सार

लॉकडाउन के कारण रोजी-रोटी की तलाश में दूसरे राज्यों में गए बिहार के मजदूरों का वापस आना अभी भी जारी है। कोरोना के लगातार बढ़ते मामलों को देखते हुए भले ही केंद्र व राज्य सरकार सीमा सील कर दी हो, लेकिन इसके बाद भी जैसे-तैसे बिहार के मजदूर अपने घर पहुंच रहे हैं। 
गोपालगंज। बिहार-उत्तर प्रदेश की सीमा पर अवस्थित गोपालगंज जिले की सीमा पर आज सुबह 60 मजदूरों का जत्था पहुंचा। ये सभी मजदूर बिहार के सीतामढ़ी के रून्नीसैदपुर, सोनबरसा और भिट्ठामोड़ के रहने वाले हैं। करीब 1400 किलोमीटर की दूरी पैदल तय कर ये सभी लोग गोपालगंज की सीमा पर पहुंचे। जत्थे में शामिल कई मजदूरों हालत खराब हो गई है। लगातार पैदल चलते रहने और सही खान-पान नहीं मिलने के कारण कई बीमार और कमजोर हो गए है।

गोपालगंज सीमा पर पहुंचे मजदूरों ने बताया कि ये सभी राजस्थान के जैसलमेर में काम किया करते थे। जहां से 22 दिन पहले पैदल ही घर के लिए चले थे। 

राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश को पैदल किया पार
मजदूरों ने बताया कि ये लोग जैसलमेर के एक पत्थर के खदान में काम करते थे। लेकिन कोरोना फैलने और लॉकडाउन के बाद खदान बंद हो गया। उसके बाद खदान मालिक ने इन लोगों ने बकाए का भुगतान कर काम से हटा दिया। ऐसे में इनलोगों के पास बहुत सीमित पैसा था। जो दो-चार दिनों में ही समाप्त होने की कगार पर आ पहुंचा। ऐसे में बिना काम के वहां रहने इन मजदूरों के लिए संभवन हीं था।

जब खाने-पीने का संकट आने लगा तो सभी मजदूरों ने पैदल ही घर चलने की बात सोच जैसलमेर से निकल पड़े। करीब 22 दिनों के बाद ये लोग राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली और उत्तर प्रदेश की सीमा को पार करते हुए गोपालगंज पहुंचे। 

टुकड़ी में चलते थे सभी मजूदर, नहीं हुई कोई जांच
मजदूरों ने बताया कि रास्ते में इन लोगों की कहीं कोई जांच नहीं हुई। रास्ते में पुलिस और प्रशासन से बचने के लिए ये लोग टुकड़ी में चलते थे। सामाजिक संगठनों की ओर मिल रहे भोजन को खाकर पेट भरते थे और फिर आगे चल पड़ते थे। अभी भी ये मजदूर अपने घर नहीं पहुंचे हैं। बिहार की सीमा पर पहुंच जाने से इन लोगों में खुशी तो है, लेकिन खुद के कोरोना संक्रमित होने का डर भी है। अब इन लोगों को सीमा पर बने चेक पोस्ट पर जांच किए जाने की बात कही जा रही है। जांच के बाद इन्हें क्वारेंटाइन सेंटर में रखा जाएगा। उसके बाद घर भेजा जा सकता है।