सार
लॉकडाउन लगने के बाद कर्मचारियों ने अपने काम को अच्छी तरह से प्रूफ किया। इस दौरान उन्होंने ज्यादा प्रेशर सहा। हालांकि, 76 प्रतिशत कर्मचारी अब वर्क लाइफ में फ्लेक्सीबिलिटी चाहते हैं। यह फैक्ट एडीपी सर्वे की रिपोर्ट में सामने आया है।
करियर डेस्क। वे दिन लद गए जब ज्यादातर कर्मचारी काम के दौरान ज्यादा पैसा बनाने के लिए अपना पूरा निजी वक्त भी दे दिया करते थे। अब दुनियाभर में ज्यादातर कर्मचारी ऐसा नहीं चाहते बल्कि, वे अपने कामकाजी जीवन में लचीलेपन की तलाश कर रहे हैं। इसे हासिल करने के लिए वे रियायतें देने को भी तैयार हैं। हालांकि, एक्सपर्ट्स का मानना है कि कोरोना महामारी की वजह से लॉकडाउन का इस बदलाव से काफी लेना-देना है।
एडीपी रिसर्च इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट 'पीपुल एट वर्क 2022- ए ग्लोबल वर्क फोर्स व्यू' में बताया गया है कि दुनियाभर में 10 में से 8 कर्मचाारी अपने काम के घंटों को व्यवस्थित करने को लेकर फ्लेक्सिबल मूड यानी लचीला रूख अख्तियार करते हैं। इसमें 17 अलग-अलग देशों में 33 हजार श्रमिकों का सर्वेक्षण किया गया था। रिपोर्ट के अनुसार, 76 प्रतिशत से अधिक कर्मचारी काम के समय लचीलापन चाहते हैं।
76% को फुल टाइम के लिए कहें तो नए विकल्प तलाशेंगे
सर्वे के आधार पर इस रिपोर्ट में बताया गया है कि 76.07 प्रतिशत इंडियन इंप्लायी ने कहा कि वे अपने काम के समय और दूसरी जरूरतों पर नियंत्रण रखना चाहेंगे। वे वर्क फ्रॉम होम के दौरान वेतन की कमी को भी स्वीकार करने को तैयार है, बजाय इसके भी कि उन्हें घर और ऑफिस के काम के बीच रोटेशन की आजादी दी जाए। सर्वेक्षण के अनुसार, अगर फुल टाइम काम पर लौटने को कहा जाए, तो भारत में 76.38 कर्मचारी नए विकल्प की ओर जाना चाहते हैं।
फ्लेक्सी टाइम सिस्टम और 4 डे वर्क ज्यादा प्रभावशाली
रिपोर्ट के अनुसार, मौजूदा समय में ज्यादातर कर्मचारी 9 से 5 के पारंपरिक वर्क टाइम से हटकर कुछ इनोवेटिव अल्टरनेटिव ऑप्शन देख रहे हैं। ऐसे में कर्मचारियों के वर्क लाइफ में अधिक फ्लेक्सिबिलिटी की पेशकश किया जा सकता है, क्योंकि उन्होंने महामारी के दौरान अधिक वर्क प्रेशर को सहन किया है। साथ ही, अपने लगातार परफॉरमेंस के जरिए महत्वपूर्ण साबित हुए हैं। एक्सपर्ट्स का मानना है कि बहुत से लोग फ्लेक्सी टाइम सिस्टम के एग्जीक्यूशन और इंप्लायी के वर्क वीक्स यानी हफ्ते में काम करने के दिनों को चार दिन करने जैसे कांसेप्ट का मजाक बना रहे होंगे। मगर वर्तमान समय में बेस्ट टैलेंट्स को बनाए रखने और आकर्षित करने के लिए इस आइडिया पर विचार करना बुरा नहीं है।
इंप्लायी-इंप्लायर के बीच बढ़ सकती है ट्रस्ट और लॉयल्टी
रिपोर्ट में बताया गया है कि जो लोग घर से काम करते हैं वे भी अपनी कंपनियों के साथ करियर के ग्रोथ को लेकर चर्चा कर रहे हैं। 73 प्रतिशत लोगों का मानना है कि जब वे घर से काम करते हैं, तब भी उन्हें और उनके काम को देखा जाता है तथा महत्व दिया जाता है। वहीं, 74 प्रतिशत का कहना है कि उनके बॉस अपस्किलिंग और एक्सट्रा ट्रेनिंग की जरूरत के बारे में चर्चा करते हैं और इसे एक्जीक्यूट भी कराते हैं। वहीं, 56 प्रतिशत कर्मचारी घर से काम करते समय भी अपने मानसिक स्वास्थ्य को लेकर इंप्लायर के सपोर्ट की बात स्वीकार करते हैं। रिपोर्ट के अनुसार, एचआर मैनेजमेंट टूल प्रोग्राम और प्लेटफॉर्म देने से ऐसे प्रोग्राम को लेकर निर्णय लेने में आसानी होती है। इससे एक से अधिक तरीके से सामंजस्यपूर्ण इंटरनल कल्चर को बढ़ावा मिलता है। साथ ही, इंप्लायर्स और इंप्लायी के बीच ट्रस्ट यानी भरोसा और लॉयल्टी यानी वफादारी बढ़ सकती है।
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