परवेज मुशर्रफ: Pakistan का जनरल जो मौत को बार-बार मात देता रहा,मृत्युदंड से भी बच गया लेकिन...

Pervez Musharraf पाकिस्तान के सबसे हालिया सैन्य शासक परवेज मुशर्रफ की किस्मत में पिछले दो दशकों में कई उतार चढ़ाव देखी थी। 1999 के तख्तापलट से सत्ता पर कब्जा करने के बाद, उन पर कई बार हत्या के प्रयास हुए लेकिन वह बच निकलते रहे।

Pervez Musharraf life journey पाकिस्तान में सैन्य शासन का इतिहास रहा है। जनरल परवेज मुशर्रफ भी सैन्य शासकों की पीढ़ी के रहे हैं। सैन्य अफसर के रूप में अपने शानदार करियर से लेकर तानाशाह तक उन्होंने हर किरदार को बखूबी निभाया और कदम-कदम पर मौत को मात देते रहे। लेकिन हमले, साजिश और एक्सीडेंट्स से बचकर आसानी से जान बचाने में माहिर यह जनरल आखिरकार बीमारी से हार गया। पिछले काफी दिनों से जनरल मुशर्रफ काफी दिनों से बीमार चल रहे थे और दुबई में उनका इलाज चल रहा था।

दो दशकों में जीवन के कई उतार चढ़ाव देखे थे जनरल ने

Latest Videos

पाकिस्तान के सबसे हालिया सैन्य शासक परवेज मुशर्रफ की किस्मत में पिछले दो दशकों में कई उतार चढ़ाव देखी थी। 1999 के तख्तापलट से सत्ता पर कब्जा करने के बाद, उन पर कई बार हत्या के प्रयास हुए लेकिन वह बच निकलते रहे। सैनिक जीवन से सत्ताधारी बने मुशर्रफ ने 2008 में चुनावों में हार का सामना किया। फिर आपातकाल लगाया, संविधान को गैर कानूनी ढ़ग से निलंबित रखा। लेकिन सत्ता में आने के बीस साल बाद उन पर राजद्रोह का मुकदमा चला और सजा-ए-मौत की सजा भी मिली। लेकिन यहां भी मुशर्रफ आसानी से बच निकले। एक महीना के भीतर ही उन को मिली मौत की सजा को बदल दिया गया।

दिल्ली में जन्में लेकिन विभाजन में पाकिस्तान चला गया परिवार

परवेज मुशर्रफ का जन्म दिल्ली में 11 अगस्त 1943 को उर्दू भाषी माता-पिता के घर हुआ था। 1947 में भारत की आजादी मिलने के दौरान हुए विभाजन में वह अपने माता-पिता के साथ पाकिस्तान चले गए थे। पाकिस्तान में उन्होंने स्कूली पढ़ाई कराची के सेंट पैट्रिक स्कूल से की।  बाद में, उन्होंने लाहौर के फॉर्मन क्रिश्चियन कॉलेज में गणित का अध्ययन किया और यूनाइटेड किंगडम में रॉयल कॉलेज ऑफ डिफेंस स्टडीज में शिक्षा प्राप्त की। 

भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान सेकेंड लेफ्टिनेंट थे

मुशर्रफ ने 1961 में पाकिस्तान सैन्य अकादमी में प्रवेश लिया। 1964 में उन्हें पाकिस्तानी सेना में नियुक्त किया गया। मुशर्रफ ने अफगान गृहयुद्ध में सक्रिय भूमिका निभाई। मुशर्रफ ने 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान सेकेंड लेफ्टिनेंट के रूप में युद्ध को देखा। 1980 के दशक तक, वह एक आर्टिलरी ब्रिगेड की कमान संभाल रहे थे। 1990 के दशक में, मुशर्रफ को मेजर जनरल के रूप में पदोन्नत किया गया, एक पैदल सेना डिवीजन सौंपा गया। हालांकि, बाद में उनके टैलेंट को देखते हुए विशेष सेवा समूह की कमान संभाली। इसके तुरंत बाद, उन्होंने उप सैन्य सचिव और सैन्य अभियानों के महानिदेशक के रूप में भी कार्य किया।

नवाज शरीफ ने सशस्त्र बलों के सर्वोच्च पद पर किया आसीन

सेना में एक लंबे करियर के बाद वह 1998 में तत्कालीन प्रधान मंत्री नवाज शरीफ के अधीन स्टाफ के प्रमुख बने। शरीफ ने जनरल को फोर स्टार जनरल के रूप में प्रमोट किया और इसके बाद वह तीनों सेनाओं के प्रमुख बन गए।

कारगिल युद्ध मुशर्रफ की देन

पूर्व तानाशाह ने नागरिक सरकार की मंजूरी के बिना 1999 कारगिल युद्ध शुरू किया था। पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के सहयोगियों का कहना था कि उन्होंने ऑपरेशन के जरिए भारत के साथ बातचीत को पटरी से उतारने की कोशिश की थी। कारगिल युद्ध, भारत और पाकिस्तान के बीच मई से जुलाई 1999 तक जम्मू और कश्मीर के कारगिल जिले में और नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर लड़ा गया एक सशस्त्र संघर्ष था। भारत में, संघर्ष को ऑपरेशन विजय के रूप में भी जाना जाता है। कारगिल युद्ध 3 मई से 26 जुलाई 1999 तक चला।

