सार

'मुक्काबाज' फेम एक्टर विनीत कुमार सिंह बॉलीवुड इंडस्ट्री में 20 साल से काम कर रहे हैं। वो उन चुनिंदा एक्टर्स में से हैं जिन्होंने इंडस्ट्री में कभी काम न मिलने की शिकायत नहीं की। बल्कि खुद अपने लिए मौके बनाकर अपने टैलेंट को साबित किया है। विनीत ने अपनी अपकमिंग वेब सीरीज 'रंगबाज 3' के लिए एशियानेट न्यूज हिंदी से एक्सक्लूसिव बातचीत की...  

एंटरटेनमेंट डेस्क. 'मुक्काबाज' फेम एक्टर विनीत कुमार सिंह वेब सीरीज 'रंगबाज 3' में लीड रोल नजर आएंगे। जी5 पर स्ट्रीम होने वाली इस सीरीज में विनीत यूपी के माफिया हारुन शाह अली बेग की कहानी बयां करेंगे। इसमें उनके अपोजिट आकांक्षा सिंह, राजेश तैलंग, विजय मौर्या और प्रशांत नारायण जैसे कलाकार भी नजर आएंगे। सीरीज और पर्सनल लाइफ को लेकर विनीत से एशियानेट हिंदी ने एक्सक्लूसिव बातचीत की। जानिए विनीत ने क्या कहा...

सवाल. ट्रेलर देखकर आपके 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' वाले किरदार दानिश खान की याद आ रही है। 'रंगबाज' में आपकी एक्टिंग उससे किस तरह अलग है?
जवाब.
दोनों का काम और टोन सिर्फ एक जैसा बस, बाकी सारी चीजें इन दोनों किरदारों की अलग है। जहां दानिश अपने परिवार का सबसे शरीफ लड़का था, वहीं हारुन पूरी सिस्टम चलाता है। इस किरदार की एक लंबी जर्नी हमने यहां पेश की है। इसमें हमने 20 साल की एज से लेकर 50 साल की एज तक का सफर तय किया है। तो इस किरदार के लिए मैंने एक अलग तरह की अप्रोच के साथ काम किया है। मैंने इस सीरीज के लिए रनिंग शूट में ही 10 किलो वजन बढ़ाया है तो जब आप सीरीज देखेंगे तो आपको खुद इस किरदार में चेंजेंस नजर आएंगे। अब बात करें इस किरदार की तो यह किताबें पढ़ता है और पुराने गाने सुनता है जो दानिश का किरदार नहीं करता था। तो यही वो चीजें हैं जो एक एक्टर की एक्टिंग में चेंजेस लाती हैं और मैं किसी भी किरदार को तभी प्ले करता हूं जब मैं यह जान लेता हूं कि मेरे किरदार का माइंड सेट क्या है। 

