सार
लता मंगेशकर के गैराज में लग्जरी कारें मौजूद हैं। उन्होंने काफी पहले एक इंटरव्यू में कहा था कि उन्हें कारों का शौक है। लताजी ने बताया था कि सबसे पहले एक Chevrolet खरीदी थी,उन्होंने यह कार अपने गृहनगर इंदौर से खरीदी थी।
एंटेरटेनमेंट डेस्क । भारत रत्न स्वर कोकिला लता मंगेशकर का मुंबई के ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल में देहावसान हो गया है। लताजी को कोरोना होने के बाद आईसीयू में एडमिट कराया गया था। लता दीदी ने 36 भाषाओं में 30 हजार से ज्यादा गाने गाए थे। लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) का बचपन गरीबी और संघर्ष में बीता, हालांकि उन्होंने अपनी दम पर नाम,पैसा और शोहरत हासिल की है।
छोटी सी उम्र में मंच पर शुरू कर दिया गायन
लता दीदी ने छोटी सी उम्र में मंच पर गायन शुरू कर दिया था। आपको जानकर बेहद हैरानी हो सकती है उन्हें पहली बार मंच पर गाने के लिए मजह 25 रुपए मिले थे। हालांकि उस दौर में वो रकम भी महीने कुछ दिन के गुजारे के लिए बहुत होती थी। इस 25 रुपए की की कमाई को ही वह अपनी पहली कमाई मानती हैं। उन्होंने पहली बार 1942 में मराठी फिल्म 'किती हसाल के लिए गाना गाया था। इसके बाद शुरू हुआ सफर 60 सालों से अधिक समय तक चलता रहा।
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लताजी के गैराज में शानदार कारें
लता दीदी की बहुत सादगी से जीवन जीती थी। हालांकि उनके पास कारों का अच्छा कलेक्शन था। रिपोर्ट्स के मुताबिक लताजी के पास तकरीबन 370 करोड़ रुपये की कुल संपत्ति थी। लताजी साउथ मुंबई के पॉश इलाके में पेडर रोड स्थित प्रभाकुंज भवन में रहती थीं।
लता दीदी के गैराज में लग्जरी कारें खड़ी हैं। लताजी ने काफी पहले एक इंटरव्यू में कहा था कि उन्हें कारों का शौक है। लताजी ने इस इंटरव्यू में बताया था कि उन्होंने सबसे पहले एक Chevrolet खरीदी थी। लता दीदी ने यह कार अपने गृहनगर इंदौर से खरीदी थी। सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि ये कार उन्होंने अपनी मां के नाम से खरीदी थी। इसके बाद उन्होंने Buick कार खरीदी थी, उनके पास Chrysler कार भी थी। वहीं जानेमान फिल्मकार यश चोपड़ा ने तोहफे में मर्सिडीज कार दी थी। लताजी ने साक्षात्कार में बताया था कि, "दिवंगत यश चोपड़ा जी मुझे अपनी बहन मानते थे और बहुत स्नेह करते थे। 'वीरजारा' के म्यूजिक की रिलीज के समय उन्होंने एक मर्सिडीज की चाबी मेरे हाथ में रख दी और बताया कि वह मुझे कार गिफ्ट कर रहे हैं। मेरे पास अब भी वह कार है."।
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लोगों को मां सरस्वती की दिखती थी झलक
लता जी के शुरुआती दौर में बहुत से लोगों ने उनकी आवाज को पतली और बेअसर बताकर खारिज कर दिया था। लता की आवाज को पतली बताने वाले पहले इंसान थे फिल्मकार एस मुखर्जी। तमाम आलोचनाओं के बीच लताजी ने कभी हार नहीं मानी, वे अपने सुर के अलावा धुन की भी पक्की थीं, उन्होंने अपनी गलतियों से सबक लिया और संगीत जगत को ऐसा स्वर दिया किया लोगों को धरती पर ही मां सरस्वती की झलक देखने को मिल गई।
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इंदौर में हुआ था जन्म
लता मंगेशकर का जन्म 28 सितंबर 1929 को मध्य प्रदेश के इंदौर जिले में हुआ था। वह पांच भाई-बहनों में सबसे बड़ी थीं। उनके पिता का नाम दीनानाथ मंगेशकर था। वह शास्त्रीय संगीतज्ञ और रंगमंच के मशहूर कलाकार थे। उनका देहांत वर्ष 1942 में हुआ था। इसके बाद बहन मीना, उषा और आशा तथा भाई ह्रदयनाथ मंगेशकर की परवरिश की जिम्मेदारी उनके कंधों पर आ गई। लता मंगेशकर ने करीब 30 हजार फिल्मों में गाना गया था। उन्हेंने अंतिम गाना वर्ष 2011 में सतरंगी पैराशूट गाया था। उन्होंने दस फिल्मों में गाना गाया, जिसमें बड़ी मां, जीवन यात्रा जैसी मशहूर फिल्में भी शामिल हैं।
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