सार

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने पंजाब एंड महाराष्ट्र कोऑपरेटिव बैंक (PMC Bank) पर पाबंदियां 31 मार्च, 2021 के लिए बढ़ा दी है। रिजर्व बैंक ने  ने 23 सितंबर को पीएमसी बैंक  के बोर्ड को भंग कर दिया था।

बिजनेस डेस्क। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने पंजाब एंड महाराष्ट्र कोऑपरेटिव बैंक (PMC Bank) पर पाबंदियां 31 मार्च, 2021 के लिए बढ़ा दी है। रिजर्व बैंक ने 23 सितंबर को पीएमसी बैंक के बोर्ड को भंग कर दिया था और इस पर कई तरह की पाबंदियां लगा दी थीं। बैंक में कई वित्तीय अनियमितताओं का पता चला था। जानकारी के मुताबिक, बैंक ने रियल एस्टेट डेवलपर एचडीआईएल (HDIL) को लोन देने की बात छिपाई थी। अब संकट में फंसे पंजाब एंड महाराष्ट्र कोऑपरेटिव बैंक को 4 इन्वेस्टमेंट प्रपोजल मिले हैं। रिजर्व बैंक ने इस बैंक पर लगाई गई पाबंदियों को इसलिए बढ़ाया है, ताकि इसके पुनर्गठन की योजना को अंतिम रूप दिया जा सके। रिजर्व बैंक ने घोटाले का शिकार बने इस शहरी सहकारी बैंक पर सितंबर, 2019 में कई पाबंदियां लगाई थीं। इनमें ग्राहकों द्वारा जमा की गई राशि की सीमित निकासी भी शामिल थी।

घोटाला आया था सामने
पंजाब एंड महाराष्ट्र कोऑपरेटिव बैंक में घोटाला सामने आने के बाद रिजर्व बैंक ने यह इस पर पांबदियां लगाई थीं। बता दें कि पीएमसी बैंक का परिचालन कई राज्यों में है। इसके बाद बैंक के जमाकर्ताओं ने अपनी जमा राशि की मांग को लेकर कई जगहों पर विरोध प्रदर्शन भी किया था। पिछले महीने पीएमसी बैंक ने निवेश या इक्विटी भागीदारी के जरिए अपने पुनर्गठन के लिए संभावित निवेशकों से रुचि पत्र (EOI) मांगा था। संभावित निवेशकों को इसे 15 दिसंबर तक जमा कराना था।

बैंक को मिले 4 प्रस्ताव
रिजर्व बैंक ने शुक्रवार कहा कि पीएमसी बैंक ने सूचना दी है है कि रुचि पत्र (EOI) के जवाब में उसे 4 प्रस्ताव मिले हैं। बैंक इन प्रस्तावों की समीक्षा करेगा। इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए बैंक को कुछ और समय की जरूरत होगी। रिजर्व बैंक ने कहा है कि सभी अंशधारकों के हित को ध्यान में रखते हुए यह जरूरी है कि पहले जारी निर्देशों को आगे तक के लिए लागू किया जाए। रिजर्व बैंक ने कहा है कि 23 सितंबर, 2019 को जारी निर्देशों की वैधता को बढ़ाकर 31 मार्च, 2021 तक किया जा रहा है।

रिजर्व बैंक ने बोर्ड को कर दिया था भंग
रिजर्व बैंक ने 23 सितंबर, 2019 को पीएमसी बैंक के बोर्ड को भंग कर दिया था और इस पर कई तरह की पाबंदियां लगा दी थीं। बैंक में कई वित्तीय अनियमितताओं का पता चला था। बैंक ने रियल एस्टेट डेवलपर एचडीआईएल (HDIL) को लोन देने की बात छिपाई थी। एचडीआईएल में बैंक का निवेश 6500 करोड़ रुपए से ज्यादा था, जो बैंक के कुल लोन बुक का 73 फीसदी था। शुरुआत में रिजर्व बैंक ने जमाकर्ताओं को 1000 रुपए निकालने की अनुमति दी थी, जिसे बाद में बढ़ाकर 1 लाख रुपए कर दिया गया था।