इजराइल और हमास के बीच जारी युद्ध के दौरान एशियानेट न्यूज नेटवर्क की टीम गाजा बॉर्डर के पास पहुंची। टीम ने यहां पर लोगों से बातचीत भी की।
इजरायली युवा पुरुष और महिलाएं जो शिक्षा, यात्रा या कई अन्य कारणों से विदेश गए थे, अब हमास के खिलाफ लड़ाई में शामिल होने के लिए अपनी मातृभूमि लौट रहे थे। उन तमाम लोगों ने उत्साह औऱ मातृभूमि के प्रति प्रेम साफतौर पर दिखाई पड़ रहा था। हमास आतंकवादियों के हमले से बेहद प्रभावित पूरा इजराइल बदला लेने के लिए दृढ़ निश्चय करके तैयार है। इजराइल के सैनिक और जनता दोनों ही इस संघर्ष में योद्धा के रूप में आगे बढ़ने के लिए तैयार हैं। एशियानेट न्यूज नेटवर्क की टीम बेंगलुरु से अबू धाबी और अंत में इज़राइल की युद्धग्रस्त राजधानी तेल अवीव तक पहुंची। गाजा सीमा पर तनाव के बावजूद राजधानी में जनजीवन अपेक्षाकृत सामान्य नजर आया।
एशियानेट सुवर्णा न्यूज के संपादक अजीत हनामक्कनवर से बातचीत में इजराइल के लोगों ने बताया कि सायरन इन दिनों उनके जीवन में आम सी बात हो गई है। अब वह इन सायरन की आवाज को सुनकर उतना डरते भी नहीं है। जब भी हमास के आतंकी इजराइल को निशाना बनाने के लिए कोई कदम उठाते हैं तो पूरे शहर में सायरन एक्टिव हो जाते हैं। जिससे लोग अपनी सुरक्षा के लिए बंकरों या फिर सुरक्षित जगह पर जा सकें। यहां तक एशियानेट न्यूज नेटवर्क की टीम भी जिस होटल में ठहरी थी उसमें सुरक्षा को लेकर बंकर उपलब्ध करवाए गए थे। यह भी जानकारी दी गई थी कि सायरन बजने पर उसी बंकर में जाकर शरण लेनी है।