गली मोहल्ले में घूमकर बच्चों तक की राय जानती है सरकार, ऐसे बनता है इस देश का बजट

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को लोकसभा में बजट पेश करेंगी। देश का बजट तैयार करने के लिए सरकार आम लोगों से संपर्क करती है। पेश होने वाले बजट से आम लोगों को बड़ी उम्मीदें हैं।

Asianet News Hindi | Published : Jan 28, 2020 7:59 AM IST / Updated: Jan 28 2020, 02:51 PM IST

नई दिल्ली. आगामी 1 फरवरी को दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का बजट पेश किया जाएगा। वित्त मंत्रालय द्वारा बजट की तैयारियां भी तेज कर दी गई है। किसी भी देश का बजट उस देश के नागरिकों के जीवन को बहुत हद तक प्रभावित करता है। कभी बजट लोगों को कई राहत देता है तो कभी कई कठोर निर्णय मुश्किलें को बढ़ाता है। ऐसे में देश का हर वर्ग बजट में राहत की उम्मीद करता है। किसी भी बजट की पारदर्शिता उस देश के लोगों के प्रति सरकार की एक बड़ी जवाबदेही होती है। इस मामले में आज भी दुनिया के कई देश बहुत पीछे हैं।

1 फरवरी को पेश किया जाएगा बजट

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को लोकसभा में बजट पेश करेंगी। जिसमें बुनियादी ढांचे, नवीकरणीय ऊर्जा, रेलवे, कृषि, सिंचाई, मोबिलिटी, स्वास्थ्य, जल में निवेश के प्रावधान किए जाने की उम्मीद है। बीती तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 4.5 फीसदी रही। ऐसे में सरकार का मकसद मांग बढ़ाने और अर्थव्यवस्था में सुधार करने पर है। ऐसा कैसे किया जाएगा, इसे देखना बाकी है। 

आम लोगों की होनी चाहिए भागीदारी 

इंटरनेशनल बजट पार्टनरशिप द्वारा किए गए एक सर्वे के मुताबिक 100 में से 77 देश, जिनकी कुल जनसंख्या विश्व की आधी है, वे बजट में पारदर्शिता के मूलभूत मानदंडों को नहीं अपनाते हैं। हालांकि, सर्वे का कहना है कि इस मामले में भारत के बजट के सिस्टम में थोड़ा सुधार हुआ है। बजट की पारदर्शिता यानी वित्तीय बजट से संबंधित पूर्ण सूचनाओं को समयबद्ध और व्यवस्थित तरीके से देश के आम नागरिकों के सामने प्रस्तुत करना। बजट ट्रांसपैरेंसी की पूर्व शर्त यह है कि बजट बनाने की प्रक्रिया में आम जनता की भागीदारी हो। बजट में पारदर्शिता और आम लोगों की इसमें भागीदारी और सरकारी एजेंसियों की प्रतिबद्धता बढ़ती है साथ ही जनता के फंड का सही और न्यायसंगत उपयोग होता है।

गांव- गलियों, चौक-चौराहे सबसे ली जाती है राय 

दक्षिण अफ्रीका में बजट के पूर्व बाजारों और गांवों की गलियों से लेकर चौराहों पर बच्चों तक से आर्थिक नीतियों पर चर्चा की जाती है और उन्हें क्या चाहिए और क्या नहीं चाहिए। सर्वाधिक ट्रांसपैरेंट बजट वाले देश की सरकारें नया बजट लाने से पहले आम लोगों, संस्थाओं, संगठनों के विचार और उनकी प्रतिक्रियाएं और आकाक्षाएं ही नहीं जानती, बल्कि इससे और आर्थिक गतिविधियों से संबंधित व्यापक सूचनाएं भी समयबद्ध तरीके से मुहैया कराती हैं।

इस तरह तैयार होता है बजट 

रैंक 1- न्यूजीलैंड को बजट में पारदर्शिता के मामले में प्रथम स्थान मिला है। ओपन बजट इंडेक्स में 89 अंक के साथ पहले स्थान पर है।  इस देश को पिछले कुछ सालों में ओपन बजट सर्वे में कई पायदान का फायदा हुआ है। पिछली बार भी न्यूजीलैंड की रैंक पहली थी, यहां बजट बनाने की प्रक्रिया में जनता को शामिल किया जाता है। इसमें बजट तैयार करने के दौरान अपने विचार रखने के लिए सरकार सभी लोगों को पूरा मौका देती है। जिसमें सभी सरकारी अधिकारी सार्वजनिक कार्यक्रम में आम लोगों से जुड़ते हैं और राष्ट्रीय बजट मामलों पर अपना ओपिनियन देते है। जिस पर सरकार विचार करती है।  

रैंक 2-  ओपन बजट इंडेक्स में दक्षिण अफ्रीका दूसरे पायदान पर है। ओपन बजट इंडेक्स में 89 अंक के साथ दूसरे स्थान पर है। यह दुनिया के उन छह देशों में शामिल हैं, जो बजट की विस्तृत सूचना सांसदों और जनता को उपलब्ध कराते हैं। यहां पर बजट से पूर्व सरकार अपनी आर्थिक नीतियों के बारे में जनता तक व्यापक सूचनाएं भेजती है। इन पर गली-मोहल्लों और शहरों के निचले स्तर से उच्च स्तर तक के लोगों के विचार जानती है। यहां तक कि छोटे-छोटे बच्चों से भी इस पर चर्चा की जाती है। 

सार्वजनिक और कार्यकारी शाखा के अधिकारियों के सदस्यों को पायलट तंत्र के तहत लगाया जाता है। जो बजट तैयार करने की स्थितियों की निगरानी रखते हैं। इसमें बजट तैयार करने के दौरान लोग क्या चाहते हैं, आम लोगों के क्या विचार हैं इसके साथ ही सरकार की क्या योजना है। इसका आदान-प्रदान किया जाता है। 

रैंक 3-  स्वीडन ओपन बजट इंडेक्स में तीसरे स्थान पर है। स्वीडन को बजट इंडेक्स में 87 अंक मिला है। यहां बजट से पहले सरकार पब्लिक नोटिस लगाती है। इसमें लोगों से कुछ सुझाव मांगे जाते हैं। सुझाव को देखकर सरकार अपना बजट तैयार करती है और फिर लोगों के सामने अपने खर्च और खजाने का ब्योरा देती है। 

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