वर्ल्ड बैंक ((World Bank) की ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रिपोर्ट ( Ease of Doing Business) में बड़ी गड़बड़ी पकड़ी गई है। अपनी रैंकिंग गिरने से बचाने चीन ने इसमें हेरफेर कराई थी। एक जांच रिपोर्ट में उसकी पोल पकड़ी गई।
नई दिल्ली. वर्ल्ड बैंक ((World Bank) की ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रिपोर्ट ( Ease of Doing Business) की साख पर चीन के कारण बट्टा लग गया है। दुनियाभर में हो रहे इनवेस्टमेंट(investment) का पैमाना मानी जाने वाली इस रिपोर्ट में गड़बड़ी पकड़ी गई है। यह गड़बड़ी चीन ने कराई थी, ताकि उसकी गिरती रैंकिंग को रोका जा सके। स्पष्ट है कि चीन में निवेश घट रहा है। एक स्वतंत्र जांच एजेंसी ने खुलासा किया है कि 2018 से 2020 तक की इस रिपोर्ट को तैयार करने में बड़ी गड़बड़ी हुई। लिहाजा अब विश्व बैंक ने यह रिपोर्ट प्रकाशित नहीं करने का फैसला लिया है।
विल्मर हेल ने किया पूरा खुलासा
विश्च बैंक ने स्वतंत्र रूप से काम करने वाली एक ख्यात अमेरिकी लॉ फर्म विल्मर हेल से Ease of Doing Business रिपोर्ट का अध्ययन करने को कहा था, ताकि सच सामने आ सके। फर्म ने करीब 80 हजार डॉक्यूमेंट का अध्ययन किया और इससे जुड़े कई लोगों के इंटरव्यू लिए। इसके बाद फर्म ने 2018 से 2020 तक की Ease of Doing Business पर अपनी रिपोर्ट को अंतिम रूप दिया।
अपनी गिरती साख बचाने चीन लगातार यह कर रहा था
विल्मर फर्म की जांच में सामने आया कि चीन ने यह गड़बड़ी पहली बार नहीं, इससे पहले भी की। वो अपनी गिरती साख को बचाने लगातार दबाव डालकर Ease of Doing Business रिपोर्ट में हेरफेर करा रहा था। 2017 में sensitive capital raising के समय चीन ने बर्ल्ड बैंक के टॉप मैनेजमेंट पर प्रेशर डालकर दुनिया में अपनी गिरती साख को बचाने रैंकिंग का पूरा ट्रेंड ही बदलवा दिया था। अगर वो ऐसा नहीं करता, तो उसकी रैंकिंग 78 से 85वीं पोजिशन पर होती, हालांकि वो इसमें नाकाम रहा। जांच में सामने आया है कि विश्व बैंक के अध्यक्ष किम और CEO क्रिस्टीना जॉर्जिऐवा (Kristalina Georgieva) ने Doing Business से जुड़ी टीम को चीन के आंकड़े फिर से चेक करने को कहा था। इसके चलते चीन की रैंकिंग 78वें स्थान पर बनी रही।
सऊदी अरब पर भी लग चुके हैं आरोप
विल्मर हेल के अध्ययन में सामने आया है कि सिर्फ चीन नहीं, सऊदी अरब ने भी 2020 की रिपोर्ट में हेरफेर कराकर अपनी रैंकिंग बचाई थी। सऊदी अरब ने अपनी वित्तीय ताकत दिखाकर वर्ल्ड बैंक पर प्रेशर डाला था। बता दें कि सऊदी अरब ने पेड कॉन्ट्रैक्ट के जरिये विश्व बैंक को बड़ी रकम दी हुई है। माना जा रहा है कि उसका प्रेशर काम आया और वो रैंकिंग में सबसे लंबी छलांग मारने वाला देश दिखा।
भारत की साख में बढ़ोत्तरी
चीन और सऊदी अरब की पोल खुलने के बाद दुनियाभर में भारत में निवेश को लेकर सकारात्मक सोच बदलेगी। माना जा रहा है कि इससे भारत में निवेश बढ़ेगा, क्योंकि भारत में माहौल ठीक दिखाई देता है। बता दें कि भारत की Doing Business में रिपोर्ट लगातार सुधर रही है। 2020 में यह 63 थी। इससे पहले 2014 में यह 142 थी। जबकि 2017 में 130 और 2018 में 77 रही।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष भी चीन के फ्रॉड में शामिल
विल्मर हेल के अध्ययन में सामने आया है कि चीन के कहने पर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष(International Monetary Fund-IMF) के मैनेजिंग डायरेक्टर रहीं क्रिस्टलीना ने भी अपने स्टाफ पर दवाब बनाया था कि वो चीन की रैंकिंग अच्छी दिखाए। IMF के मौजूदा अध्यक्ष जिम योंग किम पर भी चीन लगातार प्रेशर डालता रहा है। हालांकि जॉर्जिऐवा इन आरोपों को नहीं स्वीकारती हैं। उन्होंने IMF बोर्ड के सामने अपनी सफाई दी है। इधर, अमेरिका के ट्रेजरी डिपार्टमेंट ने ऐलान किया है कि यह एक बेहद गंभीर मसला है, इसलिए वो इस रिपोर्ट का अपने स्तर पर अध्ययन करेगा।