सार

23 जुलाई को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण देश का बजट पेश करेंगी। इससे पहले सोमवार को इकोनॉमिक सर्वे पेश किया जाएगा, जिसमें देश की आर्थिक तस्वीर देखने को मिलेगी। इस रिपोर्ट में भविष्य का प्लान भी देखने को मिलेगा।

बिजनेस डेस्क : सोमवार, 22 जुलाई से बजट सत्र की शुरुआत हो रही है। फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) आज इकोनॉमिक सर्वे पेश करेंगी। हर साल बजट (Budget 2024) से पहले इकोनॉमिक सर्वे पेश किया जाता है। इसमें देश के आर्थिक विकास का लेखा-जोखा रखा जाता है। इसे सरकार का रिपोर्ट कार्ड भी माना जाता है। इसके जरिए सरकार पिछले एक साल के कामकाज की समीक्षा और आगे का प्लान बनाती है। ऐसे में आइए 5 पॉइंट्स में जानते हैं इकोनॉमिक सर्वे क्या होता है, इसकी जरुरत क्यों है...

1. इकोनॉमिक सर्वे क्यों जरूरी?

इकोनॉमिक सर्वे से सरकार देश की आर्थिक स्थिति की तस्वीर पेश करती है। इसमें पिछले एक साल के काम, रोजगार, GDP, बजट घाटे और मुद्रास्फीति जैसी चीजों की जानकारी दी जाती है।

2. आर्थिक सर्वेक्षण में कौन-कौन सी जानकारियां होती हैं

आर्थिक सर्वेक्षण (Economic Survey) वित्त मंत्रालय का एक सालाना दस्तावेज होता है। जिससे पता चलता है कि देश को आर्थिक तौर पर कहां-कहां फायदा और कहां-कहां नुकसान हुआ है। इसी सर्वे के आधार पर तय होता है कि आने वाले साल में अर्थव्यवस्था में क्या-क्या देखने को मिल सकता है।

3. इकोनॉमिक सर्वे कौन बनाता है

मुख्य आर्थिक सलाहकार की देखरेख में वित्त मंत्रालय में इकोनॉमिक्स डिवीजन आर्थिक सर्वेक्षण (इकोनॉमिक सर्वे) रिपोर्ट तैयार करता है। अभी मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन हैं।

4. इकोनॉमिक सर्वे से आम जनता को क्या पता चलता है

इससे देश की असली आर्थिक तस्वीर देखने को मिलती है। महंगाई से लेकर बेरोजगारी तक के आंकड़े सरकार इस रिपोर्ट में पेश करती है। आम लोगों के लिए सरकार के प्लान का पता चलता है। अलग-अलग सेक्टर्स में सरकार कितना निवेश करने वाली है, कहां संभावनाएं आ सकती हैं, इसकी भी जानकारी लगती है। यही कारण है कि बजट से पहले पेश होने वाला आर्थिक सर्वेक्षण बेहद जरूरी होता है।

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