सार
गाड़ी के दूसरे हिस्सों की तरह टायरों को सजाने-संवारने की ज़रूरत नहीं होती, इसलिए कई लोग अपनी गाड़ी की देखभाल करते हुए भी टायरों को नज़रअंदाज़ कर देते हैं। टायरों की सही देखभाल और सुरक्षा न करने के पीछे अज्ञानता या आलस्य हो सकता है। भले ही आप टायरों को सजाएँ-संवारें नहीं, लेकिन रोज़ाना उनकी जांच करना न सिर्फ टायरों की, बल्कि गाड़ी और उसमें सवार लोगों की सुरक्षा भी बढ़ाता है। टायरों की देखभाल के लिए ये रहे कुछ आसान तरीके।
1. एक्सपायरी डेट
टायर पर लिखी एक्सपायरी डेट पर खास ध्यान दें। एक्सपायर हो चुके टायर कभी इस्तेमाल न करें। भले ही ऐसे टायर घिसे हुए न दिखें, लेकिन उनकी मजबूती और पकड़ कम हो जाती है।
2. आकार और मानक
गाड़ी के लिए कंपनी द्वारा सुझाए गए आकार और मानक वाले टायर ही लगवाएँ। यह सुनिश्चित करें कि टायर उच्च गुणवत्ता वाले हों।
3. हवा की जांच
टायर का सबसे अहम हिस्सा हवा है। इसलिए हर दो हफ्ते में टायरों में हवा की सही मात्रा जांच लें। टायर ठंडे होने पर ही हवा की जांच करें।
4. ज़्यादा भार
गाड़ी में भार क्षमता की सीमा का हमेशा पालन करें। ज़्यादा भार ढोने से टायर फट सकते हैं। हवा का दबाव कम या ज़्यादा होने से भी खतरा होता है। अगर आपको ज़्यादा सामान के साथ लंबी यात्रा करनी है, तो टायरों में थोड़ी ज़्यादा हवा भरवा सकते हैं, लेकिन टायर पर लिखी सीमा से ज़्यादा नहीं।
5. गति सीमा
टायरों पर लिखी गति सीमा का हमेशा पालन करें।
6. खराब ड्राइविंग
ड्राइविंग की आदतें भी टायरों की उम्र पर असर डालती हैं। अचानक ब्रेक लगाने या तेज़ गति से गाड़ी चलाने से टायरों की ऊपरी परत घिस जाती है। मोड़ पर गाड़ी की गति धीमी रखें। पथरीली सड़कों पर तेज़ गति से गाड़ी न चलाएँ।
7. वाल्व
टायर के वाल्व को रबर कैप से ढक कर रखें। ये कैप धूल-मिट्टी को वाल्व में जाने से रोकते हैं। हमेशा गाड़ी में अतिरिक्त रबर कैप रखें।
8. अलाइनमेंट चेक
समय-समय पर टायरों का अलाइनमेंट चेक करवाएँ। गलत अलाइनमेंट से टायर जल्दी घिसते हैं और गाड़ी का माइलेज भी कम होता है।
9. विशेषज्ञ की मदद
खुद टायर न बदलें। इसके लिए किसी विशेषज्ञ की मदद लें। वरना टायर जल्दी खराब हो सकते हैं और दुर्घटना का खतरा भी रहता है।
10. टायरों की जगह बदलें
टायरों की जगह बदलने से उनकी उम्र बढ़ती है। हर 12,000 से 17,500 किलोमीटर के बाद टायरों की जगह बदलनी चाहिए।