सार

पहले ही रूस-यूक्रेन वॉर का असर ग्लोबल इकोनॉमी पर बुरी तरह पड़ा है। इसका प्रभाव अभी तक देखने को मिल रहा है। ऐसे में हर विकासशील देश को इजराइल-हमास युद्ध से सतर्क रहने की जरूरत है।

बिजनेस डेस्क : इजरायल और हमास के बीच जारी जंग (Israel Hamas War) तेज होती जा रही है। इस युद्ध में दुनियाभर के तमाम देश अलग-अलग दोनों को सपोर्ट कर रहे हैं। गाजा के हालात और दुनिया के रूख को देखते हुए वर्ल्ड बैंक (World Bank) भी चिंता में आ गया है। विश्व बैंक ने चेतावनी देकर कहा है कि इस जंग का असर पूरी दुनिया की इकोनॉमी पर बुरा असर डाल सकती है। कमोडिटी सेक्टर पर तो दोहरी मार पड़ सकती है। क्रूड ऑयल पर इसका असर भी दिखने लगा है। अगर ऐसा हुआ तो भारत पर भी इसका इंपैक्ट होगा और महंगाई तेजी से बढ़ सकती है।

इजराइल हमास वॉर, वर्ल्ड बैंक की चिंता

विश्व बैंक ने ताजा कमोडिटी मार्केट आउटलुक रिपोर्ट में दुनिया को चेतावनी दी है। कहा गया है कि अगर यह युद्ध लंबा खिंचता है तो मध्‍य-पूर्व के इस संकट का सीधा असर कच्‍चे तेल की कीमतों पर पड़ेगा। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि आने वाले समय में क्रूड की कीमत 150 डॉलर प्रति बैरल को भी पार कर सकती है। ऐसा हुआ तो एनर्जी और फूड प्रोडक्ट्स के दाम असामान्‍य तौर पर आसमान छूते दिखाई देंगे।

इजराइल-हमास युद्ध का क्रूड ऑयल पर असर

विश्व बैंक की रिपोर्ट में बताया गया है कि अगर युद्ध लंबा खिंचा तो ग्लोबल क्रूड ऑयल सप्लाई 5 लाख से 2 मिलियन बैरल प्रति दिन कम होती जाएगी। ऐसे में कीमतों में 3 से 13 प्रतिशत तक का इजाफा हो सकता है। मतलब चालू तिमाही में 93 डॉलर से 102 डॉलर प्रति बैरल तक क्रूड ऑयल के रेट पहुंच सकते हैं। अगर युद्ध का असर मध्यम रहा तो अनुमानित सप्लाई में प्रति दिन 3 से 5 मिलियन बैरल की कटौती हो सकती है। तब कीमतें 21 से 35 प्रतिशत तक बढ़कर 109 से 121 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच सकती है। इजराइल हमास युद्ध के बाद से अब तक ही क्रूड ऑयल की कीमतें 6 प्रतिशत तक बढ़ चुकी हैं।

तेजी से बढ़ेगी महंगाई

अर्थशास्त्रियों का मानना है कि मिडिल ईस्ट का संकट 1970 के दशक के बाद से कमोडिटी बाजारों के लिए बड़ा झटका हो सकता है। रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद ऐसा दूसरी बार हो सकता है। पहले ही रूस-यूक्रेन वॉर का असर ग्लोबल इकोनॉमी पर बुरी तरह पड़ा है। इसका प्रभाव अभी तक देखने को मिल रहा है। ऐसे में हर देश को सतर्क रहने की जरूरत है। वर्ल्ड बैंक के अर्थशास्त्री अहान कोसे का अनुमान है कि अगर तेल की कीमतों में भारी उछाल आता है तो खाद्य मूल्य मुद्रास्फीति बढ़ जाएगी। ये पहले से ही कई विकासशील देशों में बढ़ी हुई है। इसका सीधा असर भारत समेत तमाम विकासशील देशों की जनता पर पड़ेगा। चूंकि भारत कच्चे तेल का तीसरा सबसे बड़ा आयातक है, ऐसे में इजरायल और हमास जंग का असर यहां ज्यादा देखने को मिल सकता है। इसीलिए केंद्र सरकार इस जंग पर बारिकी से नजर रख रही है।

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