सार

बजट 2023-24 में केंद्र सरकार प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की तर्ज पर मवेशी बीमा योजना की घोषणा कर सकती है। पालतू जानवर की मौत होने पर इससे किसानों को मुआवजा मिलेगा।

नई दिल्ली। बजट 2023-24 में केंद्र सरकार किसानों को लेकर बड़ी घोषणाएं कर सकती है। पिछले साल लम्पी वायरस के संक्रमण से लाखों किसानों के पालतू जानवर मारे गए थे। बीमा होने की स्थिति में अगर पालतू जानवरों की मौत होती है तो किसान को मुआवजा मिलेगा।

मवेशी बीमा योजना प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) की तर्ज पर पेश किया जा सकता है। पीएमएफबीवाई किसान नामांकन के मामले में दुनिया की सबसे बड़ी फसल बीमा योजना है। पशु बीमा योजना में पशु मालिकों को न्यूनतम प्रीमियम का भुगतान करना होगा। बाकी प्रीमियम केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा दिया जाएगा। वहीं, पीएमएफबीवाई का बजटीय आवंटन भी बढ़ाए जाने की उम्मीद है।

2016 से किसान ले रहे पीएमएफबीवाई का लाभ
2016 से पीएमएफबीवाई का लाभ किसान ले रहे हैं। आधिकारिक डाटा के अनुसार हर साल करीब 5.5 करोड़ किसान इस योजना के तहत अपने फसल का बीमा कराते हैं। पीएमएफबीवाई में किसान को बहुत ही कम पैसा खर्च करना होता है। रबी और खरीफ सीजन के लिए कुल प्रीमियम का क्रमशः 1.5 प्रतिशत और 2 प्रतिशत भुगतान बीमा लेने वाले किसान को करना होता है। प्रीमियम के बाकी पैसे का 50-50 फीसदी हिस्सा केंद्र और राज्य सरकार द्वारा दिया जाता है। पूर्वोत्तर में 90 फीसदी हिस्सा केंद्र सरकार और 10 फीसदी हिस्सा राज्य सरकार देती है।

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छह साल में किसानों को मिले 1,25,662 करोड़ रुपए
पीएमएफबीवाई योजना लागू होने के छह साल में किसानों को कुल 25,186 करोड़ रुपए खर्च करना पड़ा है और उन्हें 31 अक्टूबर 2022 तक कुल 1,25,662 करोड़ रुपए मिले हैं। कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने हाल ही में एक आधिकारिक बयान में कहा था कि 2016 में पीएमएफबीवाई की शुरुआत के बाद बुवाई से पहले से लेकर कटाई के बाद की अवधि तक सभी फसलों और खतरों का व्यापक कवरेज किया गया है। 2018 में योजना के संशोधन के बाद किसानों के लिए फसल नुकसान की सूचना देने की अवधि 48 घंटे से बढ़ाकर 72 घंटे कर दी गई है। 2020 में यह भी प्रावधान किया गया कि वन्यजीवों के हमले में फसल की क्षति होगी तब भी बीमा के पैसे मिलेंगे।

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