सार
अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसी कई ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा शुरू की गई फेस्टिवल सेल में बिक्री के दौरान जीएसटी कम कर लगाया जा रहा है। इससे सरकार को जीएसटी राजस्व का नुकसान हो रहा है।
नई दिल्ली. व्यापारियों के संगठन कनफेडरेशन आफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने आरोप लगाया है कि ई-कॉमर्स कंपनियां त्योहारी सीजन की सेल के जरिये सरकार को माल एवं सेवा कर (जीएसटी) का चूना लगा रही हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को भेजे पत्र में कैट ने कहा कि अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसी कई ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा शुरू की गई फेस्टिवल सेल में बिक्री के दौरान जीएसटी कम कर लगाया जा रहा है। इससे सरकार को जीएसटी राजस्व का नुकसान हो रहा है।
FDI नीति का उल्लंघन है फेस्टिवल सेल
वित्त मंत्री को दिए ज्ञापन में कैट ने कहा कि अन्य ई कॉमर्स कंपनियों के अलावा विशेष रूप से अमेजन और फ्लिपकार्ट की ‘फेस्टिवल सेल’ शुरू हो गई है, जो सरकार की प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) नीति का उल्लंघन है। कैट ने कहा कि अगर कोई व्यापारी अपने व्यवसाय के दौरान थोड़ी सी भी गलती करता है, तो उस पर कार्रवाई की जाती है लेकिन ये ई कॉमर्स कंपनियां जो केवल बिजनेस टू बिजनेस (बी 2 बी) गतिविधियों के लिए अधिकृत हैं, उपभोक्ताओं को (बी 2 सी) सीधे बिक्री कर रही हैं और उनके खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
सरकार को हो रहा टैक्स का नुकसान
कैट के महासचिव प्रवीन खंडेलवाल ने वित्त मंत्री का ध्यान इन ई-कॉमर्स कंपनियों की "फेस्टिवल सेल " की अवधि के दौरान उन वस्तुओं की बिक्री की ओर आकर्षित किया, जहां सामान की बहुत अधिक बिक्री हो रही है और जिन पर 10 से 80 प्रतिशत की बड़ी छूट देकर वास्तविक मूल्य से कम कीमत पर सामान बेचा जा रहा है और उसी पर जीएसटी लिया जा रहा है। इससे सरकार को जीएसटी राजस्व का बड़ा नुकसान हो रहा है। कैट ने वित्त मंत्री से इन कंपनियों के व्यापार मॉडल की जांच कराने का आग्रह किया है।
(यह खबर न्यूज एजेंसी पीटीआई भाषा की है। एशियानेट हिंदी की टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)