सार

महंगाई की मार से परेशान नौकरीपेशा लोगों को बजट (Union Budget 2023) से काफी उम्मीदें हैं। लोग उम्मीद कर रहे हैं कि वित्त मंत्री टैक्स स्लैब और टैक्स रेट में बदलाव कर सकती हैं ताकि पैसे की बचत हो।

नई दिल्ली। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी को संसद में बजट (Union Budget 2023-24) पेश करने वाली हैं। इसका असर इंडस्ट्री और शेयर बाजार से लेकर आम आदमी तक, सब पर पड़ता है। पिछले कुछ सालों में सरकार ने इनकम टैक्स की सीमा में बदलाव नहीं किया है। देश कोरोना महामारी और उच्च मुद्रास्फीति की छाया से उभर रहा है। नौकरीपेशा लोगों को उम्मीद है वित्त मंत्री बजट में ऐसे सुधार करेंगी, जिससे पैसे की बचत होगी।

टैक्स स्लैब और टैक्स दरों में बदलाव

2017 के बाद से लोगों के इनकम टैक्स के रेट में बदलाव नहीं किया गया है। उम्मीद है कि इस साल सरकार टैक्स स्लैब और टैक्स रेट में बदलाव करेगी। वित्त वर्ष 2020-21 में इनकम टैक्स की सरलीकृत व्यवस्था पेश की गई थी, लेकिन बहुत से लोगों ने यह विकल्प नहीं चुना है। उम्मीद है कि सरकार नौकरीपेशा लोगों की खरीद क्षमता बढ़ाने और राहत देने के लिए इनकम टैक्स में 25-30 फीसद की कमी कर सकती है। सबसे अधिक टैक्स रेट 20 लाख रुपए से अधिक की सालाना कमाई करने वालों पर लगाई जा सकती है। अभी यह रेट 10 लाख रुपए से अधिक की आमदनी पर लगता है।

छूट और कटौतियों के नुकसान के चलते सरलीकृत कर व्यवस्था (एसटीआर) को लोगों से वैसा रिस्पॉन्स नहीं मिला, जिसकी उम्मीद थी। एसटीआर में 15 लाख से अधिक सालाना आमदनी होने पर सबसे अधिक टैक्स रेट 30 फीसदी लगता है। इससे कम आमदनी पर 5%, 10%, 15%, 20% और 25% टैक्स लगता है। टैक्स रेट आमदनी के अनुसार बढ़ता जाता है। एसटीआर को अधिक आकर्षक बनाने के लिए सेक्शन 80सी, सेक्शन 80डी और होम लोन ब्याज पर मिलने वाली कटौती का लाभ दिया जा सकता है। इससे वेतनभोगी व्यक्तियों के लिए एसटीआर और अधिक आकर्षक बन जाएगा।

होम लोन डिडक्शन

पहली बार घर खरीदने वाले बहुत से लोग निर्माणाधीन संपत्तियों में निवेश करते हैं। इसके लिए वे बिल्डर के निर्माण से जुड़े पेमेंट प्लान के अनुसार टुकड़ों में बंटा होम लोन लेते हैं। इस तरह के कर्ज पर दिए गए ब्याज का समायोजन घर का कब्जा मिलने के बाद 5 ईएमआई में होता है। इसे वार्षिक होम लोन ब्याज कटौती की सीमा (2 लाख रुपए) के साथ मिला दिया जाता है। इसके चलते ब्याज अधिक देना पड़ता है और लोगों को नुकसान होता है। उम्मीद की जा रही है कि सरकार निर्माणाधीन अवधि के दौरान कटौती की अनुमति देने के प्रावधान को शामिल करके ब्याज भुगतान करने वाले लोगों को राहत देगी।

विभिन्न कटौतियों की सीमा में वृद्धि

सरकार को इनकम टैक्स की विभिन्न कटौतियों की सीमा पर फिर से विचार करने की आवश्यकता है। कई सालों से इसे बढ़ाया नहीं गया है। इस बीच महंगाई बढ़ी है, जिससे लोगों का खर्च बढ़ा है। उम्मीद है कि सरकार स्टैंडर्ड डिडक्शन को मौजूदा 50 हजार रुपए से बढ़ाकर 1 लाख रुपए करेगी। इससे नौकरीपेशा लोगों को पैसे की बचत होगी।

सेक्शन 80C – वर्तमान में विभिन्न निवेशों के लिए धारा 80सी के तहत कटौती की सीमा 1.5 लाख रुपए है। इस सीमा को 1 अप्रैल 2014 से नहीं बढ़ाया गया है। उम्मीद की जा रही है कि बढ़ी हुई महंगाई को देखते हुए सरकार इसे 2.5 लाख कर सकती है।

सेक्शन 80D- स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम के संबंध में कटौती सीमा वर्तमान में 25,000 रुपए और वरिष्ठ नागरिकों के मामले में 50,000 रुपए है। मेडिकल इंश्योरेंस की प्रीमियम की लागत बढ़ने को ध्यान में रखकर सरकार इस सीमा को 50 हजार रुपए और वरिष्ठ नागरिकों के लिए 1 लाख रुपए कर सकती है।

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सेक्शन 80TTA- बचत बैंक खाते में जमा पैसे पर मिलने वाले ब्याज पर अभी 10 हजार रुपए की कटौती का प्रावधान है। इसमें फिक्स्ड डिपॉजिट समेत सभी तरह की डिपॉजिट शामिल है। उम्मीद है कि इस सीमा को 10 हजार से बढ़ाकर 50 हजार रुपए की जा सकती है।

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