सवाल. इस शो की शूटिंग के दौरान किस तरह के एक्सपीरियंसेस रहे?
जवाब.
हमने यूपी की सर्दियों में इस फिल्म की शूटिंग की। इसमें मेरे जितने भी कलाकारों ने काम किया सभी बेहद कमाल के हैं और जब आपके को-एक्टर्स कमाल के होते हैं तो अपने आप आपका काम बढ़िया हो जाता है। हम कभी-कभार ही अपनी वैनिटी में जाते थे, बाकी पूरे टाइम बाहर ही बैठे रहते थे। दिन में धूप सेंकते थे और चाय पीते थे। रात में आग जलाकर उसके आस-पास बैठे रहते थे। जिसका शॉट होता था वो एक्टर चला जाता था। शूटिंग के दौरान की एक घटना का जिक्र करूंगा जिसमें हमें पुलिस फायरिंग का सीन शूट करना था। इस सीक्वेंस को हम रात में 12 बजे के आस-पास शूट कर रहे थे और इसके लिए कई सारे कलाकार पुलिस के गेटअप में तैयार थे। तो जब हमने शूटिंग शुरू की और 12 बजे फायरिंग करना शुरू की तो आस-पास के गांव के लोगों को लगा कि कहीं कुछ बड़ा कांड हो गया है। यह वो समय था जब यूपी में इलेक्शन होने वाले थे। तो इसी बीच कई लोगों ने पुलिस वालों को इन्फॉर्म कर दिया कि यहां गोलियां चलने की आवाज आ रही है। ऐसे में मौके पर असली पुलिस की अच्छी खासी फौज हमारे सेट पर पहुंच गई और सेट पर जब रियल और रील पुलिस दोनों अच्छे से मिक्स हो गई तो एक्टर्स भी कन्फ्यूज हो गए। चूंकि वाइड शॉट लगे तो दूर-दूर तक कोई नहीं था और जब पुलिस मिक्स हो गई तो सेट पर बड़ा बवाल हो गया। फाइनली हमें पता चला कि मामला क्या है। फिर हमने असली पुलिस वालों को बताया कि भाई साहब यहां सिर्फ शूटिंग चल रही है। फिर उन्होंने सब चैक किया और आखिरकार जब उन्हें तसल्ली हुई तो हमने उन्हें चाय पिलाकर अलविदा किया। इसी तरह से एक दिन हम एक सीन शूट कर रहे थे जिसमें मेरे किरदार हारुन शाह बेग का दरबार लगता है जहां एक कांच के बक्से में ढ़ेर सारे पैसे रखे हुए थ। वहां किसी ने अफवाह उड़ा दी कि शूटिंग की आड़ में पैसे बंट रहे हैं। अब सेट पर थोड़ी ही देर में अच्छी खासी भीड़ जमा हो गई। हम उन्हें समझा-समझा के थक गए कि भाई यहां शूटिंग चल रही है कोई पैसे नहीं बंट रहे और इस बक्से में 500 की वो नोट है जो बहुत पहले बंद हो चुकी है पर लोग मानने को तैयार नहीं। खैर, हमने उन्हें काफी देर समझाया फिर वो समझे तो इस तरह के कई एक्सपीरियंस रहे।

सवाल. इस किरदार के लिए आपने कहीं से रेफरेंस लिया?
जवाब.
मै जब किसी किरदार की तैयारी करता हूं तो ये देखता हूं कि मेरे किरदार में चैलेंजिंग क्या है? तभी मुझे  काम करने में मजा भी आता है। बाकी जब किसी रोल की तैयारी शुरू करता तो सबसे पहले देखता हूं स्क्रिप्ट की ये तो मुझे फुलफिल करना ही है। उसके बाद राइटर, डायरेक्टर और शो रनर से बात करके वो सारी जानकारी एकत्रित करता हूं कि वो किरदार में दिखाना क्या चाहते हैं। इसके बाद उसे अपनी लाइफ से मैच करता हूं कि कहीं मेरे जीवन में कोई ऐसा एक्स्पीरियंस है क्या जहां से मैं इस किरदार को और बेहतर समझ सकूं। फिर मुझे जितनी ऐसी पर्सनालिटी समझ आती हैं जो मेरे किरदार के करीब हैं। उन सभी के इंटरव्यू या उनके हाव-भाव देख लेता हूं। तो इस किरदार के लिए भी मैंने बहुत सारे लोगों के रेफरेंस लिए हैं जिनमें से एक लखनऊ की जेल में बंद रहे गैंगस्टर का रेफरेंस भी है। उनसे मैं तब मिला था जब में मेडिकल स्टूडेंट था और प्रोट्रेस्ट करने के चलते अपने दोस्तों के साथ जेल में बंद था। तो कहीं न कहीं आपको अपने किरदार के लिए अपनी रियल लाइफ से ही कई एक्सपीरियंस मिल जाते हैं।

