सार

कैग की रिपोर्ट (CAG Report) के अनुसार ऑफ‍िसर्स और बिल्डर्स की मिलिभगत ने भूमि आवंटन में 'अनियमितताओं' को जन्म दिया और 2005 और 2014 के बीच विकास योजनाओं को मंजूरी दी। हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि दोषी अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की जाएगी, विशेषज्ञों को उम्मीद है कि रिपोर्ट रियल एस्टेट (Real Estate) में विकास के प्रोसेस को और ज्‍यादा बेहतर ओर पारदर्शी बनाने में मदद कर सकती है।

बिजनेस डेस्‍क।  नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) ने नोएडा प्राधिकरण (Noida Authority) पर अपनी परर्फोमेंस असेसमेंट  रिपोर्ट में कहा है कि बिल्‍डर्स और अध‍िकारियों की मिलिभगत की वजह से भूमि आवंटन और विकास योजनाओं के आवंटन में बड़ी 'अनियमितताएं देखने को मिली है। जिसकी वजह‍ से 2005 से 2014 के बीच सरकारी खजाने को 55,000 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। यह वो काल है जब राज्‍य में सपा की दो बार और बसपा की एक बार सरकार रही है। खास बात तो ये है कि कैग (CAG Report) की यह रिपोर्ट तब आई है जब राज्‍य में सत्‍ता बीजेपी की है और बसपा और सपा दोनों यूपी चुनाव 2022 (UP Election 2022) की तैयार‍ियों में जुट गई हैं।

समय पर नहीं की गई वसूली
अनियमितताओं ने प्राधिकरण के फाइनेंस पर भी भारी असर डाला। रिपोर्ट में कहा गया है कि 14,000 करोड़ रुपए के आवंटन मूल्य के मुकाबले बिल्डरों का बकाया 18,633 करोड़ रुपये तक पहुंचने के बाद भी, बकाएदारों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। उत्तर प्रदेश, 2021 में नोएडा में भूमि अधिग्रहण और संपत्तियों के आवंटन पर सीएजी की रिपोर्ट हाल ही में यूपी विधानसभा में पेश की गई थी। रिपोर्ट ने नोएडा औद्योगिक क्षेत्र के विकास में देरी का कारण बनने वाली विभिन्न खामियों, बाधाओं और कारणों का मूल्यांकन किया।

तीन कंपन‍ियों को बांटे गए कमर्शियल प्‍लॉट
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2005 और 2018 के बीच कमर्श‍ियल सेक्‍टर में प्लॉट आवंटन का लगभग 80 फीसदी तीन रियल एस्टेट फर्मों - वेव, थ्री सी और लॉजिक्स ग्रुप को दिया गया था।  कैग ने कहा कि इन कंपनियों द्वारा 14,958.45 करोड़ रुपए की बकाया राशि के मामले में बार-बार उल्लंघन के बावजूद, प्राधिकरण उनके खिलाफ कार्रवाई करने में विफल रहा। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2008-11 में नोएडा में शुरू की गई फार्महाउस योजनाएं बिना सरकारी मंजूरी के थीं और आवंटन "संदिग्ध" तरीके से किया गया था, जिससे सरकारी खजाने को 2,833 करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान हुआ था।

यहां पर हुआ इतना नुकसान
राष्ट्रीय लेखा परीक्षक कहा कि इसी तरह, नोएडा में एक स्पोर्ट्स सिटी बनाने की योजना के कारण 9,000 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ, और 4,500 करोड़ रुपए के भूखंड उन संस्थाओं को आवंटित किए गए जो निर्धारित निवल मूल्य, कारोबार या पिछले अनुभव को पूरा नहीं करते थे। केंद्रीय लेखा परीक्षक ने अपनी रिपोर्ट में यह भी पाया कि योजनाओं को लॉन्च करते समय जमीन की कीमतें भी मनमाने तरीके से और अक्सर सब-पार लेवल पर तय की जाती थीं, जिसके बाद आवंटियों ने बहुत कम स्टांप शुल्क का भुगतान किया।

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परियोजनाएं हो सकती हैं प्रभावित
यह देखने की जरूरत है कि गलती करने वाले बेनिफ‍िशरी के खिलाफ क्या कार्रवाई की जाएगी। विशेषज्ञों को उम्मीद है कि ऑडिट से सिस्टम को अधिक पारदर्शी बनाने और रियल एस्टेट के विकास को कारगर बनाने में मदद मिलेगी। आशुतोष कश्यप, निदेशक, सलाहकार सेवाएं (उत्तर भारत) कोलियर्स ने कहा तत्काल नतीजा प्राधिकरण से आवंटन/अनुमोदन में आशंका और कुछ मंदी देखने को मिलेगी। वहीं जो परियोजनाएं पाइपलाइन में हैं, वो प्रभावित हो सकती हैं। हालांकि, प्राधिकरण की प्रक्रियाओं और कामकाज पर एक जांच से पारदर्शिता, बेहतर प्रतिस्पर्धी खेल और स्वस्थ कारोबारी माहौल में सुधार होगा। प्राधिकरण को अब उन परियोजनाओं पर फिर से विचार करना पड़ सकता है जिनकी योजना बनाई जा रही है।

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2017 में ऑडिट कराने का लिया था फैसला
एनारॉक के निदेशक और प्रमुख प्रशांत ठाकुर ने कहा कि इस तरह की अनियमितताएं समग्र विकास में बाधा डालती हैं। उदाहरण के लिए, स्पोर्ट्स सिटी परियोजना पूर्ण होने की समय सीमा को पूरा करने में विफल रही और अभी भी निर्माणाधीन है। अंततः, होमबॉयर्स को नुकसान होता रहता है।  इसलिए, 2017 में राज्य सरकार द्वारा ऑडिट कराने का कदम सही था, जो सिस्टम को अधिक पारदर्शी बनाने और रियल एस्टेट विकास प्रक्रिया को कारगर बनाने में मदद करेगा। हालांकि, यह देखने की जरूरत है कि दोषी हितधारकों के खिलाफ क्या कार्रवाई की जाएगी और कैसे नोएडा में विकास को एक बार फिर पटरी पर लाया जा सकता है।