सार
चुनाव आयुक्त तैयारियों का जायजा लेने के लिए बिहार एक टीम रवाना कर रहे हैं। टीम संबंधित विभागों और अफसरों के साथ के साथ बातचीत और तैयारियों का जायजा लेगी। फिर टीम के दिल्ली लौटने पर मीटिंग के बाद शेड्यूल का ऐलान कर दिया जाएगा।
पटना। बिहार में भले ही चुनाव आयोग (ECI) ने अभी तारीखों का ऐलान नहीं किया है, मगर राजनीतिक सरगर्मी उफान पर है। हालांकि तारीखों की घोषणा नहीं होने की वजह से गठबंधनों में सीटों का समझौता फाइनल नहीं हो पा रहा है। लेकिन ये तय है कि आयोग अगले हफ्ते 27 सितंबर के बाद कभी भी विधानसभा चुनाव (Bihar Polls 2020) के लिए शेड्यूल अनाउंस कर सकता है। आयोग ने पहले ही ये साफ किया है कि हर हाल में नवंबर के अंत तक राज्य में 243 विधानसभा सीटों के लिए चुनाव करा लिए जाएंगे।
दरअसल, तारीखों का ऐलान आयोग की टीम के दिल्ली लौटने के बाद होगा। बताया जा रहा है कि चुनाव आयुक्त तैयारियों का जायजा लेने के लिए बिहार एक टीम रवाना कर रहे हैं। टीम संबंधित विभागों और अफसरों के साथ के साथ बातचीत और तैयारियों का जायजा लेगी। फिर टीम के दिल्ली लौटने पर मीटिंग के बाद शेड्यूल का ऐलान कर दिया जाएगा। यह भी माना जा रहा है कि तारीखों के ऐलान के बाद ही गठबंधनों का आखिरी स्वरूप और पार्टियों की शेयरिंग का फॉर्मूला साफ होगा।
क्या तीसरा मोर्चा बनाने की कोशिश में हैं ओवैसी?
बिहार चुनाव की लड़ाई मुख्य रूप से दो गठबंधनों NDA और महागठबंधन (Mahagathbandhan) के बीच होने की उम्मीद है। इस वक्त राज्य में एनडीए की सरकार है। सहयोगी दलों में JDU, BJP, LJP और हिन्दुस्तानी अवामी मोर्चा (HAM) शामिल है। जबकि महागठबंधन में RJD, Congress, RLSP, VIP और वामपंथी संगठनों के शामिल होने की उम्मीद है। वैसे राज्य में तीसरे मोर्चे की सुगबुगाहट भी है। असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM और पूर्व सांसद देवेंद्र यादव की पार्टी समाजवादी जनता दल (डेमोक्रेटिक) ने मिलकर जनतांत्रिक सेकुलर गठबंधन बनाया है।
छोटी पार्टियों पर नजर
ओवैसी (Asaduddin Owaisi), गैर एनडीए दलों को पहले भी गठबंधन के लिए आमंत्रित कर चुके हैं। जन अधिकार पार्टी चीफ (JAP) पप्पू यादव (Pappu Yadav) भी बिहार में तीसरा मोर्चा बनाने की कोशिश करते दिखे हैं। बिहार की वो छोटी-छोटी पार्टियां जो एनडीए या महागठबंधन में शामिल नहीं हैं उनके तीसरे मोर्चे या कोई और मोर्चा बनाने की संभावना चुनाव की घोषणा तक बनी रहेगी।
पत्रकारों पर मेहरबान हैं मांझी-पासवान
उधर, बिहार में विधानसभा चुनाव के लिए एलजेपी चीफ चिराग पासवान (Chirag Paswan) और हिन्दुस्तानी अवामी मोर्चा के चीफ जीतनराम मांझी (Jeetanram Manjhi) पत्रकारों पर मेहरबान दिखाई दे रहे हैं। दोनों चुनाव में पत्रकारों के मुद्दे को खड़ा करते दिख रहे हैं और टिकट देने के साथ ही पत्रकारों के हित से जुड़े मुद्दे भी उठा रहे हैं। मांझी ने वेब पत्रकारों को भी सरकारी अधिमान्यता देने की वकालत की है। उन्होंने पत्रकारों को सब्सिडी पर आवास देने की भी वकालत की है।
एलजेपी देगी टिकट
चिराग पासवान चुनाव में पत्रकारों को टिकट देने पर भी विचार कर रहे हैं। हाल ही में दिल्ली संसदीय बैठक के दौरान पार्टी नेताओं से बातचीत में इस मुद्दे पर चर्चा की हुई थी।