सार
रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर सी रंगराजन ने कहा है कि आरबीआई अकेले मुद्रास्फीति को नियंत्रित नहीं कर सकता क्योंकि आपूर्ति मामलों को सरकार द्वारा प्रबंधित करने की जरूरत है
नई दिल्ली: रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर सी रंगराजन ने कहा है कि आरबीआई अकेले मुद्रास्फीति को नियंत्रित नहीं कर सकता क्योंकि आपूर्ति मामलों को सरकार द्वारा प्रबंधित करने की जरूरत है। ‘नई मौद्रिक नीति रूपरेखा-इसका मतलब’ शीर्षक से जारी एक पत्र में रंगराजन ने आरबीआई की मुद्रास्फीति को काबू में रखने की सीमाओं के बारे में चर्चा की है।
उन्होंने कहा, ‘‘मुद्रास्फीति का जो लक्ष्य दिया गया है, उसका एक एक दायरा होना चाहिए और उसके समायोजन को लेकर समय सीमा होनी चाहिए तथा यह बहुत अल्प अवधि का नहीं होना चाहिए।’’
सरकार की जिम्मेदारी होनी चाहिए
रंगराजन ने कहा, ‘‘इन सबके बावजूद मौद्रिक नीति को उन बातों पर ध्यान दिये बिना काम करना चाहिए जो मुद्रास्फीति को बढ़ावा देने वाले हों। स्पष्ट तौर पर आपूर्ति संबंधी मसले में आपूर्ति प्रबंधन की जरूरत होती है और यह सरकार की जिम्मेदारी होनी चाहिए।’’
उन्होंने कहा कि देश में मुद्रास्फीति लक्ष्य को जो विचार अपनाया गया है, उससे कई संदेह और चिंताएं बढ़ी हैं।’’नई मौद्रिक नीति रूपरेखा के तहत रिर्जव बैंक को उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति 2 प्रतिशत घट-बढ़ के साथ 4 प्रतिशत के स्तर पर बनाये रखने की आवश्यकता है।
एक तरह से यह लचीला लक्ष्य है
रंगराजन ने कहा, ‘‘इस प्रकार एक तरह से यह लचीला लक्ष्य है। आरबीआई कानून में संशोधन कर मौद्रिक नीति समिति के गठन की व्यवस्था की गयी जो मुद्रास्फीति लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए नीतिगत दर का निर्धारण करेगी।’’उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति को लक्ष्य के अनुसार रखने पर ध्यान देने का मबतल यह नहीं है कि वृद्धि और वित्तीय स्थिरता जैसे दूसरे लक्ष्यों को नजरअंदाज कर दिया जाए।
उल्लेखनीय है कि सरकार ने 2016 में नीतिगत निर्धारित करने के लिये मौद्रिक नीति समिति का गठन किया। रिजर्व बैंक के गवर्नर की अध्यक्षता वाली छह सदस्यीय समिति मतदान के आधार पर निर्णय करती है।
(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)
(फाइल फोटो)