सार

तेल उत्पादन करने वाले देशों का संगठन ओपेक ने मौजूदा जरुरत के हिसाब से तेल उत्पादन करने से मना कर दिया है। ओपेक के  मुताबिक मौजूदा समय कच्चे तेल की सप्लाई बढ़ा लेना, उसके कैपिसिटी से बाहर है, ओपेक के मुताबिक तेल के कुएं या सप्लाई के इंफ्रास्ट्रक्चर में इंवेस्ट कम हो गया है ।  ईधन के दामों में तेजी के बाद भारत के पास क्या ऑप्शन है, देखें..  

ऑटो डेस्क। भारत में पेट्रोल का दाम शतक लगाने के बाद अब 110 रुए के पार पहुंच गया है। डीजल भी पेट्रोल से बहुत ज्यादा पीछे नहीं है। देश में लोग पेट्रोल- डीजल के जीसएटी के दायरे में आने के बाद बड़ी गिरावट की उम्मीद लगाए बैठे हैं, ऐसे  तमाम लोगों का बड़ा झटका लग सकता है। दरअसल विश्व के बाजार में बीते 5 दिन में कच्चे तेल की कीमतें आसमान छू रहीं हैं।  सोमवार को कच्चे तेल की कीमतें (brent ब्रेंट) साल 2018 के बाद अपने शीर्ष पर पहुंच गई हैं। सोमवार को इंटरनेशनल मार्केट में कच्चा तेल 80 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया। 

कोरानाकाल के बाद अब जिंदगी जैसे-जैसे पटरी पर लौट रही है, पेट्रोल-डीजल की डिमांड बढ़ी है। मार्केट एक्सपर्ट के मुताबिक अभी कच्चे तेल का प्रोडक्शन उस तेजी से नहीं बढ़ पाया है।  इससे मांग और आपूर्ति में  बड़ा अंतर आ गया है, जिसने ईधन के दामों में भारी तेजी ला दी है। 

पूरी दुनिया में बढ़ रहे कच्चे तेल के दाम 
‘रॉयटर्स’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक लंदन में 0900 बजे (जीएमटी) प्रति बैरल कच्चे तेल की कीमत 79.24 अमेरिकी डॉलर थी और यह बीते  दिन से तकरीबन 1.5 परसेंट अधिक थी। बीते  तीन हफ्तों से कच्चे तेल में लगातार बढ़ोतरी जारी है। अमेरिका में भी पिछले दिनों 1.5 परसेंट वृद्धि के साथ कच्चे तेल के दाम 75.05 डॉलर पर पहुंच गए।  इस साल जुलाई के बाद यह सबसे ज्यादा रेट हैं। 

 गोल्डमैन सैक्स का संभावित अनुमान
वहीं गोल्डमैन सैक्स एजेंसी के मुताबिक 2021 के अंत तक ब्रेंट का भाव 90 डॉलर तक पहुंच  सकता है। बीते कुछ समय में लोगों की आवाजाही बढ़ी है। इससे तेल की मांग भी  बढ़ रही है। अमेरिका में आए तूफान आईडा की तबाही से भी तेल सप्लाई पर गंभीर असर पड़ा है। गोल्डमैन ने अपने अनुमान में कहा है, जितनी उम्मीद की जा रही थी, उससे कहीं ज्यादा मांग और सप्लाई में अंतर बढ़ा है।  

ओपेक ने प्रोडक्शन बढ़ाने से किया इंकार
तेल उत्पादन करने वाले देशों का संगठन ओपेक ने मौजूदा जरुरत के हिसाब से तेल उत्पादन करने से मना कर दिया है। ओपेक के  मुताबिक मौजूदा समय कच्चे तेल की सप्लाई बढ़ा लेना, उसके कैपिसिटी से बाहर है। ओपेक का कहना है कि तेल के कुएं या सप्लाई के इंफ्रास्ट्रक्चर में इंवेस्ट कम हो गया है और इंफ्रा का मेंटीनेंस बेहद धीमी गति से चल रहा है। ऐसे में सप्लाई बढ़ाने की संभावना कम है। मैक्सिको की खाड़ी में भी तेज हलचल है, जिस वजह से तेल की सप्लाई में मुश्किलें  आ रही हैं। 

भारत ने बढ़ाया तेल का आयात 
भारत में बीते तीन महीने में अगस्त में तेल का आयात सबसे ज्यादा बढ़ा है। जुलाई के बाद इम्पोर्ट में बड़ी तेजी देखी गई है, तेल की बढ़ती डिमांड को को देखते हुए रिफाइनर्स ने भारी मात्रा में तेल जुटाया है। इसलिए तेल का बड़ी मात्रा में आयात किया गया है। यदि इंटरनेशनल मार्केट में तेल के दाम बढ़ते हैं तो भारत के रिफाइनर भी उसी रेट पर तेल की सप्लाई करेंगे। वहीं ये भंडार भी कुछ ही दिनों की पूर्ति करेगा, भारत को इंटरनेशनल मार्केट से तेल का बढ़ी हुई कीमत पर आयात करने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा। हालांकि केंद्र सरकार  लगातार इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग के लिए प्रोत्साहन दे रहा है। इसके लिए सरकार सब्सिडी भी दे रही है। हालांकि इलेक्ट्रिक वाहनों का भारत में उपयोग ना के बराबर है, इसलिए इससे कोई ज्यादा असर पड़ने वाला नहीं है। आपको तेल की बढ़ी हुई कीमतों के दाम चुकाने के लिए तैयार रहना होगा। 

 

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