अलकायदा और तालिबान के संरक्षण का भी लगा आरोप

राष्ट्रपति मुशर्रफ पर अलकायदा और तालिबान के संरक्षण का भी आरोप लगा। नाटो के अलावा तत्कालीन अफगानिस्तान सरकार ने खुले तौर पर जनरल मुशर्रफ पर आरोप लगाया था लेकिन वह लगातार नकारते रहे। लेकिन नाटो और अफगान सरकार द्वारा अल-कायदा और तालिबान के प्रति सहानुभूति रखने वाले आतंकवादियों के पाकिस्तान के कबायली क्षेत्रों से अफगानिस्तान में आंदोलन को रोकने के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं करने का आरोप लगाते रहे। हालांकि, 2011 में अलकायदा लीडर ओसामा बिन लादेन के वर्षों से रहने के खुलासा के बाद उनकी फजीहत हुई।

2007 में मुशर्रफ युग का पतन शुरू

2007 की शुरुआत में मुशर्रफ ने मुख्य न्यायाधीश इफ्तिखार मुहम्मद चौधरी को बर्खास्त कर दिया, जिससे देशव्यापी विरोध आंदोलन शुरू हो गया। विरोध के कुछ ही समय बाद इस्लामाबाद की लाल मस्जिद और उसके आस-पास के इस्लामिक स्कूल की खूनी घेराबंदी करने का आदेश दिया, जिसके परिणामस्वरूप 100 से अधिक लोग मारे गए। मस्जिद के मौलवियों और छात्रों पर पाकिस्तान की राजधानी में शरिया कानून की सख्त व्याख्या को लागू करने के लिए तेजी से आक्रामक अभियान चलाने का आरोप लगाया गया था। उस प्रकरण पर आक्रोश के कारण पाकिस्तानी तालिबान का निर्माण हुआ और बमबारी और हमलों का अभियान चला जिसमें हजारों लोग मारे गए। 2007 के अंत में नवाज शरीफ निर्वासन से लौटने और बेनजीर भुट्टो की तालिबान द्वारा हत्या के बाद से मुशर्रफ युग के अंत की शुरुआत हो गई। पूर्व जनरल ने आपातकालीन नियम लगाकर अपना कार्यकाल बढ़ाने की कोशिश की लेकिन फरवरी 2008 में उनकी पार्टी संसदीय चुनाव हार गई। छह महीने बाद, उन्होंने महाभियोग से बचने के लिए इस्तीफा दे दिया और फिर देश छोड़ दिया। 

दुनिया भर से व्याख्यान से हजारों डॉलर कमाया

लंदन और दुबई में रहते हुए, पूर्व राष्ट्रपति ने दुनिया भर में व्याख्यान टूर्स पर सैकड़ों हजारों डॉलर कमाए हैं। लेकिन उन्होंने कभी नहीं बताया कि उनकी मुख्य महत्वाकांक्षा अपने वतन में सत्ता में लौटने की है। मार्च 2013 में, वह नाटकीय रूप से चुनावों में भाग लेने के लिए पाकिस्तान लौट आए, लेकिन यह अपमान और गिरफ्तारी में समाप्त हो गया। उन्हें खड़े होने से रोक दिया गया और उनकी ऑल पाकिस्तान मुस्लिम लीग (एपीएमएल) ने उतना ही खराब प्रदर्शन किया, जितना कि कई लोगों ने भविष्यवाणी की थी। इसके बाद तो वह मुकदमों में उलझते गए। हालांकि, 2016 में चिकित्सा कारणों से यात्रा प्रतिबंध हटाए जाने के बाद, उन्होंने फिर से देश छोड़ दिया और तब से दुबई में निर्वासन में रह रहे हैं।

यह भी पढ़ें:

गुजरात यात्रा के दौरान जब अपने शिक्षक से मिले पीएम मोदी, भावुक पल को देख कौन Nostalgic न हो जाए

Tripura Assembly byelection: मुख्यमंत्री माणिक साहा समेत 22 कैंडिडेट्स मैदान में, एक पर्चा खारिज

Rajya Sabha Election results 2022: जानिए किसको, किस राज्य और पार्टी से मिली जीत, पूरी लिस्ट देखें

Share this article
click me!

Latest Videos

पहले गई सीरिया की सत्ता, अब पत्नी छोड़ रही Bashar Al Assad का साथ, जानें क्यों है नाराज । Syria News
Mahakumbh 2025: महाकुंभ में तैयार हो रही डोम सिटी की पहली झलक आई सामने #Shorts
The Order of Mubarak al Kabeer: कुवैत में बजा भारत का डंका, PM मोदी को मिला सबसे बड़ा सम्मान #Shorts
LIVE 🔴: रविशंकर प्रसाद ने भाजपा मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया | Baba Saheb |
20वां अंतरराष्ट्रीय अवॉर्ड, कुवैत में 'द ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर' से सम्मानित हुए पीएम मोदी