सवाल. 21 साल की एज में आपने संजय दत्त के साथ 'पिता' से डेब्यू किया था। फिर टुकड़ों में पहचान मिलती रही। इस पूरे दौर में कैसा स्ट्रगल रहा?
जवाब.
देखिए यह एक पूरे 20 साल का एक्सपीरियंस है जिसे आसानी से बयां नहीं किया जा सकता। मेरा स्ट्रगल काफी लंबा रहा है। 2012 में आई 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' से बतौर एक्टर मुझे पहचान मिली पर उसके बाद मेरे साथ के सारे एक्टर आगे चले गए पर मेरे साथ कुछ नहीं हो रहा था। 'अगली' और 'बॉम्बे टॉकीज' के लिए खूब तारीफ मिली पर वो काम नहीं मिल रहा था जो मैं चाहता था। ऐसे में देखा जाए तो मुझे असली पहचान 2018 में रिलीज हुई फिल्म 'मुक्काबाज' से मिली और इस फिल्म के लिए भी मैंने और मेरी बहन ने ही मिलकर मेहनत की। मुझे लगा कि अगर लोग मुझे लीड रोल नहीं दे रहे हैं तो मैं खुद ही अपने लिए एक स्क्रिप्ट तैयार कर लेता हूं। तो अब जब स्क्रिप्ट तैयार हो गई तो लोग उस पर पैसा लगाने को तैयार नहीं थे। वो मेरे ऊपर रिस्क नहीं लेना चाहते थे। इस फिल्म को लिखने से लेकर रिलीज करने तक में मुझे पांच साल का वक्त लग गया। फाइनली जब फिल्म रिलीज हुई तो इसके लिए मुझे बेस्ट एक्टर के दो अवॉर्ड भी मिले पर इसके बावजूद भी लोग मुझ पर रिस्क लेने से डरते हैं। अभी भी इस फिल्म को रिलीज हुए चार साल हो चुके हैं पर अभी तक मेरे पास कोई सोलो थिएट्रिकल रिलीज नहीं है। तो कहीं न कहीं मैं एक एक्टर हूं जो सिर्फ अपना काम कर रहा है, पर मैं एक बात समझ चुका हूं कि आप कितना भी अच्छा काम कर लो अगर आपकी फिल्म ने थिएटर में धूम नहीं मचाई तब तक आप पहचान नहीं बना पाते। और थिएट्रिकल रिलीज के लिए आपको चाहिए पहचान, जो मेरे पास नहीं है। बगैर बॉक्स ऑफिस के मुझे तारीफ मिलती है पर लीड के तौर पर काम नहीं मिलता। कुल मिलाकर मैं किसी को इसका दोष नहीं दे सकता, बस अपनी तरफ से मेहनत कर सकता हूं इसलिए आगे भी अपने लिए कुछ फिल्में लिख रहा हूं। अभी मेरे पास तीन स्क्रिप्ट्स तैयार हैं जिन्हें मैंने अपनी बहन के साथ मिलकर लिखी हैं। तो जब-जब मुझे अपने मन मुताबिक काम नहीं मिलेगा तो आगे जाकर अपनी ही कहानियों पर काम करूंगा।

सवाल. इतने पढ़े-लिखे होकर भी जब कुछ अनपढ़ एक्टर्स से रिप्लेस कर दिए जाते हैं या उन कम पढ़े-लिखे एक्टर्स को आगे बढ़ते हुए देखते हैं तब क्या महसूस करते हैं?
जवाब.
सबका अपना नसीब है पर बस इतना है कि 'मुक्काबाज' के हिट होने के बाद मुझे उम्मीद थी कि मुझे काम मिलेगा पर वैसा नहीं हुआ। फिर मैंने भी समझ लिया कि चलो अगर काम से भी ज्यादा बड़ा बॉक्स ऑफिस को माना जाता है, तो अब अगली बार वैसा कुछ करेंगे। बाकी मुझे ज्यादा फिल्में नहीं मिलने का एक बड़ा रीजन यह है कि मेरे पीछे किसी बड़े इंसान का हाथ नहीं है। मेरे करियर को शेप देने के लिए कोई खड़ा नहीं है। मैं इस फील्ड में नया हूं। सिर्फ काम करना जानता हूं और वही कर रहा। आज कैरेक्टर रोल करने के लिए मैं हां बोलना शुरू कर दूं तो मेरे पास अगले 4 साल तक डेट्स नहीं हैं। पर वो काम नहीं है जो मैं डिजर्व करता हूं।

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