गुरुवार को उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र होने से छत्र और उसके बाद रेवती नक्षत्र होने से मित्र नाम के 2 शुभ योग बन रहे हैं। इसके अलावा इस दिन सिद्धि व सर्वार्थसिद्धि नाम के 2 अन्य शुभ योग भी बन रहे हैं।
वैसे तो माता सरस्वती की कृपा पाने के लिए अनेक स्तुतियां व स्त्रोत की रचना की गई है, लेकिन सभी में विश्वविजय सरस्वती कवच प्रमुख है।
हमारे यहां पुरातन समय से ही घर में जानवर पाले जाते हैं। पहले के समय में गाय, भैंस आदि पाले जाते थे, जिनका व्यवसायिक उपयोग भी होता है। वर्तमान समय में कुत्ते, बिल्ली व मछली आदि शौकिया तौर पर पाले जाते हैं।
बुधवार को पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र होने से पद्म नाम का शुभ योग और उसके बाद उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र होने से लुंबक नाम का अशुभ योग बन रहा है।
ज्योतिष में कुल 9 ग्रह बताए गए हैं, इनमें से 2 ग्रह राहु और केतु छाया ग्रह हैं। आमतौर पर इन्हें अशुभ ग्रह माना जाता है।
मंगलवार की सुबह शतभिषा नक्षत्र होने से पहले मृत्यु और उसके बाद पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र होने से काण नाम के 2 अशुभ योग बन रहे हैं।
भारतीय ज्योतिष में 12 राशियां मानी गई है। नाम के पहले अक्षर के अनुसार व्यक्ति की राशि तय की जाती है। यानी सभी लोग इन 12 राशियों में ही आते हैं।
माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को वसंत पंचमी का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 30 जनवरी, गुरुवार को है। इस दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा विशेष रूप से की जाती है।
सोमवार को शतभिषा नक्षत्र होने से अमृत नाम का शुभ योग बन रहा है। रविवार की शाम से चंद्रमा राशि परिवर्तन कर मकर से कुंभ राशि में आ चुका है।
24 जनवरी, शुक्रवार से शनि राशि परिवर्तन कर मकर राशि में आ चुके हैं। इस राशि में पहले से ही सूर्य स्थित है। मकर शनि के स्वामित्व वाली राशि है।