अंकों का हमारे जीवन में काफी अधिक महत्व है। जीवन के हर क्षेत्र में अंक खास भूमिका निभाते हैं। इसलिए अंक शास्त्र का महत्व भी बढ़ता जा रहा है। अंक शास्त्र को न्यूमरोलॉजी भी कहते हैं। अंक शास्त्र का मूल आधार जन्म तारीख होती है।
आज (28 जनवरी, शनिवार) माघ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी और अष्टमी तिथि का संयोग बन रहा है। शनिवार को पहले अश्विनी नक्षत्र होने से सौम्य नाम का शुभ योग और इसके बाद भरणी नक्षत्र होने से ध्वांक्ष नाम का अशुभ योग इस दिन बन रहे हैं।
Palmistry: हस्तरेखा भविष्य जानने की एक विधा है। इसका उदय भारत में ही हुआ है। हस्तरेखा से भूत, भविष्य और वर्तमान के बारे में काफी कुछ जाना जा सकता है। हथेली के हर चिह्न का महत्व हस्तरेखा शास्त्र में बताया गया है।
Narmada Jayanti 2023: हर साल माघ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को नर्मदा जयंती का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये तिथि 28 जनवरी, शनिवार को है। मान्यता है कि इसी तिथि पर नर्मदा नदी धरती पर अवतरित हुई थीं।
Planetary change february 2023: साल 2023 का दूसरा महीना फरवरी शुरू होने वाला है। इस महीने में कई ग्रह राशि बदलेंगे, जिसके कई शुभ-अशुभ योगों का निर्माण होगा। इसका प्रभाव सभी 12 राशि के लोगों के साथ-साथ पूरी देश-दुनिया पर भी दिखाई देगा।
Arulmigu Dhandayuthapani Swamy Temple: तमिलनाडु में स्थित अरुल्मिगु दंडायुधपाणी मंदिर काफी प्राचीन है। कहा जाता है कि इस मंदिर में स्वामी कार्तिकेय की जो प्रतिमा स्थापित है, उसका निर्माण 9 सबसे विषैले पदार्थों को मिलाकर किया गया है।
Hindu Tradition: हर हिंदू घर में एक छोटा मंदिर जरूर होता है। इस मंदिर में कई देवी-देवताओं की मूर्तियां होती हैं जैसे शिवजी, गणेशजी। प्रतिदिन इनकी पूजा भी की जाती है। घर के इस मंदिर में कुछ देवी-देवताओं की प्रतिमाएं रखने से बचना चाहिए।
Achala Saptami 2023 Upay: इस बार अचला सप्तमी का व्रत 28 जनवरी, शनिवार को किया जाएगा। इसे रथ सप्तमी भी कहते हैं। इस दिन भगवान सूर्य की पूजा विशेष रूप से की जाती है। मान्यता है कि इसी तिथि पर सूर्यदेव 7 घोड़ों वाले रथ पर सवार होकर प्रकट हुए थे।
अंक शास्त्र काफी हद तक सटीक भविष्यवाणी करता है। इसका मुख्य आधार जन्म तारीख होती है। जन्म तारीख के अंकों को जोड़कर ही मूलांक, भाग्यांक और नामांक निकाले जाते हैं और इसी के आधार पर किसी व्यक्ति के भविष्य की गणना की जाती है।
आज (27 जनवरी, शुक्रवार) माघ मास से शुक्ल पक्ष की षष्ठी और सप्तमी तिथि का संयोग बन रहा है। शुक्रवार को पहले रेवती नक्षत्र होने से श्रीवत्स नाम का शुभ योग और इसके बाद अश्विनी नक्षत्र होने से वज्र नाम का अशुभ योग इस दिन बन रहे हैं।