India Russian Crude Imports: CREA रिपोर्ट के मुताबिक, अक्टूबर 2025 में भारत ने 2.5 बिलियन डॉलर का रूसी तेल खरीदकर दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा खरीदार बना, जबकि चीन पहले नंबर पर रहा। जबकि अमेरिका बार-बार इसका विरोध कर रहा है। 

India-Russia Oil Trade: अमेरिका के बार-बार विरोध के बावजूद भारत ने रूस से कच्चे तेल की खरीद जारी रखकर साफ कर दिया है कि उसकी ऊर्जा रणनीति अंतरराष्ट्रीय दबाव से नहीं, बल्कि राष्ट्रीय हितों से तय होती है। अक्टूबर के आंकड़े बताते हैं कि भारत रूस से तेल लेने वाला दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा खरीदार बन चुका है, जो उसके आर्थिक और रणनीतिक फैसलों की मजबूती दिखाता है। पहले नंबर पर चीन है।

भारत ने रूस से कितना तेल खरीदा?

अक्टूबर 2025 में भारत ने रूस से करीब 2.5 बिलियन डॉलर का कच्चा तेल खरीदा। यह खरीद भारत को दुनिया में दूसरे नंबर पर ले आई। पहले नंबर पर चीन रहा, जिसने 3.7 बिलियन डॉलर का तेल खरीदा। CREA की रिपोर्ट के अनुसार, भारत के कुल रूसी ईंधन आयात की कीमत 3.1 बिलियन डॉलर तक पहुंच गई, जबकि चीन के लिए यह आंकड़ा 5.8 बिलियन डॉलर था। इससे साफ है कि रूस के लिए एशिया अभी भी उसका सबसे बड़ा और भरोसेमंद ऊर्जा बाजार बना हुआ है।

दुनिया में कौन-कौन से देश रूस से तेल खरीद रहे?

भारत और चीन के बाद तुर्की और यूरोपीय संघ भी रूसी ऊर्जा के बड़े खरीदार हैं। तुर्की ने अक्टूबर में 2.7 बिलियन डॉलर की खरीद की, जबकि यूरोपीय संघ ने 1.1 बिलियन डॉलर के रूसी एनर्जी प्रोडक्ट्स आयात किए। अक्टूबर में EU ने 824 मिलियन डॉलर का LNG और पाइपलाइन गैस और 311 मिलियन डॉलर का क्रूड ऑयल खरीदा। दक्षिण कोरिया ने भी रूसी ऊर्जा पर निर्भरता जारी रखी, जिसमें उसके आधे से ज्यादा आयात कोयले के थे।

कोयला, गैस और पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स में भारत की स्थिति

रूस से कोयले की खरीद में चीन टॉप पर है और भारत दूसरे नंबर पर आता है। अक्टूबर में भारत ने 351 मिलियन डॉलर का रूसी कोयला आयात किया। इसके साथ ही 222 मिलियन डॉलर के तेल उत्पाद भी खरीदे गए। प्राकृतिक गैस के क्षेत्र में भी भारत ने रूसी पाइपलाइन गैस पर भरोसा बनाए रखा और 929 मिलियन डॉलर की गैस खरीदी, जबकि 572 मिलियन डॉलर का अतिरिक्त क्रूड भी आयात किया गया।

अमेरिका को भारत की खरीदारी से आपत्ति क्यों है?

अमेरिका का आरोप है कि भारत और चीन की यह खरीद रूस को यूक्रेन युद्ध के लिए आर्थिक मदद देती है। इसी के कारण अमेरिका ने पिछले महीने ही दो रूसी कंपनियों रोसनेफ्ट और लुकोइल पर नए प्रतिबंध लगाए। हालांकि, भारत ने साफ कहा है कि वह अपनी ऊर्जा जरूरतों के आधार पर फैसला करेगा।