सार
लॉकडाउन के कारणअसंगठित क्षेत्र के मजदूर, रिक्शा चालक और फुटपाथ पर दुकान लगाने वाले लोगों की रोजी-रोटी छिन गई, वहीं दूसरी ओर सवारी नहीं मिलने के कारण घर पहुंचना मुश्किल हो रहा है। ऐसे में लोग अपने-अपने तरीके से घर पहुंच रहे हैं।
मोतिहारी। कोरोना से बचाव के लिए जारी राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के कारण पूरे देश में सार्वजनिक वाहनों का परिचालन बंद है। ऐसे में घर से दूर रहने वालों असंगठित क्षेत्र के मजदूर, रिक्शा चालक और फुटपाथ पर दुकान लगाने वाले लोगों की परेशानी बढ़ गई है। लॉकडाउन के कारण एक तो लोगों की रोजी-रोटी छिन गई, वहीं दूसरी ओर सवारी नहीं मिलने के कारण घर पहुंचना मुश्किल हो रहा है। ऐसे में कई मजदूर पैदल ही घर के लिए निकल रहे हैं। शुक्रवार को बिहार के मोतिहारी में एक ऐसा शख्स मिला जो दिल्ली से रिक्शा चलाते बिहार पहुंचा।
1000 किमी की दूरी रिक्शे से की तय
दिल्ली से मोतिहारी की 1000 किलोमीटर की यात्रा रिक्शा से पूरी करने वाले व्यक्ति की पहचान मोतिहारी के कोठिया गांव निवासी गणेश सहनी के रूप में हुई है। गांव पहुंचने के बाद गणेश की स्वास्थ्य जांच की गई। जिसमें वो फिट निकला। गणेश ने बताया कि वो दिल्ली में रिक्शा चलाने का काम करता था। लॉकडाउन के बाद रिक्शा चलाने का काम बंद हो गया। साथ ही मकान मालिक ने घर में रखने से इंकार कर दिया। ऐसी स्थिति में वहां रहने का कोई उपाए नहीं देख रिक्शा चलात ही घर पहुंचने का प्रण लिया।
बेतिया और मुंगेर में पैदल ही पहुंचे मजदूर
इससे पहले गुरुवार को मुंगेर के सदर प्रखंड के जाफरनगर निवासी तीन मजदूर करीब 250 किलोमीटर की दूरी पैदल तय कर घर पहुंचे। जाफरनगर निवासी सत्तो कुमार, मोती कुमार और रंजन कुमार ने बताया कि वे लोग झारखंड के उचला शहर में चावल मिल में पिछले छह माह से काम कर रहे थे। काम बंद होने के बाद घर जाने का कोई उपाए नहीं मिला तो पैदल से 250 किलोमीटर की यात्रा पूरी करते हुए घर पहुंचे।
ऐसा ही एक और मामला बेतिया से सामने आया था। जहां गोरखपुर से पांच मजदूर रेलवे पटरी पकड़कर पैदल ही चनपटिया पहुंचे।