ज्योतिष में पंच महापुरुष योग का वर्णन मिलता है। ये पंच महापुरुष योग हैं हंस, मालव्य, भद्र, शश और रूचक योग। ये सभी राज योगों की श्रेणी में आते हैं। जिस व्यक्ति की कुंडली में पंच महापुरुष में से एक भी योग होता है वे अपने जीवन में शीर्ष तक पहुंचते हैं।
उज्जैन. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब जन्म कुंडली में कोई ग्रह उच्च का होता है तो व्यक्ति को उससे संबंधित सभी शुभ फल मिलते हैं, जबकि नीच का ग्रह जीवन पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। कई बार देखने में आता है कि कोई ग्रह उच्च का होते हुए भी शुभ फल नहीं दे पाता। ऐसा तब होता है जब व्यक्ति उस ग्रह से संबंधित विपरीत काम करने लगता है। जानिए वह कौन-सी बातें हैं जो आपके शुभ ग्रह को भी अशुभ बना देती हैं…
वैदिक ज्योतिष के अनुसार आकाश मंडल को 360 अंश का माना गया है। इसमें 12 राशियों को स्थित किया गया है। इस प्रकार प्रत्येक राशि को 30 अंश प्राप्त होते हैं।
इस बार 28 मार्च को हिंदू कैलेंडर का अंतिम महीना फाल्गुन महीना खत्म हो चुका है। इसके अगले दिन यानी 29 मार्च, सोमवार से हिंदू कैलेंडर का पहला महीना चैत्र शुरू हो चुका है। ये महीना 27 अप्रैल तक रहेगा।
उज्जैन. होली के रंगों से भी आपके जीवन में खुशहाली आ सकती है। इसके लिए आपको होली खेलते समय कुछ खास रंगों का चयन करना होगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ऐसा करने से बिजनेस और नौकरी में भी लाभ होने की स्थिति बन सकती है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार, जानिए किस व्यवसाय या नौकरी वाले को किस रंग से होली खेलना फायदेमंद रहेगा-
हस्तरेखा विज्ञान में हथेली की रेखाओं के अलावा हाथ में पाए जाने वाले प्रत्येक प्रकार के चिह्न जैसे नक्षत्र, द्वीप, वर्ग, आयत, वृत्त, क्रॉस आदि का अध्ययन करके भविष्य कथन किया जाता है। ऐसा ही एक चिह्न है वलय।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शुक्र ग्रह भोग विलास, सांसारिक सुख, भौतिक सुख, प्रेम, सौंदर्य, आकर्षण, दांपत्य सुख आदि का प्रतिनिधि ग्रह है।
उज्जैन. 27 मार्च, शनिवार को फाल्गुन मास के शुक्ल पत्र की चतुर्दशी तिथि है। इस दिन पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र दिन भर रहेगा। शनिवार को पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र होने से लुंबक नाम का अशुभ योग इस दिन बन रहा है। जानिए कैसा बीतेगा आपका दिन…
इस बार होलिका दहन 28 मार्च, रविवार को है। इसके अगले दिन यानी 29 मार्च, सोमवार को धुरेड़ी मनाई जाएगी। होलिका की इस रात को दीपावली व शिवरात्रि की तरह महारात्रि की श्रेणी में शामिल किया गया है।
वैदिक ज्योतिष में आयु ज्ञात करने के कुछ नियम बनाए गए हैं। उन्हीं में से एक है अपने जन्म के वार के आधार पर आयु का पता करना। मानसागरी और ज्योतिष के अनेक प्राचीन ग्रंथों में वार के अनुसार आयु की गणना करने की पद्धति का वर्णन मिलता है।