लाइफ में हर समय छोटी-छोटी समस्या बनी रहती है। ऐसा सबके साथ होता है। लेकिन कुछ परेशानियां लंबे समय तक बनी रहती है और उसका कोई निराकरण भी नहीं मिलता। ऐसे में आदमी तनाव में आ जाता है और गलत निर्णय ले लेता है।
ज्योतिष शास्त्र (Astrology) की ही एक शाखा है हस्तरेखा (palmistry)। इसमें हथेली की रेखाओं और चिह्नों के आधार पर किसी भी व्यक्ति के भविष्य के बारे में काफी कुछ जाना जा सकता है।
फेंगशुई (Feng shui tips) वास्तु का ही आधुनिक रूप है। इसके छोटे-छोटे उपाय हमारी कई परेशानियां दूर कर सकते हैं। आज-कल बाजार में फेंगशुई से जुड़े कई गैजेट्स और शो-पीस आसानी से मिल जाते हैं। सभी शो-पीस का अलग-अलग महत्व और फायदे फेंगशुई में बताए गए हैं।
सपनों की अपनी एक अलग ही दुनिया है। कुछ लोग सपनों को मन का वहम मानते हैं लेकिन हिंदू धर्म में इसे भविष्य में होने वाली घटनाओं से जोड़कर देखा जाता है। सिर्फ इतना ही नहीं ज्योतिष शास्त्र में इससे संबंधित एक अलग शाखा भी है, जिसे स्वप्न शास्त्र कहते हैं।
हर साल ज्येष्ठ मास में जब सूर्य रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करता है तो नौतपा लगता है। कहते हैं कि इन 9 दिनों में गर्मी का प्रकोप बहुत ज्यादा होता है। सूर्य इस नक्षत्र में लगभग 14 दिनों के लिए आता है। इन चौदह दिनों के पहले के 9 दिन सर्वाधिक गर्मी वाले होते हैं।
ज्योतिष शास्त्र में मंगल ग्रह का विशेष महत्व है। इस ग्रह को देवताओं का सेनापति कहा जाता है। इसका स्वभाव बहुत उग्र है। जब ये ग्रह किसी की कुंडली में अशुभ स्थान पर हो तो उसे जीवन में अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
समुद्र शास्त्र ज्योतिष का ही एक हिस्सा है। इसमें शरीर के हर हिस्से और निशान के बारे में विस्तार पूर्वक बताया गया है। इसी के आधार पर किसी भी व्यक्ति के नेचर और फ्यूचर के बारे में भी जाना जा सकता है।
हिंदू धर्म में माता लक्ष्मी को धन की देवी कहा गया है यानी इनकी कृपा से ही हमें जीवन में सुख-समृद्धि और पैसों से जुड़े सभी सुख मिलते हैं। हर कोई चाहता है कि उसके पास पैसा और सभी ऐशो-आराम हो, लेकिन सभी लोगों के साथ ऐसा नहीं होता।
धर्म ग्रंथों के अनुसार, ज्येष्ठ मास की अमावस्या को शनि जयंती (Shani Jayanti 2022) का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 30 मई, सोमवार को है। मान्यता है कि इस तिथि पर शनिदेव का जन्म हुआ था।
प्रत्येक महीने के दोनों पक्षों की चतुर्थी तिथि को भगवान श्रीगणेश को प्रसन्न करने के लिए व्रत किया जाता है। इस बार ये व्रत 19 मई, गुरुवार को है। इस बार ज्येष्ठ मास की चतुर्थी होने से ये संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi 2022) व्रत कहलाएगा।