India Critical Minerals Policy: क्या भारत का यह ‘खनिज गेमप्लान’ चीन की नींद उड़ा देगा? मोदी कैबिनेट ने ग्रेफाइट, सीज़ियम, रुबिडियम और ज़िरकोनियम की रॉयल्टी घटाकर घरेलू उत्पादन बढ़ाने की चाल चली है-क्या अब चीन का मिनरल एकाधिकार टूटने वाला है?
India vs China Mineral Dependence: भारत ने ऊर्जा और तकनीकी क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में एक और बड़ा कदम उठा लिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में चार महत्वपूर्ण खनिजों — ग्रेफाइट, सीज़ियम, रुबिडियम और ज़िरकोनियम की रॉयल्टी दरें घटाने का ऐतिहासिक फैसला लिया गया है। सरकार का कहना है कि इससे देश के भीतर इन खनिजों का उत्पादन बढ़ेगा और चीन जैसे देशों से होने वाले आयात पर निर्भरता घटेगी। क्या यह कदम भारत को ‘खनिज महाशक्ति’ बनने की दिशा में आगे बढ़ा देगा? और क्या इससे चीन की चिंता वाकई बढ़ेगी?
क्यों ज़रूरी था रॉयल्टी घटाना?
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि इन चारों खनिजों पर बहुत ज़्यादा रॉयल्टी दरें लागू थीं, जिससे घरेलू उत्पादन हतोत्साहित हो रहा था। अब सरकार ने रॉयल्टी को युक्तिसंगत (रैशनलाइज़) कर दिया है ताकि निवेशकों को आकर्षित किया जा सके और खनिज खोज एवं खनन को बढ़ावा मिले। यह कदम न केवल औद्योगिक विकास के लिए अहम है, बल्कि भारत की ऊर्जा सुरक्षा और सप्लाई चेन की स्थिरता के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
क्या चीन का ‘खनिज एकाधिकार’ अब खतरे में है?
- चीन इस समय दुनिया का सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक है जब बात महत्वपूर्ण खनिजों की आती है-खासकर ग्रेफाइट, रेयर अर्थ एलिमेंट्स और ज़िरकोनियम की।
- भारत का यह निर्णय उस समय आया है जब चीन लगातार अपने निर्यात नियमों को कड़ा कर रहा है, जिससे वैश्विक सप्लाई पर असर पड़ रहा है।
- ऐसे में भारत का यह कदम “चीनी एकाधिकार” को चुनौती देने की दिशा में एक ठोस रणनीतिक पहल माना जा रहा है।
भारत में बढ़ेगी ‘मिनरल नीलामी’ और बढ़ेंगे निवेश के मौके
- एक रिपोर्ट के अनुसार, कैबिनेट के इस फैसले से अब सीज़ियम, रुबिडियम और ज़िरकोनियम युक्त खनिज ब्लॉकों की नीलामी में तेजी आएगी।
- इससे न केवल इन चार खनिजों की खोज बढ़ेगी बल्कि इनके साथ जुड़े लिथियम, टंगस्टन, नियोबियम और रेयर अर्थ एलिमेंट्स (REE) की भी खोज संभव होगी।
- यह खनिज भविष्य की तकनीक जैसे इलेक्ट्रिक वाहनों, स्मार्ट डिवाइसेज़ और रक्षा उपकरणों के लिए अत्यंत आवश्यक हैं।
कहां-कहां काम आते हैं ये ‘महत्वपूर्ण खनिज’?
- ग्रेफाइट: इलेक्ट्रिक वाहन (EV) बैटरी का सबसे अहम हिस्सा है, जो चार्जिंग क्षमता बढ़ाता है। भारत वर्तमान में अपनी ज़रूरत का 60% ग्रेफाइट आयात करता है।
- ज़िरकोनियम: परमाणु ऊर्जा, एयरोस्पेस, और मेडिकल इंडस्ट्री में इस्तेमाल होता है।
- सीज़ियम: उच्च तकनीक उपकरणों, जीपीएस सिस्टम, और मेडिकल डिवाइस में अहम भूमिका निभाता है।
- रुबिडियम: फाइबर ऑप्टिक्स, दूरसंचार और नाइट विज़न ग्लासेस में प्रयोग किया जाता है।
क्या भारत बनेगा ‘खनिज आत्मनिर्भर’?
- भारत ने पहले ही कई राज्यों में ग्रेफाइट ब्लॉकों की नीलामी और खोज कार्य शुरू कर दिए हैं।
- 27 ब्लॉक नीलाम हो चुके हैं, जबकि 20 नए ब्लॉकों की नीलामी की तैयारी है।
- अगर यह नीति सफल रही, तो आने वाले वर्षों में भारत EV बैटरी, रक्षा और हाई-टेक मैन्युफैक्चरिंग में अग्रणी भूमिका निभा सकता है।
इस फैसले से क्या होगा असर?
- आयात पर निर्भरता घटेगी
- देश में निवेश और रोजगार बढ़ेंगे
- खनिज खोज और तकनीकी विकास को प्रोत्साहन मिलेगा
- भारत की सप्लाई चेन सुरक्षा मजबूत होगी
- चीन पर रणनीतिक दबाव बढ़ेगा
भारत का ‘मिनरल मिशन’ आत्मनिर्भरता की नई दिशा
सरकार का यह फैसला केवल रॉयल्टी घटाने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह ‘खनिज आत्मनिर्भर भारत’ की ओर एक बड़ा कदम है। अगर यह योजना सफल होती है, तो भारत न सिर्फ अपने उद्योगों को खनिजों की स्थायी आपूर्ति सुनिश्चित कर पाएगा, बल्कि वैश्विक स्तर पर चीन के दबदबे को भी चुनौती दे सकेगा।
