सार

शुरुआत में दूध की सप्लाई के लिए कर्मचारी नहीं मिलते थे तो सुबह तीन बजे खेतों में जाना पड़ता था। सुरक्षा के लिए चाकू और मिर्ची स्प्रे लेकर जाती थीं। 

नई दिल्ली. कोई भी काम अगर सही स्ट्रेटजी और लगन से किया जाए तो कामयाबी जरूर मिलती है। ऐसे ही झारखंड के डाल्टनगंज की रहने वाली एक लड़की ने बेंगलुरू में अच्छी क्वालिटी का दूध न मिलने पर उसका बिजनेस करने की सोची थी। उसने नहीं सोचा था कि ये बिजनेस उसे एक दिन करोड़पति बना देगा। 

साल 2012 में शिल्पी सिन्हा बेंगलुरू पढ़ने के लिए गई थीं। वहां उन्हें गाय का शुद्ध दूध नहीं मिल पाता था। वहां लोग गायों को पालने के लिए उन्हें कचरा खिलाते थे। ये सब जानकर शिल्पी ने यहीं से दूध का बिजनेस करने का फैसला लिया। लेकिन महिला और कंपनी की इकलौती फाउंडर के तौर डेयरी क्षेत्र में काम करना आसान न था।

सुबह तीन बजे जाती थी खेतों में

शिल्पी को न कन्नड़ आती थी और न तमिल फिर भी वो मैदान में कूद गईं। उन्होंने किसानों के पास जाकर गाय के चारे से लेकर उसकी देखभाल के लिए समझाया। शुरुआत में दूध की सप्लाई के लिए कर्मचारी नहीं मिलते थे तो सुबह तीन बजे खेतों में जाना पड़ता था। सुरक्षा के लिए चाकू और मिर्ची स्प्रे लेकर जाती थीं। 

द मिल्क इंडिया कंपनी शुरू की

जैसे ही ग्राहकों की संख्या 500 तक पहुंची, शिल्पी ने 11 हजार रुपए की शुरुआती फंडिंग से 6 जनवरी 2018 को द मिल्क इंडिया कंपनी शुरू कर दी। पहले दो साल में ही टर्नओवर एक करोड़ रुपए से ऊपर पहुंच गया। शिल्पी बताती हैं कि कंपनी 62 रुपए प्रति लीटर में गाय का शुद्ध कच्चा दूध ही ऑफर करती है। 

बच्चों को मुहैया करवाया गाय का शुद्ध दूध

उनके मुताबिक यह दूध पीने से बच्चों की हड्डियां मजबूत होती हैं और यह कैल्शियम बढ़ाने में भी मदद करता है। इसलिए सिर्फ एक से नौ साल तक के बच्चों पर उनका फोकस होता है। इसे गुणवत्तापूर्ण बनाने के लिए कंपनी गायों की दैहिक कोशिकाओं की गणना के लिए मशीन का इस्तेमाल करती है। दैहिक कोशिका जितनी कम होगी, दूध उतना ही स्वस्थ होगा।

डिलिवरी में रखती हैं इस बात का ध्यान

शिल्पी का कहना है कि किसी भी ऑर्डर को स्वीकार करने से पहले मां से उनके बच्चे की उम्र के बारे में पूछा जाता है। अगर बच्चा एक साल से कम का है, तो डिलीवरी नहीं दी जाती है। शिल्पा के मुताबिक एक बार उन्होंने देखा कि किसान गायों को चारे की फसल खिलाने की जगह रेस्टोंरेंट से मिलने वाला कचरा खिला रहे हैं।ऐसा दूध कभी भी स्वस्थ नहीं होगा।

अब कंपनी का टर्नओवर करोड़ों में

इसलिए किसानों को पूरी प्रक्रिया समझाई कि कैसे यह दूध उन बच्चों को नुकसान पहुंचाएगा, जो इसे पीते हैं। इसके साथ ही उन्हें मनाने के लिए स्वस्थ दूध के बदले में बेहतर कीमत देने का वादा किया। गायों को अब मक्का खिलाया जाता है। आज शिल्पी की कंपनी का टर्नओवर करोड़ों में है और वो द मिल्क इंडिया कंपनी की अकेली मालकिन हैं।