- Home
- Religion
- Spiritual
- Hindu Tradition: घर में भूलकर भी नहीं रखने चाहिए इन 5 देवी-देवताओं के चित्र या प्रतिमा, जानें क्यों?
Hindu Tradition: घर में भूलकर भी नहीं रखने चाहिए इन 5 देवी-देवताओं के चित्र या प्रतिमा, जानें क्यों?
- FB
- TW
- Linkdin
घर के मंदिर में ध्यान रखें ये बातें...
हिंदू धर्म में पूजा एक अनिवार्य परंपरा है। कोई व्यक्ति मंदिर में जाकर पूजा करता है तो कोई घर पर ही पूजा कर लेता है। अधिकांश हिंदू परिवारों में घर में ही एक छोटा मंदिर जरूर होता है। इस मंदिर में शिवजी, गणेशजी, बालगोपाल आदि देवी-देवताओं की प्रतिमाएं और चित्र जरूर होते हैं। (Hindu Tradition) मान्यताओं के अनुसार, कुछ देवी-देवताओं की प्रतिमाएं या चित्र घर में रखने से बचना चाहिए, नहीं तो घर में कलह या परेशानियां होती रहती हैं। आगे जानिए कौन हैं वो देवी-देवता, जिनकी प्रतिमाएं घर में नहीं रखनी चाहिए…
भैरवनाथ
भगवान भैरवनाथ शिवजी के ही अवतार हैं, लेकिन ये इनका अतिक्रोधी अवतार है। भैरवनाथ की पूजा घर के बाहर ही करनी चाहिए। घर में इनकी किसी भी तरह की कोई प्रतिमा या चित्र नहीं लगाना चाहिए। घर में भैरवनाथ की प्रतिमा या चित्र रखने से कई तरह से वास्तु दोष उत्पन्न हो जाते हैं, जिसका असर घर के सभी सदस्यों पर हो सकता है।
महाकाली
देवी पार्वती का एक रूप है महाकाली। इस अवतार में देवी अत्यंत विकराल स्वरूप में दिखाई देती हैं। देवी का ये रूप घर के वास्तु को प्रभावित करता है। इस तरह के विकराल चित्र घर के ओरा मंडल पर नकारात्मक असर डालते हैं, इसलिए देवी महाकाली का चित्र या प्रतिमा न लगाएं तो बेहतर रहेगा।
नटराज
भगवान शिव जब क्रोधित होकर तांडव नृत्य करते हैं तो इस रूप को नटराज कहा जाता है। यानी इस रूप में शिवजी सौम्य न होकर क्रोधित अवस्था में होते हैं। वास्तु शास्त्र में शिवजी को इस रूप को प्रलंयकारी माना गया है, जो घर के वास्तु के लिए ठीक नहीं होता। इसलिए नटराज की मूर्ति या चित्र भी घर में नहीं रखना चाहिए।
शनिदेव
शनिदेव नवग्रहों में सबसे प्रमुख हैं और मनुष्यों के उसके अच्छे-बुरे कर्मों का फल भी शनिदेव ही देते हैं, इसलिए इन्हें न्यायाधीश भी कहा जाता है। शनि को क्रूर ग्रह भी कहते हैं यानी इनकी नजर जिस पर भी पड़ती है, उसका अनिष्ट होने की आशंका बढ़ जाती है। इसलिए घर में शनिदेव की कोई भी प्रतिमा या चित्र रखने से बचना चाहिए।
राहु-केतु
राहु-केतु की पूजा ग्रहों के रूप में की जाती है। इन्हें छाया ग्रह कहते हैं। वास्तव में ये एक राक्षस था जो अमृत पीकर अमर हो गया। जब भगवान विष्णु ने इसकी गर्दन काटी तो ये दो भागों में बंट गया। इस राक्षस का सिर राहु और धड़ केतु कहलाया। इनकी प्रतिमा घर के बाहर कर सकते हैं, लेकिन घर में इनके चित्र और प्रतिमा नहीं रखनी चाहिए।