सार

बिहार के एक युवक ने शेयर बाजार से कैसे अपनी किस्मत बदली? कभी कमाई से खुश तो कभी सब कुछ गंवा देने का दर्द, जानिए उनकी पूरी कहानी।

बिजनेस डेस्क। शेयर मार्केट से सिर्फ शहरी नहीं बल्कि ग्रामीण इलाकों के लोगों की किस्मत भी खूब चमकी है। इन्हीं में से एक हैं बिहार के मधुबनी जिले के छोटे से गांव अलौला के रहने वाले राहुल चौधरी। उनकी 10वीं तक की पढ़ाई गांव के ही सरकारी स्कूल में हुई। इसके बाद उन्होंने आगे की एजुकेशन दरभंगा और पटना से पूरी की। पटना से ग्रैजुएशन कम्प्लीट करने के बाद राहुल सरकारी नौकरी के लिए तैयारी में जुट गए। इसके साथ ही उन्होंने पटना में एक टेक्निकल इंस्टिट्यूट ज्वॉइन किया।

छोटे भाई की इंजीनियरिंग की फीस सुन उड़ गए होश

राहुल चौधरी के मुताबिक, 2017 में मेरे छोटे भाई ने इंजीनियरिंग करने की इच्छा जताई। हालांकि, राहुल ने जब पटना में इंजीनियरिंग के लिए फीस पता की तो उनके होश उड़ गए। एक मिडिल क्लास फैमिली के लिए इसे अफॉर्ड करना लगभग नामुमकिन था। किसी तरह पिताजी ने यहां-वहां से पैसा इकट्ठा कर भाई का एडमिशन कराया। भाई के पटना आने के बाद हम दोनों के खर्चे बढ़ गए थे, जबकि पिताजी की आमदनी पहले जैसी ही थी।

जिम्मेदारी बढ़ी तो मैंने जॉब करने की सोची

राहुल के मुताबिक, मैं घर का बड़ा बेटा था, इसलिए जिम्मेदारी बड़ी थी। ऐसे में मैंने पटना में ही कोई जॉब करने की सोची। हालांकि, अच्छी कंपनियों में नौकरी के लिए टेक्निकल स्किल्स के साथ ही अच्छी अंग्रेजी होना भी जरूरी थी। चूंकि मैं बिहार बोर्ड से पढ़ा था, इसलिए इंग्लिश बहुत अच्छी नहीं थी। इसके बाद मैंने इंग्लिश कोचिंग शुरू की।

पहली नौकरी ब्रोकरेज हाउस में की

अंग्रेजी सीखने के बाद मेरी जॉब देश के एक बड़े ब्रोकरेज हाउस में लग गई। मैंने देखा कि वहां लोग जितना सैलरी से नहीं कमा रहे, उससे ज्यादा कर्मचारी ट्रेडिंग से कमाई कर रहे थे। ऐसे में मैंने वहां कुछ सीनियर्स से शेयर बाजार का काम सीखने की इच्छा जाहिर की, लेकिन किसी ने मेरी मदद नहीं की उल्टा मेरा मजाक उड़ाने लगे। उसके बाद मैंने ठान लिया कि अब स्टॉक मार्केट का काम सीखकर इसी से पैसा बनाऊंगा।

गूगल-यूट्यूब से स्टॉक मार्केट की बारीकियां सीखने लगा

शेयर मार्केट को सीखने के लिए मैंने यूट्यूब और गूगल का सहारा लिया। कुछ दिन सीखने के बाद मैंने ऑफिस के बड़े बॉस से बात की। उनसे कहा कि मैं बैकऑफिस की जगह डीलिंग में काम करना चाहता हूं। इसके बाद उन्होंने मुझसे कुछ टेक्निकल चीजें पूछीं और कहा-ठीक है आप करो, लेकिन इसके लिए एक परीक्षा पास करनी होगी। इसके बाद मैंने वो परीक्षा पास की और डीलिंग डिपार्टमेंट में काम करने लगा।

