सार
लाल सिंह गोदारा डिग्री पाकर काफी खुश हैं। उन्होंने बताया कि उनकी उम्र काफी कम थी, जब उन्हें सेना में नौकरी मिल गई थी। इस वजह से वे आगे की पढ़ाई नहीं कर पाए। कम पढ़े लिखने होने की वजह से उन्हें लोगों को ताने सुनने को मिलते थे।
करियर डेस्क : जज्बा कुछ कर गुजरने का हो तो उम्र कभी दीवार बनकर नहीं खड़ी होती और जब जज्बा एक फौजी का हो तो इरादे और भी मजबूत हो जाते हैं। ऐसे ही जज्बे की मिसाल बने हैं हरियाणा (Haryana) के सिरसा (Sirsa) के पूर्व फौजी लाल चंद गोदारा..जिन्होंने 81 साल की उम्र में ग्रेजुएशन कंप्लीट कर लिया है। नजारा तब देखने लायक था, जब इंदिरा गांधी मुक्त विश्वविद्यालय (IGNOU) के करनाल में आयोजित दीक्षांत समारोह में उन्हें ग्रेजुएशन की डिग्री मिली।
कम उम्र में सेना में नौकरी
लाल सिंह गोदारा डिग्री पाकर काफी खुश हैं। उन्होंने बताया कि उनकी उम्र काफी कम थी, जब उन्हें सेना में नौकरी मिल गई थी। इस वजह से वे आगे की पढ़ाई नहीं कर पाए। कम पढ़े लिखने होने की वजह से उन्हें लोगों को ताने सुनने को मिलते थे। पोते-पोती भी कहते कि दादा आप कम पढ़े लिखे हैं, आगे की पढ़ाई करिए।
अब एमए करने की तैयारी
लाल सिंह गोदारा ने बताया कि उन्हें आस-पड़ोस से ताने मिलते कि वे अनपढ़ हैं। इसके बाद उन्होंने पढ़ने का मन बनाया। 10वीं-12वीं बोर्ड एग्जाम पास करने के बाद इग्नू से ग्रेजुएशन करने लगे। अब उनकी डिग्री कंप्लीट हो गई है। लेकिन वे यहीं नहीं रूकने वाले हैं। आगे एमए की पढ़ाई भी करना चाहते हैं।
ताने गोली से भी ज्यादा दर्द देते - गोदारा
गोदारा ने बताया कि उम्र तो एक आंकड़ा है। आप जिस उम्र में जो चाहें, वो हासिल कर सकते हैं। शिक्षा किसी की लाइफ को कितना आसान बना देता है, यह उन्हें 76 साल की उम्र में समझ आई। बतौर फौजी देश की सेवा में डटा रहा लेकिन अनपढ़ होने का ताना गोली से भी ज्यादा दर्द वाला था। लाल चंद गोदारा ने बताया कि तीन बार जंग में भाग ले चुके हैं। यही कारण है कि उनके अंदर का जज्बा बाकी है। उन्होने एक बार पढ़ाई का ठान लिया तो डिग्री हासिल करके ही ताना देने वालों को करारा जवाब दिया।
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