सार
गर्मी के मौसम में कार का ख्याल रखना भी जरूरी होता है। इस मौसम में कार में कूलेंट कम होने पर वह ओवरहीट होने लगती है और इसके चलते इंजन सीज हो सकता है। जिससे कार बंद हो सकती है और इसे ठीक करवाने में लाखों का खर्च आ सकता है।
ऑटो डेस्क : गर्मी के मौसम में तेज धूप और बढ़ता पारा कार को भी गर्म कर देता है। कार का इंजन गर्म होने से कई तरह की समस्याएं होने लगती है। लेकिन सबसे ज्यादा असर इंजन पर ही होता है। दरअसल गर्मी में कार के इंजन का तापमान स्टार्ट किए बिना भी काफी ज्यादा होता है। इसकी वजह से इंजन ऑयल की थिकनैस या गाढ़ापन कम हो जाता है। कार जब भी स्टार्ट होती है, तब उसका फैन और रेडिएटर फास्ट काम करने लगता है। इसके साथ ही कूलेंट का सर्कुलेशन भी वाटर पंप की मदद से दोगुने से भी अधिक हो जाता है। ऐसे में कार की सेहत का ख्याल रखने के लिए समझना जरूरी है कि कार का कूलेंट (Car Coolant Functions) आखिर काम कैसे करता है और इसे कब-कब चेक करते रहना चाहिए...
गर्मी में इस तरह रखें कार का ख्याल
- कार का कूलेंट इंजन को ठंडा रखने का काम करता है। इसका सर्कुलेशन वाटर पंप से इंजन के आउटर चैंबर में होता है, जिसकी मदद से गर्मी कम रहती है। गर्मी के दिनों में यह सर्कुलेशन काफी तेजी से बढ़ जाता है।
- जब पानी गर्म हो जाता है, तब उसके बाद रेडिएटर से सर्कुलेट होता है और ठंडा होकर फिर से इंजन में जाता है। इस पूरी प्रक्रिया का काम सिर्फ इंजन को ठंडा रखना होता है।
- यह कूलेंट और डिस्टिल वाटर का मिश्रण होता है। हालांकि, जब एयर टाइट होता है, तब यह भाप बनकर उड़ता नहीं है। लेकिन बार बार इसके उबलने पर कार का कूलेंट जल्दी से अपनी प्रॉपर्टी कम या खत्म कर देता है।
- यही कारण है कि गर्मी के मौसम में कूलेंट हर महीने चेक करने की सलाह दी जाती है। क्योंकि गर्म होकर कूलेंट बॉटल में चिपक जाता है और इंजन में सिर्फ पानी ही कुछ समय तक रहता है। इसकी वजह से इंजन और रेडिएटर में कूलेंट न होने से जंग लग जाता है।
- कूलेंट और पानी का अनुपात भी काफी अहम होता है। जहां ज्यादा गर्मी पड़ती है, वहां कूलेंट और पानी का रेशियो 50:50 का होना चाहिए। ठंडी जगहों पर 70 प्रतिशत कूलेंट और 30 प्रतिशत पानी रहता है। ताकि तापमान कम होने के चलते पानी जमने न पाए।
- कार में कूलेंट जब भी कम होता है, तो कार ओवरहीट हो सकती है और इसके चलते इंजन सीज हो सकता है। इससे कार चलते-चलते बंद हो जाएगी और इसे ठीक करवाने में लाखों का खर्च आ सकता है।