
वाशिंगटन. भारतीय अमेरिकी अटॉर्नी रवि बत्रा ने कहा है कि आतंक को जड़ से खत्म करने की जरूरत है ताकि अधिकारों और स्वतंत्रता का कुछ अर्थ बना रहे। उनका यह बयान उस वक्त आया जब अमेरिका के कई सांसदों ने जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त किए जाने के बाद राज्य में मानवाधिकारों के महत्व पर जोर दिया। न्यूयॉर्क से अटॉर्नी रवि बत्रा ने दक्षिण एशिया में मानवाधिकारों पर कांग्रेस की उप समिति के समक्ष अपनी बात कही।
आतंकवाद को जड़ से खत्म करने की जरूरत
एशिया, प्रशांत और परमाणु अप्रसार पर सदन की विदेश मामलों की समिति की उपसमिति में बत्रा ने कहा, ‘‘ जब सीमापार आतंकवाद हर रोज की बात बन चुकी है, घरेलू स्तर पर आतंकवादियों को बढ़ावा दिया जा रहा है और आप घर से बाहर नहीं आना चाहते क्योंकि आपको डर है कि कहीं विस्फोट की चपेट में नहीं आ जाएं। तो ऐसे में कोई व्यक्ति मानवाधिकार से पहले कुछ चाहता है तो वह है जिंदा रहना।’’ बत्रा ने कहा, ‘‘ मुंबई में 26 नवंबर 2008 में हुए आतंकी हमले की पृष्ठभूमि में, मैं चाहता हूं कि भारत से माफी मांगी जाए, उस हमले में यहूदी और अमेरिकियों को पाकिस्तान से आए आतंकियों ने चुन-चुनकर मारा था। तब मैंने संयम बरतने के लिए कहा था लेकिन मैं गलत था। आतंकवाद को जड़ से खत्म करने की जरूरत है ताकि हमारे अधिकार और आजादी बरकरार रहे।’’
अब्राहम लिंकन से की मोदी की तुलना
बत्रा ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन की तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कानूनी प्राधिकार के लिए कानून में संशोधन करने और कश्मीर में सीमापार तथा घरेलू स्तर पर पनपने वाले आतंकवादियों से लड़ाई में लोग हताहत नहीं हों, इसलिए भारी बल को तैनात करने जैसे असाधारण कदम उठाए हैं। बत्रा को सदन की विदेश मामलों की समिति के अध्यक्ष एलिट एंजल ने इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर अपनी बात रखने के लिए निजी तौर पर आमंत्रित किया था। यहां बत्रा ने अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को खत्म करने के बारे में मोदी की बात का जिक्र किया।
बत्रा ने कहा, ‘‘ उन्होंने (मोदी ने) कहा था कि उन्होंने यह कदम सभी भारतीयों को समान अधिकार और स्वतंत्रता देने के अपने वादे को पूरा करने के लिए उठाया। पांच अगस्त 2019 को उन्होंने जो किया वह न्यायसंगत था। वह इसके लिए सतर्क और तैयार थे। कोई युद्ध नहीं हुआ। कोई फोन सेवा या इंटरनेट कनेक्शन नहीं था इसलिए आतंकी कुछ नहीं कर पाए।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ऐसा लगता है कि भारत ने मुंबई आतंकी हमले से सबक लिया। यहां तक कि जम्मू-कश्मीर हवाईअड्डे पर आव्रजन जांच की पंक्ति में खड़े होते वक्त भी वहां फोन सेवा या इंटरनेट कनेक्शन उपलब्ध नहीं था। सुरक्षा बहुत मायने रखती है।’’
(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)
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