हथेलियों पर कई तरह के निशान, आकार और लकीरें बनी होती हैं। इन सभी का अध्ययन ज्योतिष की हस्तरेखा शास्त्र में किया जाता है।
ज्योतिष शास्त्र में गुरुवार को बृहस्पति ग्रह से संबंधित बताया गया है। पीपल, पीला रंग, सोना, हल्दी, चने की दाल, पीले फूल, केसर, गुरु, पिता, वृद्ध पुरोहित, विद्या और पूजा-पाठ यह सब बृहस्पति के प्रतीक माने गए हैं।
उज्जैन. 27 जून, रविवार को आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि है। इस दिन श्रवण नक्षत्र दिन भर रहेगा। रविवार को श्रवण नक्षत्र होने से गद नाम का शुभ योग इस दिन बन रहा है। इस दिन गणेश चतुर्थी व्रत किया जाएगा। चंद्रोदय रात 9.50 के बाद होगा। जानिए कैसा बीतेगा आपका दिन…
उज्जैन. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, व्यक्ति के स्वभाव पर उसकी राशि का भी प्रभाव पड़ता है क्योंकि राशियां अलग-अलग तत्व की होती हैं और इन राशियों के स्वामी ग्रह भी अलग-अलग होते हैं। प्रत्येक राशि के अपने अलग गुण-दोष होते हैं। ज्योतिष में कुछ ऐसी राशियों के बारे में बताया गया है जिनके लोग बहुत ही अंतर्मुखी स्वभाव के होते हैं। ये लोग जल्दी अपने मन की बात किसी को नहीं बताते हैं। इनके मन में क्या चल रहा है ये पता लगाना बहुत ही मुश्किल होता है। आज हम आपको ऐसी ही राशियों के बारे में बता रहे हैं…
उज्जैन. हिंदू धर्म ग्रंथों में देवी लक्ष्मी को धन-संपदा का स्वामी बताया गया है। यदि आप पैसे रखते या फिर गिनते समय कुछ गलतियां करते हैं तो इससे मां लक्ष्मी आपसे नाराज हो सकती हैं। इस वजह से आपको धन से संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। आगे जानिए पैसे गिनते और रखते समय किना बातों का ध्यान रखना चाहिए…
इस बार आषाढ़ महीना 25 जून से 24 जुलाई तक रहेगा। इस महीने में 5 शुक्रवार और 5 शनिवार का योग बन रहा है। ज्योतिषियों के अनुसार, ऐसा होने से खेती और इससे जुड़े कामों में नुकसान होने के योग बन रहे हैं।
उज्जैन. 26 जून, शनिवार को आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की द्वितिया तिथि है। इस दिन उत्तराषाढ़ा नक्षत्र दिन भर रहेगा। शनिवार को उत्तराषाढ़ा नक्षत्र होने से राक्षस नाम का अशुभ योग इस दिन बन रहा है। इस दिन दोपहर में लगभग 12.11 बजे चंद्रमा राशि बदलकर धनु से मकर में प्रवेश करेगा। मकर राशि में पहले से ही शनि स्थित है। एक ही राशि में 2 ग्रह होने से इसका असर सभी लोगों पर दिखाई देगा। जानिए कैसा बीतेगा आपका दिन…
समुद्र शास्त्र के अनुसार, ललाट की बात करें तो प्राचीन मुनियों ने ललाट पर सात प्रकार की रेखाएं बताई हैं। ये सात रेखाएं राहू-केतु को छोड़कर बाकी सातों ग्रहों की होती हैं।
किसी भी जन्म कुंडली का विचार करते समय मारक स्थान और मारकेश का विचार करना अत्यंत आवश्यक है। मारक स्थान वह होता है जहां से किसी व्यक्ति की आयु और उसके लिए मारक ग्रह अर्थात् कौन सा ग्रह उसके मृत्यु तुल्य कष्ट या उसकी मृत्यु का कारण बन सकता है, उसका विचार किया जाता है।
जिस तरह ज्योतिष में 12 राशियां बताई गई हैं उसी तरह अंकशास्त्र में एक से लेकर नौ तक के अंक निर्धारित किए गए हैं। इन अंकों पर किसी न किसी ग्रह का अधिपत्य रहता है।