सार

HDFC के बाद अब मोतीलाल ओसवाल भी अपना मैन्यूफैक्चरिंग फंड लॉन्च करने जा रहा है। इस फंड का मकसद मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर से जुड़ी कंपनियों के इक्विटी इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करना है।

Motilal Oswal Manufacturing Fund: शेयर मार्केट में सीधे निवेश में जोखिम होने की वजह से ज्यादातर लोग म्यूचुअल फंड में निवेश करना सही समझते हैं। यही वजह है कि म्यूचुअल फंड का बाजार तेजी से बढ़ रहा है। HDFC के बाद अब एक और कंपनी Motilal Oswal अपना मैन्यूफैक्चरिंग म्यूचुअल फंड लाने जा रही है।

कब से खुलेगा Motilal Oswal Manufacturing Fund का NFO

मोतीलाल ओसवाल मैन्युफैक्चरिंग फंड का एनएफओ यानी (New Fund Offering) 19 जुलाई, 2024 से ओपन हो रहा है। यानी इस तारीख से निवेशक इस फंड में मिनिमम 10 रुपए की NAV पर यूनिट्स खरीद पाएंगे। इसका एनएफओ 2 अगस्त तक खुला रहेगा। यानी निवेशकों के पास सस्ती दर पर यूनिट खरीदने के लिए 15 दिन का मौका रहेगा।

मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर की कंपनियों में रहेगा इन्वेस्टमेंट

Motilal Oswal Manufacturing Fund का उद्देश्य मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर से जुड़ी कंपनियों के इक्विटी इंस्ट्रूमेंट्स में इन्वेस्टमेंट करना है। इस सेक्टर में ग्रोथ को देखते हुए लंबे समय में कंपनी निवेशकों को बेहतर रिटर्न दे सकेगी। फंड का मकसद बैलेंस पोर्टफोलियो बनाने के साथ ही मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर से जुड़े हर एक शेयर में 80 से 100 प्रतिशत एक्सपोजर देना है।

सबसे सस्ती मैन्यूफैक्चरिंग कॉस्ट वाले देशों में नंबर वन है भारत

दुनिया में सबसे सस्ती मैन्यूफैक्चरिंग कॉस्ट वाले देशों की लिस्ट में भारत टॉप पर है। भारत ने इस मामले में चीन को भी पछाड़ दिया है। मतलब पूरी दुनिया में सबसे कम मैन्यूफैक्चरिंग कॉस्ट भारत में है और यही वजह है कि अमेरिका समेत दुनियाभर के तमाम देश चीन की जगह भारत को तरजीह दे रहे हैं। वर्ल्ड ऑफ स्टैटिस्टिक्स (World of Statistics) के मुताबिक, सबसे सस्ती मैन्यूफैक्चरिंग कॉस्ट वाले देशों में नंबर वन पर भारत, दूसरे पर चीन और तीसरे स्थान पर वियतनाम है। इसके बाद चौथे पर थाईलैंड, पांचवें पर फिलीपींस, छठे पर बांग्लादेश, सातवें पर इंडोनेशिया, आठवें पर कंबोडिया, नौवें पर मलेशिया और दसवें नंबर पर श्रीलंका का नाम है।

चीन के बजाय भारत से सामान मंगा रहा अमेरिका

बॉस्टन कंसल्टिंग ग्रुप (BCG) की स्टडी में पता चला है कि 2018 से 2022 के बीच अमेरिका द्वारा चीन से आयात किए जाने वाले सामान में 10 प्रतिशत की कमी आई है। वहीं, भारत से अमेरिका द्वारा आयात किए जाने वाले सामान में 44 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।

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