सार
बजट 2023-24 (Budget 2023-24) से भारतीय रक्षा निर्माण उद्योग को बहुत उम्मीदें हैं। उद्योग से जुड़े लोगों को उम्मीद है कि सरकार रक्षा क्षेत्र में रिसर्च एंड डेवलपमेंट को बढ़ावा देने के लिए पहल करेगी।
नई दिल्ली। भारत को शक्तिशाली बनाने के लिए जरूरी है कि देश हथियारों के मामले में आत्मनिर्भर हो। इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार रक्षा निर्माण क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के लिए पहल कर रही है। इसका असर भी दिख रहा है और भारत हथियारों का बड़ा निर्माता बनने के साथ ही प्रमुख निर्यातक बनने की दिशा में बढ़ रहा है।
भारतीय रक्षा निर्माण उद्योग को उम्मीद है कि केंद्रीय बजट 2023-24 उत्पादन बढ़ाने में मदद करेगा। केंद्र सरकार ने हाल के वर्षों में हथियारों के आयात को कम किया है। सरकार ने भारत में हथियारों के निर्माण को प्रोत्साहित किया है। इससे भारत का हथियार निर्यात तेजी से बढ़ा है। 2019-20 में हथियारों के आयात पर सशस्त्र बलों का पूंजीगत व्यय 41.89% था। 2020-21 में यह घटकर 36% हो गया।
बजट से हैं ये उम्मीदें
- वित्त वर्ष 2022-23 में मुद्रास्फीति 6.9 फीसदी रहने की संभावना है। स्वदेशी और भारत में बनने वाले हथियारों की खरीद को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके चलते विदेशी कंपनियां ट्रांसफर और टेक्नोलॉजी के तहत भारत में हथियारों के निर्माण के लिए सौदे कर रही है। ट्रांसफर और टेक्नोलॉजी वाले सौदों की अधिग्रहण लागत अधिक रहने की उम्मीद है। मुद्रास्फीति के दबाव और अधिग्रहण लागत अधिक होने को ध्यान में रखकर उद्योग को पूंजीगत बजट आवंटन में वृद्धि की उम्मीद है।
- स्वदेशी हथियारों के उत्पादन को जारी रखने के लिए जरूरी अत्याधुनिक तकनीकों में आत्मनिर्भरता पर फोकस करना होगा। हथियार प्रणाली के संपूर्ण प्लेटफॉर्म का निर्माण करने में सक्षम होना होगा। इसके लिए रिसर्च एंड डेवलपमेंट की क्षमताओं का विस्तार करना होगा। उम्मीद है कि सरकार इस दिशा में पहल करेगी।
- उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजनाएं 13 क्षेत्रों के लिए शुरू की गईं थी। इसके लिए 1.97 लाख करोड़ रुपए आवंटन किया गया था। सितंबर 2021 में इसमें ड्रोन और ड्रोन के पूर्जों के निर्माण को भी शामिल किया गया। अब रक्षा अनुसंधान और विकास के लिए बजटीय आवंटन में वृद्धि की आवश्यकता है।
- सरकार ने नई निर्माण कंपनियों के लिए कॉर्पोरेट टैक्स एक साल तक 15 फीसदी रखने का फैसला किया था। 2022 के बजट में इसे मार्च 2024 तक के लिए बढ़ा दिया गया था। रक्षा उद्योग पूंजी पर बहुत अधिक निर्भर करता है। इसलिए यह अनुमान लगाया जा रहा है कि उद्योग को लाभ पहुंचाने के लिए समय सीमा को कम से कम मार्च 2026 तक बढ़ाया जाना चाहिए।
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- GST (Goods and Services Tax) रक्षा उद्योग के लिए एक महत्वपूर्ण खर्च है। रक्षा प्लेटफार्मों के स्थानीय उत्पादन के उद्देश्य से सरकार को रणनीतिक और आवश्यक कल-पूर्जों के आयात में GST पर छूट देने पर विचार करना चाहिए।
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