सार
बीजेपी के जिन नेताओं पर अनुशासन का डंडा चालाया उनमें पूर्व विधायक रामचन्द्र राम, कामेश्वर सिंह मुन्ना, देवरंजन सिंह शामिल हैं। बेगूसराय के पूर्व विधायक रामचंद्र राम एनडीए के अधिकृत प्रत्याशी के खिलाफ मैदान में हैं।
पटना। बिहार में 243 विधानसभा चुनाव (Bihar Polls 2020) के लिए पार्टियों को बागी उम्मीदवारों की चुनौती का भी सामना करना पड़ रहा है। हालांकि पार्टियां बागियों को लेकर बिल्कुल रहम के मूड में नजर नहीं आ रही हैं। तीसरे फेज के चुनाव में नाम वापसी के अंतिम क्षणों में बागियों पर बीजेपी (BJP) और आरजेडी (RJD) ने डांडा चलाया है। ये कार्रवाई 23 अक्तूबर को तीसरे फेज की नाम वापस लेने की समयसीमा खत्म हो जाने की बाद की गई है। बताते चलें कि बिहार में तीन चरणों में चुनाव हो रहे हैं। 28 अक्तूबर को पहले चरण के तहत मतदान हैं।
बीजेपी ने चलाया अनुशासन का डंडा
बीजेपी ने एनडीए के खिलाफ चुनाव लड़ने वाले तीन पार्टी नेताओं को 6 साल के लिए बाहर का रास्ता दिखा दिया है। बीजेपी के जिन नेताओं पर अनुशासन का डंडा चालाया उनमें पूर्व विधायक रामचन्द्र राम, कामेश्वर सिंह मुन्ना, देवरंजन सिंह शामिल हैं। बेगूसराय के पूर्व विधायक रामचंद्र राम एनडीए के अधिकृत प्रत्याशी के खिलाफ मैदान में हैं। छपरा के कामेश्वर सिंह मुन्ना और सिवाल के देवरंजन सिंह भी एनडीए प्रत्याशियों के खिलाफ मैदान में हैं।
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने पहले ही पार्टी के बागी नेताओं को नामवापसी के लिए कहा था। ऐसा नहीं करने की स्थिति में अनुशासन की कार्रवाई का सामना करने की चेतावनी दी थी। समयसीमा पूरी हो जाने के बावजूद तीनों नेताओं ने वापसी में दिलचस्पी नहीं दिखाई। अब पार्टी ने कार्रवाई की है।
आरजेडी ने 12 नेताओं को किया बाहर
आरजेडी ने भी एक दर्जन नेताओं पर अनुशासन का डंडा चलाया है। महागठबंधन उम्मीदवार के खिलाफ चुनाव लड़ने और पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए 12 नेताओं को 6 साल के लिए बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। जिन नेताओं को बाहर किया गया है उनमें प्रमुख रूप से सहरसा के विधायक मोहम्मद जफर आलम, पूर्वी चंपारण के विधायक राजेश कुमार, मुजफ्फरपुर के विधायक सुरेन्द्र राय, गोपालगंज के मोहम्मद नेमतुल्ला, चंपारण के पूर्व विधायक लक्ष्मी नारायण, विधायक अंबिका सिंह यादव और औरंगाबाद के आपदा प्रबंधन प्रकोष्ठ के उपाध्यक्ष प्रकाश चंद्र शामिल हैं।
(प्रतीकात्मक फोटो)