नवाजा गया था। 'हाइफ के हीरो' के नाम से प्रसिद्ध मेजर दलपत सिंह को भी मिलिट्री क्रॉस से सम्मानित किया गया था।

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