सैलरी के बाद मैंने खुद शुरू की ट्रेडिंग

महीना पूरा होने के बाद जब मेरी सैलरी आई तो मैंने खुद ट्रेडिंग का काम शुरू किया। इक्विटी में ट्रेड करने के लिए मेरे पास ज्यादा पैसा नहीं था। ऐसे में मेरे पास ऑप्शन में ट्रेड कर जल्दी पैसा बनाने का विकल्प था। मैंने अपनी जिंदगी का पहला ट्रेड निफ्टी के इंडेक्स ऑप्शन में किया था और इससे मुझे अच्छा प्रॉफिट हुआ।

जो पैसा महीनेभर की सैलरी से मिलता वो 3 दिन में कमाया

राहुल के मुताबिक, जो पैसा मुझे महीनेभर की सैलरी से मिलता, उससे ज्यादा तो मैंने ऑप्शन ट्रेडिंग से सिर्फ 3 दिन में ही कमा लिया। इससे मैं और ज्यादा मोटिवेट हुआ। लेकिन असली कहानी तो अभी बाकी थी।

चौथे दिन धुल गया सारा प्रॉफिट

3 दिन की कमाई से मैं बहुत खुश था, लेकिन चौथा दिन एक्सपायरी का था। मेरी पूरी कैपिटल, प्रॉफिट सब जीरो हो गया। यहां तक कि मेरे पास पटना में सर्वाइव करने तक के लिए पैसा नहीं बचा। इसके बाद मैंने दोस्तों से कुछ उधार पैसे लिए और किसी तरह गुजारा करने लगा। मुझे फिर से अपनी अगली सैलरी का इंतजार था।

इस बार सिर्फ 1 दिन में डबल की पूंजी

सैलरी आने के बाद मैंने फिर ट्रेडिंग शुरू की और एक्सपायरी के दिन अपना पहला ट्रेड किया। इस बार मेरी पूंजी सिर्फ 1 दिन में डबल हो जाती है। इस तरह 7 दिन में मैंने अपना पैसा 4 गुना कर लिया। 8वें दिन एक बार फिर सारा पैसा जीरो हो गया। इसके बाद मैंने एक बार फिर ट्रेडिंग से दूरी बनाते हुए शेयर बाजार को गहराई से समझना शुरू किया। मैंने टेक्निकल एनालिसिस से लेकर बड़े-बड़े एक्सपर्ट्स की किताबें पढ़नी शुरू कीं।

लालच में नहीं पड़ा, 1 महीने में 40% मुनाफा कमाया

मैंने इस बार रातोरात पैसा कमाने का लालच नहीं किया। अपना धैर्य बनाए रखा और महीनेभर में करीब 40 प्रतिशत मुनाफा कमाया। मैंने शेयर बाजार के सभी रूल्स और स्ट्रैटेजी फॉलो की और 4 महीने में मेरी पूंजी करीब 8 गुना बढ़ चुकी थी। इसी दौरान कंपनी में मेरा प्रमोशन होता है और इसके साथ ही मुझे ट्रांसफर कर दिल्ली भेज दिया जाता है।

दिल्ली में मिला टीम लीड करने का मौका

दिल्ली में मुझे टीम लीड करने का मौका मिला। कुछ ही महीनों में मैं कंपनी को अच्छा-खास मुनाफा देने लगा। कुछ महीनों तक काम करने के बाद मुझे बतौर ब्रांच मैनेजर प्रमोट कर रांची भेज दिया गया। मेरे लिए इससे खुशी की बात नहीं थी, क्योंकि मैं एक बार फिर पटना के करीब आ गया था। धीरे-धीरे मैं ब्रांच को लीड करके एक ऐसे लेवल पर ले गया, जहां कंपनी में मेरा अलग रुतबा बन गया।

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